रायपुर। माओवादियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ने पार्टी के दो सेंट्रल कमेटी मेंबर क्रमशः कट्टा रामचंद्र रेड्डी उर्फ राजू दादा और कादरी सत्यनारायण रेड्डी उर्फ कोसा दादा के एनकाउंटर को फर्जी कहा है और कहा कि पुलिस ने इन्हें रायपुर या ऐसे ही किसी अन्य स्थान से पकड़ कर मार दिया और इसे मुठभेड़ बताया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि 22 सितंबर को पुलिस ने इन दोनों ही दिग्गज माओवादी नेताओं को मुठभेड़ में मारने की जानकारी पुलिस ने दी थी। दंडकारण्य क्षेत्र में संगठन खड़ा में कोसा दादा और राजू दादा की बड़ी भूमिका मानी जाती रही है। इन पर बड़ी संख्या में फोर्स पर हमलों और हत्याओं के आरोप हैं।
राजू दादा यानि कादरी सत्यनारायण रेड्डी जिन और नामों से चर्चित रहा है वे हैं विकल्प,विजय और गुडसा उसेंडी। लेकिन अब इस मुठभेड़ पर सवाल उठाते हुए सीपीआई (माओवादी) का जो बयान बुधवार को मीडिया तक पहुंचा है वह बयान भी दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प के नाम से जारी किया गया है।
हालांकि माओवादी ऐसे ही छद्म नामों से काम करते हैं इसलिए उसी नाम से बयान आना हैरानी की बात नहीं है। माओवादियों में यह परंपरा है कि अपने किसी मारे गए साथी के नाम को कोई और माओवादी व्यक्ति अपना लेता है।
बुधवार को विकल्प की ओर से आए इस बयान में माओवादियों ने यह आरोप लगाया कि कुछ आत्मसमर्पित माओवादियों से मिली सूचनाओं के आधार पर पुलिस ने इन दो नेताओं को गिरफ्तार किया,कथित रूप से प्रताड़ित किया और फर्जी मुठभेड़ में मार दिया।
इस बयान में कहा गया कि कोसा और गुडसा उसेंडी उर्फ विकल्प,उर्फ राजू उर्फ सत्यनारायण रेड्डी को दस महीने पहले संगठन ने कोई जिम्मेदारी सौंपी थी जिसके चलते वे जंगल से बाहर था। इस बात की जानकारी उनकी सुरक्षा में लगे संगठन के लोगों के अलावा जिन कुछ लोगों को थी उनमें से कुछ ने आत्मसमर्पण कर दिया और आशंका है कि उनसे हो पुलिस को इन नेताओं की खबर लगी होगी।
इस ताजा बयान में माओवादियों ने कहा कि पुलिस ने इन दो नेताओं से कई गोपनीय राज पुलिस ने हासिल कर लिए होंगे।यह भी कहा कि लगातार हो रहे आत्मसमर्पण से उनके संगठन को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है।
संविधान,संसद,देश के कानून या देश की न्याय व्यवस्था में आस्था न रखने वाले माओवादियों की ओर से जारी कथित विकल्प के इस बयान में कहा गया कि उनके नेताओं की गिरफ्तारी के बाद उन्हें कानूनी प्रक्रियाओं के तहत अदालत में पेश करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
माओवादियों के इस बयान को लेकर किसी तरह की पुष्टि या दावा द लेंस नहीं करता।
माओवादी आरोप सिर्फ उनकी बौखलाहट है – आईजी सुंदरराज
द लेंस ने इस बारे में बस्तर आईजी पी. सुंदरराज से बात की तो उन्हों ने बताया कि हाल ही में हुई कार्रवाइयों से नक्सलियों में बौखलाहट का माहौल है। राजू दादा और कोसा दादा सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गए हैं।
नक्सलियों के खिलाफ अभियान में हमें लगातार सफलता मिल रही है। सुरक्षा बलों का मनोबल तोड़ने के लिए नक्सली इस तरह के बयान जारी करते रहते हैं, लेकिन उनकी किसी भी चाल को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र बॉर्डर पर नारायणपुर जिले में मुठभेड़ में राजू दादा और कोसा दादा के मारे जाने के बाद दंतेवाड़ा में 64 लाख के 30 ईनामी सहित कुल 71 नक्सलियों ने सरेंडर किया है। सरकार के लोन वर्राटू अभियान के तहत यह सरेंडर किया गया है। इन 71 नक्सलियों में से कई हथियार बंद नक्सली थे।
इससे पहले हुई एक प्रेस कॉन्फेंस में बस्तर आईजी ने बता चुके हैं कि दो माओवादी राजू दादा और कोसा दादा सीसी मेंबर थे। इन दोनों को मिलाकर अब तक 9 सीसी मेंबर मारे जा चुके हैं।
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