Bilaspur Train Accident: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में 4 नवंबर को हुए भयानक रेल हादसे ने रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। गतौरा से बिलासपुर जा रही मेमू ट्रेन लालखदान इलाके में एक मालगाड़ी से जोरदार टक्कर मार बैठी। इस दुर्घटना में 11 लोगों की जान चली गई, जबकि 25 से अधिक यात्री घायल हो गए। अब लोको पायलट के खिलाफ पुलिस ने गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है। पांच विभागों की शुरुआती जांच की रिपोर्ट सामने आयी है इस रिपोर्ट में लाल सिग्नल तोड़ना और तेज रफ्तार ही हादसे की मुख्य वजह बने।
तेज स्पीड और सिग्नल की गलती, क्या हुआ था?
जांच रिपोर्ट के अनुसार, मेमू ट्रेन उस वक्त 76 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही थी। हादसे वाली जगह पर एक घुमावदार रास्ता था, जहां सिग्नल रेड होने के बावजूद ड्राइवर विद्या सागर ने ट्रेन नहीं रोकी। रेलवे की भाषा में इसे ‘सिग्नल पास्ड एट डेंजर’ कहते हैं यानी खतरे के सिग्नल को नजरअंदाज करना। आशंका है कि ड्राइवर ने गलती से दूसरी लाइन का सिग्नल देख लिया और ट्रेन को तेजी से आगे बढ़ा दिया। मालगाड़ी को देखते ही ब्रेक लगाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि ट्रेन की रफ्तार 50 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई। विद्या सागर को महज एक महीने पहले ही प्रमोशन मिला था और उन्हें पैसेंजर ट्रेन की जिम्मेदारी सौंपी गई। पहले वे मालगाड़ी चलाते थे इसलिए पैसेंजर ट्रेन की स्पीड का सही अंदाजा न लगा पाए। महिला सहायक लोको पायलट रश्मि राज भी घायल हैं और उनकी हालत अभी गंभीर बनी हुई है। उन्हें अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
सिग्नल सिस्टम में खामी
रिपोर्ट में एक बड़ी कमी सामने आई है – इस रूट पर पहले दो लाइनें थीं, लेकिन अब चार हो गई हैं। नतीजा? सिग्नल की संख्या चार से बढ़कर 16 हो गई। इतने सारे सिग्नल देखकर चालकों को भ्रम होता रहता है। एलएआरएसए (लोकोमोटिव एसोसिएशन) ने पहले ही रेल प्रबंधन को लिखित शिकायत की थी। उन्होंने मांग की थी कि सिग्नल की जानकारी सीधे ट्रेन के केबिन में दिखाई जाए। लेकिन इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि कम अनुभव और सिग्नल जजमेंट की गलती से ये हादसा हुआ।
स्टेशन मास्टर की रिपोर्ट पर एफआईआर
तोरवा थाने में स्टेशन अधीक्षक (वाणिज्य) की शिकायत पर एफआईआर दर्ज हुई। इसमें सिर्फ ‘ट्रेन चालक’ का जिक्र है, नाम नहीं। चूंकि विद्या सागर की मौत हो चुकी है इसलिए जांच पूरी होने के बाद ही पूरी सच्चाई सामने आएगी। थाना प्रभारी अभय सिंह बैस ने मीडिया को बताया ‘हादसे में लापरवाही साफ दिख रही है। पूरी तफ्तीश के बाद ही अगला कदम उठाया जाएगा।’
साइट पर 40 मिनट की जांच, 19 अफसरों को नोटिस
हादसे के दूसरे दिन, 5 नवंबर को दक्षिण पूर्वी सर्किल के रेलवे सेफ्टी कमिश्नर बीके मिश्रा घटनास्थल पर पहुंचे। दोपहर 12 बजे लालखदान पहुंचकर उन्होंने 140 से 200 मीटर के इलाके में पटरी की बारीकी से जांच की। दुर्घटनाग्रस्त कोच के अंदर भी गए और हालात का जायजा लिया। निरीक्षण के बाद डीआरएम राजमल खोईवाल और अन्य अफसरों के साथ ट्रॉली से बिलासपुर लौटे।सीआरएस ने अब 19 अधिकारियों और कर्मचारियों को 6 नवंबर सुबह डीआरएम ऑफिस बुलाया है। उन्हें जरूरी कागजात लेकर पूछताछ के लिए हाजिर होने को कहा गया। पूरी रिपोर्ट जल्द ही आएगी।

