लेंस डेस्क। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने क्रेडिट इंफॉर्मेशन सिस्टम में महत्वपूर्ण सुधारों की घोषणा की है। ये नए प्रावधान 1 जुलाई 2026 से प्रभावी होंगे, जिनका मकसद पूरी क्रेडिट रिपोर्टिंग व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, विश्वसनीय और समयबद्ध बनाना है। इसका असर कर्जदारों और बैंकों दोनों पर दिखेगा।
पहले अक्सर क्रेडिट रिपोर्ट में पुरानी या गलत जानकारी रह जाने से लोगों को परेशानी होती थी। कर्ज चुकता होने के बावजूद रिपोर्ट में वह दिखता रहता था, क्रेडिट स्कोर में त्रुटि रहती थी या पुराने रिकॉर्ड के कारण नया लोन मिलने में दिक्कत आती थी। अब RBI के नए दिशानिर्देशों से डेटा अपडेट करने की प्रक्रिया, क्रेडिट स्कोर की गणना और पूरी रिपोर्टिंग व्यवस्था में सटीकता आएगी।
इससे बैंकों को भी फायदा होगा लोन की वसूली, निगरानी और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) का प्रबंधन पहले से कहीं आसान हो जाएगा। RBI का मानना है कि सटीक और नियमित अपडेट वाली क्रेडिट रिपोर्ट से ग्राहकों की शिकायतें कम होंगी और क्रेडिट स्कोर में गलतियों की गुंजाइश लगभग खत्म हो जाएगी।
कब जारी होगा स्कोर, क्या होंगे लाभ
आरबीआई के अनुसार हर महीने की 9, 16, 23 तारीख और महीने के अंत में क्रेडिट जानकारी अपडेट की जाएगी। इससे ग्राहकों को हमेशा सही और ताजा क्रेडिट रिपोर्ट उपलब्ध होगी। गलत रिपोर्ट के कारण लोन अस्वीकार होने की समस्या में कमी आएगी। साथ ही बैंकों को जोखिम के शुरुआती संकेत जल्दी मिलेंगे। NPA की निगरानी और जोखिम प्रबंधन अधिक प्रभावी हो जाएगा।

