अयोध्या। बाबरी मजिस्द के बदले अयोध्या में बनने वाली ‘मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह मस्जिद’ का निर्माण अब पूरी तरह से उलझता हुआ दिखाई दे रहा है। RTI से मिले एक जवाब में खुलास हुआ कि मस्जिद के निर्माण योजना को अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) ने अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) की कमी के कारण अस्वीकार कर दिया।
एडीए ने बताया कि धन्नीपुर गांव में मस्जिद के लिए प्रस्तुत योजना को विभिन्न सरकारी विभागों से आवश्यक मंजूरी न मिलने के कारण रद्द कर दिया गया। यह जमीन सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दी गई थी।

अयोध्या में स्थानीय पत्रकार ओम प्रकाश सिंह ने यह आरटीआई लगाई थी। उन्होंने द लेंस को बताया कि मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह मस्जिद के निर्माण को लेकर वह इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सदस्यों से जानकारी चाह रहे थे। लेकिन उन्हें स्पष्ट जवाब नहीं मिला, तो उन्होंने मस्जिद निर्माण की प्रगति जानने के लिए आरटीआई लगाई। जिसमें ये चार सवाल उन्होंने पूछे-
– मस्जिद के निर्माण के लिए बने ट्रस्ट इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने मस्जिद निर्माण के लिए नक्शा पास करने की अर्जी किस तारीख को डाली थी।
– इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट नें अभी नक्शे के मद में अयोध्या विकास प्राधिकरण को कितना भुगतान किया है।
– इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन द्वारा दाखिल नक्शे की स्थिति क्या है, क्या वह पास हो गया है.
– अगर नक्शा पास नहीं हुआ है तो उसकी क्या वजह है।

आरटीआई के जवाब में एडीए ने 16 सितंबर को जारी एक पत्र में स्पष्ट किया कि मस्जिद ट्रस्ट ने 23 जून 2021 को निर्माण के लिए आवेदन किया था, लेकिन लोक निर्माण, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नागरिक उड्डयन, सिंचाई, राजस्व, नगर निगम और अग्निशमन जैसे विभागों से जरूरी एनओसी नहीं मिली, जिसके चलते आवेदन खारिज कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को अयोध्या विवाद पर अपने फैसले में 2.77 एकड़ विवादित जमीन मंदिर निर्माण के लिए हिंदू पक्ष को आवंटित की थी और मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया था। इस आदेश के पालन में अयोध्या जिला प्रशासन ने धन्नीपुर गांव में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को जमीन सौंपी थी।
3 अगस्त 2020 को तत्कालीन जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने इस जमीन का कब्जा वक्फ बोर्ड को हस्तांतरित किया था, जो अयोध्या शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर है। मस्जिद ट्रस्ट ने 23 जून 2021 को एडीए में मस्जिद और संबंधित ढांचों के नक्शे को मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया था। हालांकि, एडीए ने आरटीआई में बताया कि विभिन्न विभागों से आवश्यक दस्तावेज और एनओसी न मिलने के कारण ट्रस्ट का आवेदन अस्वीकार कर दिया गया।
शुरू से रही उदासीनता

देश के बहुचर्चित मामलों में से एक अयोध्या में बाबरी मस्जिद को लेकर जस्टिस रंजन गोगोई द्वारा सुनाये गए फैसले को लेकर मुस्लिम पक्ष शुरुआत से ही उदासीन रहा। सरकार ने सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड को जमीन तो सौंप दी, उस भूमि पर निर्माण को लेकर दावे भी बहुत किये गए , नक्शा भी बार-बार बदला। मस्जिद पहले के तय 15,000 वर्ग फुट के मुकाबले 40,000 वर्ग फुट जमीन पर बनाने का निर्णय लिया गया लेकिन निर्माण शुरू नहीं हो पाया।
इस उदासीनता के पीछे फैसले के बाद मुस्लिम पक्षकारों का आपसी मतभेद, सरकार की लुकी छिपी दखलंदाजी और धन का अभाव बड़ी वजह बनी, रही सही कसर मुस्लिम पक्षकारों को सरकारी अफसरों द्वारा दफ्तरों के चक्कर लगवाने में पूरी हो गई। यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड के विधि अधिकारी मोबिन खान कहते हैं, “वक्फ बोर्ड इस मामले में खामोश है, जवाब उस फाउंडेशन से मिलेगा जिसको निर्माण कराना है, फाउंडेशन और उसके कर्ताधर्ता लापता हैं।
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