नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज टिप्पणी की कि अब समय आ गया है कि मानहानि कानून को अपराधमुक्त किया जाए। यह बात कोर्ट ने फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म की याचिका पर सुनवाई के दौरान कही, जिसमें द वायर न्यूज़ पोर्टल और इसके पॉलिटिकल एडिटर अजॉय आशिरवद महाप्रशास्त को जारी समन रद्द करने की मांग की गई है। इस मामले में जस्टिस एमएम सुंदरेश और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने जेएनयू की पूर्व प्रोफेसर अमिता सिंह को नोटिस जारी किया है।
न्यायमूर्ति सुंदरेश ने टिप्पणी की, “मेरा मानना है कि अब वह समय आ गया है जब इस तरह की गतिविधियों को अपराध से मुक्त करने की जरूरत है।”
सर्वोच्च न्यायालय जेएनयू की एक पूर्व प्रोफेसर द्वारा दायर मानहानि के मामले में सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने एक डोजियर के प्रकाशन के संबंध में निचली अदालत द्वारा उन्हें जारी किए गए समन को चुनौती दी थी।
शिकायतकर्ता ने निचली अदालत में तर्क दिया था कि आरोपियों ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए उनके खिलाफ नफरत फैलाने का अभियान चलाया। यह मामला एक पोर्टल द्वारा प्रकाशित कथित तौर पर अपमानजनक रिपोर्ट से संबंधित मुकदमे का दूसरा चरण है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2023 में उनके खिलाफ जारी समन को रद्द कर दिया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इस आदेश को खारिज कर दिया और मामले को नए सिरे से विचार के लिए निचली अदालत को भेज दिया। निचली अदालत ने दोबारा समन जारी किया, जिसे उच्च न्यायालय ने भी वैध ठहराया।
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