लेंस डेस्क। mosquitoes in Iceland : आइसलैंड में तीन मच्छरों की मौजूदगी सिर्फ वहां की चिंता नहीं बल्कि पूरी दुनिया के पर्यावरणीय बदलावों का संकेत है। इन कीटों का इस ठंडे द्वीप तक पहुंचना बताता है कि जलवायु परिवर्तन अब धरती के हर कोने को छू रहा है, चाहे अफ्रीका के गर्म रेगिस्तानी इलाके हों या यूरोप के बर्फीले पर्वत।
वैज्ञानिकों की राय है कि यदि कार्बन उत्सर्जन पर काबू नहीं पाया गया तो आने वाले समय में ऐसे हैरान करने वाले नजारे आम हो जाएंगे। यह मनुष्यों और अन्य जीवों के लिए बिल्कुल शुभ संकेत नहीं।
यह अभी साफ नहीं कि मच्छर आइसलैंड कैसे आए, लेकिन सबसे ज्यादा संभावना ग्लोबल वार्मिंग की है, यानी धरती के बढ़ते तापमान की।
आइसलैंड उत्तरी गोलार्ध के अन्य क्षेत्रों की तुलना में चार गुना तेज गर्म हो रहा है। बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 में यहां का मई महीना अब तक का सबसे गर्म रहा, जिसमें तापमान 26.6 डिग्री सेल्सियस तक चला गया।
यूरोप के सबसे पश्चिमी छोर पर स्थित यह छोटा द्वीपीय राष्ट्र ग्रीनलैंड सागर और उत्तर अटलांटिक महासागर के बीच है। पहले इसे मच्छरों से पूरी तरह आजाद माना जाता था, मगर अब हालात बदल गए हैं। इस महीने पहली बार यहां मच्छर मिले हैं, कुल तीन, जिनमें दो मादा और एक नर शामिल है।
राजधानी रेक्याविक के निकट क्यॉस कस्बे में कीटों के शौकीन ब्योर्न हाल्टासन ने अपने बगीचे में ये तीन मच्छर देखे। स्थानीय अखबार मॉर्गुनब्लादिद को उन्होंने बताया कि मैं फौरन समझ गया कि यह कुछ अनोखा है, जो मैंने कभी नहीं देखा। देश के वैज्ञानिकों ने भी इसकी तस्दीक की है।
जलवायु परिवर्तन और मच्छरों का फैलता प्रभाव
रॉयटर्स और एपी की रिपोर्टों में वैज्ञानिकों के हवाले से बताया गया है कि मच्छरों की सक्रियता तापमान पर निर्भर करती है। 10 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच वे सबसे ज्यादा सक्रिय होते हैं।
वातावरण में 42 प्रतिशत से ज्यादा नमी उनके प्रजनन और भोजन को गति देती है। अमेरिकी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के 2020 के शोध में कहा गया है कि बदलते मौसम में गर्म और नम दिनों की बढ़ोतरी मच्छरों की संख्या बढ़ाने का बड़ा कारण बन सकती है।
आमतौर पर आइसलैंड में मई का तापमान 20 डिग्री से ऊपर नहीं जाता, और अगर जाता है तो सिर्फ दो तीन दिन। इस बार लगातार दस दिनों तक गर्मी बनी रही।
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सिर्फ मौसमी आंकड़ों में नहीं बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में बड़े बदलाव की ओर इशारा करता है। मच्छर ठंडे खून वाले जीव हैं जो अपना तापमान खुद नियंत्रित नहीं कर पाते। वे पहले से गर्म जगहों में रहते हैं, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग ने उन्हें नए ठिकाने दे दिए हैं। अब वे उन इलाकों में भी जीवित रह रहे हैं जो पहले उनके लिए अनुकूल नहीं थे, जैसे आइसलैंड।
एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ता तापमान और नमी ने मच्छरों के लिए जीवित रहने और संतान बढ़ाने का सबसे उपयुक्त माहौल बना दिया है।
और कहां नहीं पाए जाते मच्छर ?
अंटार्कटिका में मच्छर बिल्कुल नहीं पाए जाते। यह पूरी तरह मच्छर मुक्त महाद्वीप है और धरती का इकलौता ऐसा महाद्वीप जहां अब तक कोई मच्छर नहीं मिला। साल भर बर्फीला रहता है और हर जगह तापमान शून्य से नीचे।
फरोए द्वीप समूह डेनमार्क के अधीन उत्तरी अटलांटिक में आइसलैंड और नॉर्वे के बीच स्थित है। यहां स्थायी मच्छर आबादी नहीं है। ठंडी हवाएं और तेज समुद्री झोंके उन्हें उड़ने या ठहरने नहीं देते। साल में 300 से अधिक दिन बारिश या तेज हवा चलती है जिससे लार्वा विकसित नहीं हो पाता।
ग्रीनलैंड यह देश भी करीब करीब मच्छर मुक्त है। हालांकि दक्षिणी हिस्सों में गर्मियों में कुछ मच्छर दिखते हैं। देश के 80 प्रतिशत बर्फीले क्षेत्र में मच्छर नहीं पनप सकते क्योंकि पानी और मिट्टी ज्यादातर समय जमी रहती है। इसे मच्छर मुक्त देशों में गिना जाता है।
सेशेल्स मॉरीशस और मालदीव के कुछ द्वीप ये गर्म इलाके हैं मगर कुछ छोटे द्वीप प्राकृतिक रूप से मच्छर रहित हैं। मच्छरों को अंडे देने के लिए मीठा या स्थिर पानी चाहिए जो इन द्वीपों पर नहीं है, सिर्फ खारा समुद्री पानी या बहते स्रोत। हालांकि पर्यटन और मानवीय गतिविधियों से अब कई द्वीपों में मच्छर आने लगे हैं।

