लेंस डेस्क। एलन मस्क की स्वामित्व वाली सोशल मीडिया कंपनी X के ब्लू टिक को लेकर यूरोपीय यूनियन ने सवाल खड़े कर दिए हैं। ब्लू टिक को धोखा बताते हुए यूरोपीय यूनियन के डिजिटल सर्विसेज एक्ट यानी DSA के तहत भारी जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना करीब 12 करोड़ यूरो का है, जो भारतीय रुपयों में लगभग साढ़े 12 हज़ार करोड़ रुपए बैठता है।
यह पहली बार है जब पर X पर इतना बड़ा जुर्माना लगाया गया है। इसे लेकर अमेरिका अब एलन मस्क के पक्ष में खड़ा हो गया है। यूरोपीय यूनियन के टेक्नोलॉजी कमिश्नर हेन्ना विर्कुनन ने साफ किया कि यह जुर्माना पारदर्शिता से जुड़ा है, इसमें अभिव्यक्ति की आज़ादी या सेंसरशिप का कोई मामला नहीं है। अब X के पास अपील का अधिकार है।
मस्क ने 2022 में ट्विटर खरीदने के बाद इस सत्यापन चिह्न को पैसे देकर खरीदने लायक बना दिया था, यानी अब कोई भी व्यक्ति 8-10 डॉलर देकर वेरिफाइड दिख सकता था।
यूरोपीय संघ का कहना है कि इससे यूजर्स के बीच भ्रम पैदा होता है। लोग नीले टिक को देखकर मान लेते हैं कि अकाउंट असली और भरोसेमंद है, जबकि अब तो जेब ढीली करने वाला कोई भी व्यक्ति या फर्जी प्रोफाइल इसे हासिल कर सकता है। नतीजा यह हुआ कि धोखाधड़ी, स्कैम और गलत जानकारी फैलाने वालों को आसानी हो गई।
अमेरिका ने खुलकर की आलोचना
इस फैसले से अमेरिका में जबरदस्त राजनीतिक बवाल मच गया है। उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “ब्रुसेल्स को सेंसरशिप के नाम पर अमेरिकी कंपनियों को निशाना बनाना बंद करना चाहिए। यूरोप को खुली बहस का सम्मान करना चाहिए, न कि हमारे प्लेटफॉर्म्स को दबाना चाहिए।” एलन मस्क ने उनका तहे-दिल से शुक्रिया अदा किया।
वहीं विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने और कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “यह 140 मिलियन डॉलर का दंड सिर्फ X पर नहीं, बल्कि हर अमेरिकी टेक कंपनी और हर अमेरिकी नागरिक पर विदेशी हस्तक्षेप है। अब वो दिन लद गए जब कोई विदेशी सरकार अमेरिकियों को ऑनलाइन चुप करा सके।”

