बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एहतियात के तहत भारत और नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में हाई अलर्ट जारी है। सीमा पर आने-जाने वाले नागरिकों की पहचान और जांच पड़ताल की प्रक्रिया और सख्त कर दी गई है। सीमा पर सक्रिय अवांछित तत्वों, मादक पदार्थ, हथियारों व जाली नोटों की तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए पूरी मुस्तैदी के साथ जांच-पड़ताल करने के बाद ही आने-जाने की सहमति दी जा रही है।
गौरतलब है कि नेपाल से भारत की 1751 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है। इसमें सबसे लंबी सीमा बिहार से सटी 756 किलोमीटर की सीमा है। बिहार के सात सीमावर्ती जिले हैं, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, और किशनगंज।
बिहार और नेपाल के रिश्तों को एक पुरानी कहावत ‘बेटी-रोटी का सम्बन्ध’ से समझा जा सकता है। बेटी-रोटी के संबंध वाले इलाकों की राजनीति का प्रभाव दूसरे इलाकों में होता है। शायद यही वजह है कि नेपाल के लोगों की बिहार की राजनीति में खास दिलचस्पी होती है।
शराबबंदी मुख्य मुद्दा
बिहार में शराबबंदी की वजह से नेपाल में शराब के कारोबार की धूम मची हुई है। बिहार के शराब प्रेमी अपनी जरूरतें पूरा करने के लिए नेपाल जा रहे हैं। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2016 में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था, तभी से नेपाल के सीमावर्ती शहरों में शराब कारोबार जबर्दस्त ढंग से चल रहा है।
भारत नेपाल सीमा के बीच कुनौली गांव के रहने वाले अनुराग बताते हैं, ‘भारत और नेपाल में सीमा के आर-पार जाने को लेकर कोई मनाही नहीं है। अगर है, भी तो ज्यादा सख्ती नहीं होती है। इस वजह से दोनों तरफ के लोग अपनी जरूरतों का सामान लेने सीमा के आरपार आते जाते रहते हैं।
मसलन बाइक के पुर्जे नेपाल के लोग भारत से लेते हैं और भारत के लोग नेपाल से पेट्रोल लेते हैं। चुनाव के समय शराब की मांग और बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में भी लाख अंकुश लगाने के बावजूद कारोबार तेजी से बढ़ता रहता है।‘
सुपौल के रहने वाले रोहित झा (बदला हुआ नाम) बताते हैं, ‘शराब की वजह से वहां का होटल व्यवसाय भी काफी बढ़ने लगा है। भारतीय रात भर रुकते हैं। वे शराब पीकर बॉर्डर पार बिहार नहीं जा सकते। सीमा पर सुरक्षा की वजह से चुनाव के समय खासकर इस बात का ध्यान रखा जाता है। बिहार की वजह से नेपाल में लोगों का व्यापार चमक गया है। वहां के रेस्त्रां में स्थानीय शराब भरी पड़ी हैं।‘
कोसी बैराज, कुनौली बाजार और सखाड़ा जैसे इलाकों में काफी लोग शराब पीने जाते हैं। बिहार के अन्य बड़े शहरों से भी लोग राजबिराज, बीरगंज और नेपाल के दूसरे सीमावर्ती शहरों में जाते हैं। चुनाव के समय पेटी भर-भर के बिहार में शराब की होम डिलीवरी हो रही है।
वर्ष 2016 को शराबबंदी को सफल बनाने के लिए बिहार ने पड़ोसी देश नेपाल से मदद मांगी थी। बिहार से सटे नेपाल के झापा जिले और बिहार के किशनगंज जिले की सीमा पर तैनात अधिकारियों के बीच इस मुद्दे को लेकर बैठक भी हुई। हालांकि इसका कोई नतीजा नहीं निकला।
पिछले नौ वर्षों में नेपाल बिहारवासियों के लिए ‘लीकर डेस्टिनेशन’ बन चुका है। नेपाली शहरों में विदेशों से शराब का आयात 12 फीसद बढ़ गया। नेपाल के शराब कारोबारी चाहते हैं कि वर्तमान सरकार बनी रहे, जो शराबबंदी कानून जारी रखना चाहती हो। शराबबंदी से पहले बिहार में 3,142 करोड़ की सालाना आमदनी सरकार को होती थी। अब लगभग 30 हज़ार करोड़ का राजस्व नेपाल सरक गया, मगर बिहार में शराबबंदी कामयाब नहीं हुई।
शराब के साथ शबाब
बिहार और पूर्वांचल में आर्केस्ट्रा मंगाकर लड़कियों को नचवाना एक आम बात है। हालांकि सोशल मीडिया के बाद इसमें काफी वृद्धि हुई है। लोग कहने लगे हैं कि बिहार में कुकुरमुत्ते की तरह उग आई हैं ऑर्केस्ट्रा पार्टी।
ऑर्केस्ट्रा में नाचने वाली अधिकांश बालाएं नेपाल से मंगाई जाती हैं। बिहार में सामाजिक धार्मिक और अन्य उत्सवों में भी भोजपुरी डांस कलाकार के रूप में ये काम करती हैं। हालांकि नेपाल में कई लड़कियों को जबरदस्ती भी इस व्यवसाय में धकेला जा रहा है, जिसे लेकर मीडिया में अक्सर खबरें आते रहती हैं। छह महीने पहले मोतिहारी के छौड़ादानो थाना क्षेत्र में जानकी म्यूजिकल ऑर्केस्ट्रा ग्रुप से तीन नेपाली लड़कियों को रेस्क्यू किया गया था।
नेपाल हिंसा का बिहार पर प्रभाव?
नेपाल में हुई हिंसा और ताजा हालात का असर सीमावर्ती जिलों के 21 विधानसभा क्षेत्र पर पड़ सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में इन 21 सीटों में सबसे अधिक 11 भाजपा ने जीती थी। नेपाल से सटे वाल्मीकि नगर के रहने वाले अभिषेक बताते हैं कि,” नेपाल में हिंसा के बाद भारत नेपाल व्यापार पर काफी असर हुआ है।
कई सीमावर्ती इलाकों में खरीद बिक्री बहुत कम हो चुकी है। अभी आवागमन सामान्य रूप से शुरू नहीं हुआ है। अगर सरकार नेपाली लोगों का आना जाना सुनिश्चित करे तो व्यापारियों को राहत मिलेगी। भारत और नेपाल के लोग व्यापारिक दृष्टिकोण से अक्सर एक दूसरे के देश जाते रहे हैं।
इसके बावजूद बिहार की राजनीतिक गतिविधियों में नेपाल के लोगों की दिलचस्पी बनी रहती है। चुनावी सभा दरभंगा में हो या मोतिहारी में, राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी को देखने नेपाल के लोग पहुंच ही जाते हैं।

