मंगलवार और बुधवार की दरम्यानी रात आतंकी ठिकानों पर की गई भारतीय सेना की कार्रवाई के जरिये भारत ने एक बार फिर दुनिया को दिखा दिया है कि पाकिस्तान आतंकियों की पनाहगाह है। ऑपरेशन सिंदूर के जरिये भारत की तीनों सेनाओं ने संयुक्त अभियान में पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में लश्कर-ए-तैैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के नौ ठिकानों को ध्वस्त कर आतंकवाद को करारा जवाब दिया है। भारत लंबे समय से सीमा पार आतंकवाद से पीड़ित है, जिसे लश्कर और उस जैसे आतंकी संगठन कई दशकों से अंजाम देते आए हैं। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला इसकी ताजा कड़ी था, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई थी। यह हमला भारत में सांप्रदायिक तनाव और दहशत फैलाने के इरादे से किया गया था। भारत ने तो संयत प्रतिक्रिया ही व्यक्त की है, लेकिन दो परमाणु संपन्न देशों के बीच बढ़ता तनाव कितना घातक हो सकता है, इसका सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है। पहलगाम हमले के बाद होना तो यह चाहिए था कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी सामने आती और पाकिस्तान पर शिकंजा कसती, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तक से कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका के साथ भारतीय विदेश सचिव मिसरी ने दो टूक कहा है कि यह कार्रवाई इस सूचना के जवाब में की गई है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकाने भारत में और हमले कर सकते हैं। भारत की सेना ने अपना सामर्थ्य दिखाया है, दरअसल सवाल अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से है कि क्या वह आतंक को पनाह देने वाले पाकिस्तान पर कोई शिकंजा कसेगी।