लेंस डेस्क। श्रीलंका में भारी तबाही मचाने के बाद चक्रवाती तूफान ‘दितवाह’ का असर अब भारत के दक्षिणी तटीय क्षेत्रों में दिखाई देना शुरू हो चुका है। चक्रवात दितवाह अब पुडुचेरी के तट पर पहुंच चुका है। इसके तुरंत बाद पुडुचेरी बंदरगाह पर तूफान की चेतावनी के संकेत के रूप में पांच नंबर का झंडा लहरा दिया गया।
चक्रवात के प्रभाव से क्षेत्र में बारिश शुरू हो गई है और समुद्र में ऊंची लहरें उठ रही हैं, साथ ही तेज हवाओं का दौर भी जारी है। तमिलनाडु के विभिन्न भागों में हो रही भारी वर्षा के कारण वर्षा-संबंधित घटनाओं में तीन लोगों की जान जा चुकी है।

मौसम विभाग के अनुसार, चक्रवात दितवाह वर्तमान में बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है और उत्तर दिशा में धीरे-धीरे बढ़ रहा है। अगले 24 घंटों में इसका मार्ग उत्तरी तमिलनाडु के तटीय इलाकों और पुडुचेरी के समानांतर रहने की संभावना है।
इसकी वजह से तमिलनाडु के कुड्डालोर, नागपट्टिनम, मयिलादुथुराई, विल्लुपुरम, चेंगलपट्टू, पुदुक्कोट्टई, तंजावुर, तिरुवरूर, अरियालुर, पेरम्बलुर, तिरुचिरापल्ली, चेन्नई, कांचीपुरम, तिरुवल्लूर, रानीपेट जिलों और पुडुचेरी व कराईकल में कई स्थानों पर भारी से अत्यधिक भारी वर्षा दर्ज होने की संभावना है।
इन क्षेत्रों में 60-70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं, जिनकी गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ सकती है। कावेरी डेल्टा के जिलों, विशेष रूप से रामनाथपुरम और नागपट्टिनम में हो रही मूसलाधार बारिश के कारण निचले इलाकों में जलभराव हो गया है, जिससे वहाँ के जनजीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ा है।
श्री लंका में 193 मौतें

दूसरी ओर चक्रवात दितवाह ने श्रीलंका में व्यापक विनाश का रूप ले लिया है। इस तूफान के कारण लगभग 25,000 से अधिक आवास पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं। लगातार हो रही भारी वर्षा और बाढ़ से मृतकों की संख्या 193 तक पहुंच गई है, जबकि 176 लोग अब भी लापता हैं। इस भयावह स्थिति के मद्देनजर श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने पूरे देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है।
आपातकालीन उपायों के तहत थलसेना, नौसेना और वायुसेना के हजारों कर्मियों को बचाव कार्यों के लिए तैनात किया गया है। तूफान के परिणामस्वरूप सड़कें, पुल, रेल मार्ग और बिजली सप्लाई बुरी तरह प्रभावित है। कई स्थानों पर भूस्खलन के कारण बस्तियां मलबे के नीचे दब गई हैं और वहां से लोगों को निकालने के प्रयासों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
आपातकाल लागू करने का मकसद बचाव और राहत कार्यों को तेज गति प्रदान करना है, जिसके लिए राष्ट्रपति को संकट से निपटने के लिए व्यापक अधिकार प्राप्त हो गए हैं।

