रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में फ्लोरा मैक्स सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नाम की फर्जी कंपनी द्वारा हज़ारों आदिवासी महिलाओं से की गई करोड़ों रुपये की ठगी के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Tribal Commision) ने सख़्त रुख अपनाया है।
आयोग ने राज्य सरकार को 30 दिनों के भीतर विस्तृत जांच रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए हैं। आयोग ने मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ को 4 नवंबर को यह आदेश भेजा है।
यह मामला पूर्व मंत्री ननकी राम कंवर की दर्ज कराई गई शिकायत के बाद आयोग के संज्ञान में आया था। आयोग के अध्यक्ष डॉ. अंतर सिंह आर्य की अध्यक्षता में 16 अक्टूबर 2025 को सुनवाई हुई।
इस सुनवाई में मुख्य सचिव को तलब किया गया था। मुख्य सचिव की तरफ से बिलासपुर कमिश्नर सुनील कुमार जैन सुनवाई में शामिल हुए। सेहत खराब होने की वजह से भाजपा नेता श्री कंवर सुनवाई में नहीं पहुंच पाए।
सुनवाई में यह स्पष्ट हुआ कि कंपनी ने ग्रामीण आजीविका मिशन के नाम पर महिलाओं को झूठे सपने दिखाकर 40,000 से अधिक महिलाओं से प्रति महिला 30,000 से 30,000 रुपये तक की वसूली की। इस तरह कुल मिलाकर लगभग 120 करोड़ रुपये की ठगी की गई।
आयोग ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि यह केवल एक आर्थिक घोटाला नहीं, बल्कि आदिवासी महिलाओं के विश्वास और गरिमा पर सीधा प्रहार है।
आयोग ने सभी आरोपियों की संपत्ति की जांच कर अवैध संपत्ति जब्त करने, पीड़ित महिलाओं को तत्काल राहत और मुआवजा देने, जांच एजेंसियों द्वारा दायर चालान और सभी प्रमाणों की प्रमाणित प्रति आयोग को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
आयोग ने इस मामले की अंतिम जांच रिपोर्ट और अब तक हुई कार्रवाई का ब्यौरा 30 दिनों में आयोग को प्रस्तुत करने को कहा है।
आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने महिलाओं को ‘आजीविका मिशन में रोजगार देने’ और ‘लाभकारी योजनाओं में भागीदारी’ का झांसा देकर रकम वसूली, लेकिन कुछ ही समय बाद कार्यालय बंद कर अधिकारी फरार हो गए।
राज्य पुलिस ने इस घोटाले में अब तक 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें तीन मुख्य आरोपी शामिल हैं, जिन्होंने पूरे नेटवर्क का संचालन किया।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने कहा है कि यह मामला ‘गंभीर वित्तीय अपराध’ के साथ-साथ ‘अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक शोषण’ का प्रतीक है।
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