नई दिल्ली। हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की जांच में अडानी समूह को बड़ी राहत भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने दे दी है। जांच में सेबी ने पाया कि आरोपों में नियमों के उल्लंघन का कोई सबूत नहीं मिला।
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य कमलेश वार्ष्णेय ने गुरुवार को जारी एक आदेश में अपने आदेश में कहा, “मामले की पूरी तरह से समीक्षा के बाद, मैंने पाया कि आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप सिद्ध नहीं हुए। इसलिए, उन पर कोई दायित्व नहीं बनता और न ही किसी जुर्माने की राशि तय करने की जरूरत है। इस आधार पर, मैं इस कार्यवाही को बिना किसी निर्देश के समाप्त करता हूं।”
सेबी हिंडनबर्ग के उस आरोप की जांच कर रहा था, जिसमें कहा गया था कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पावर मुंद्रा (जो अब अडानी पावर लिमिटेड में विलय हो चुकी है) को मिलेस्टोन ट्रेडलिंक्स और रेहवर इन्फ्रास्ट्रक्चर के जरिए अडानी इन्फ्रा (इंडिया) से धन प्राप्त हुआ था। अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म ने मिलेस्टोन ट्रेडलिंक्स और रेहवर इन्फ्रास्ट्रक्चर के धन के मूल स्रोत पर सवाल उठाए थे।
सेबी के आदेश के अनुसार, इस मामले में विस्तृत जांच की गई ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या वित्तीय विवरणों में कोई गलत जानकारी दी गई या सेबी अधिनियम, 1992, सेबी (लिस्टिंग दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं) नियम, 2015, या सेबी (प्रतिभूति बाजार में धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं का निषेध) नियम, 2003 जैसे किसी नियम का उल्लंघन हुआ।