नारायणपुर। बस्तर के अबूझमाड़ इलाके में छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा पर आज सुबह सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ (Anti Naxal Operation) में माओवादियों को तगड़ा झटका लगा है। पुलिस के मुताबिक इस मुठभेड़ में सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति के सदस्य राजू दादा उर्फ कट्टा रामचंद्र रेड्डी और कोसा दादा उर्फ कादरी सत्यनारायण रेड्डी मारे गए। इन दोनों पर छत्तीसगढ़ राज्य में 40-40 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक राबिन्सन ने यह जानकारी दी है। मुठभेड़ स्थल से एक एके-47 राइफल, एक इंसास राइफल, एक बीजीएल लॉन्चर, भारी मात्रा में विस्फोटक, माओवादी साहित्य एवं अन्य सामग्री बरामद की गई है। रॉबिन्सन ने बताया कि छत्तीसगढ़–महाराष्ट्र अंतर्राज्यीय सीमा क्षेत्र स्थित अभूझमाड़ इलाके में माओवादी गतिविधियों की सूचना पर सुरक्षा बलों ने सर्च ऑपरेशन चलाया।
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पी. ने कहा कि प्रतिबंधित माओवादी संगठन के खिलाफ चलाए जा रहे निर्णायक अभियानों से संगठन को बड़ी चोट पहुंची है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और प्रतिकूल मौसम के बावजूद बस्तर में तैनात पुलिस और सुरक्षा बल भारत सरकार, छत्तीसगढ़ सरकार तथा बस्तर की जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ सेवा कर रहे हैं।
राजू दादा और कोसा दादा जैसे नेताओं की मौत माओवादियों के लिए कितना बड़ा झटका है यह इसी से समझा जा सकता है कि माओवादी पार्टी की केंद्रीय समिति के ये दोनों सदस्य पिछले तीन दशकों से दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति में सक्रिय थे। ये दोनों हिंसक घटनाओं के मास्टरमाइंड रहे हैं, जिनमें कई जवान शहीद हुए और निर्दोष नागरिकों की जानें गईं।
माओवादी पार्टी के प्रवक्ता के नाम से जाने जाने वाले राजू दादा की उम्र 63 साल थी। वह तेलंगाना के करीमनगर का रहने वाला था और उसके पिता नाम मल्ला रेड्डी था। सीपीआई माओवादी संगठन में केंद्रीय समिति सदस्य थे। इन पर 40 लाख रुपए का ईनाम घोषित किया गया था।
कोसा दादा की उम्र 67 साल था और वह भी तेलंगाना के करीमनगर का रहने वाला था। उसके पिता नाम कृष्णा रेड्डी था। सीपीआई माओवादी संगठन में केंद्रीय समिति सदस्य थे। उन पर 40 लाख रुपए का इनाम था।
पुलिस ने बताया कि मुठभेड़ स्थल की तलाशी के दौरान एक एके-47 राइफल, एक इंसास राइफल, एक बीजीएल लॉन्चर, भारी मात्रा में विस्फोटक, माओवादी साहित्य एवं दैनिक उपयोग की वस्तुएँ बरामद की गईं हैं।
पुलिस महानिरीक्षक बस्तर ने एक बार फिर माओवादी कैडरों और उनके नेतृत्व से अपील की कि वे यह स्वीकार करें कि माओवादी आंदोलन अब अपने अंत की ओर है। यह समय है कि वे हिंसा का मार्ग त्यागकर मुख्यधारा में लौटें और सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत सुरक्षा और लाभ प्राप्त करें।