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आंदोलन की खबरछत्तीसगढ़

अनियमित कर्मचारियों का बड़ा ऐलान, दिसंबर में करेंगे महाआंदोलन

पूनम ऋतु सेन
पूनम ऋतु सेन
Byपूनम ऋतु सेन
पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की...
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Published: November 5, 2025 7:21 PM
Last updated: November 5, 2025 7:30 PM
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Aandolan Ki Khabar
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Aandolan Ki Khabar: छत्तीसगढ़ के सरकारी दफ्तरों में बिना नियमित नियुक्ति के काम करने वाले हजारों कर्मचारियों ने सरकार की उदासीनता से तंग आकर दिसंबर में राज्यव्यापी विशाल प्रदर्शन का फैसला किया है। छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी फेडरेशन की हालिया बैठक में यह निर्णय लिया गया जहां संगठन ने बताया कि ये कर्मचारी पिछले 5 से 30 सालों से सरकारी योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने में जुटे हैं, लेकिन उन्हें ‘अनियमित’ का तमगा देकर अपमानित किया जा रहा है। इनकी हालत आज बंधुआ मजदूरों जैसी हो गई है, परिवार का बोझ, आर्थिक तंगी और नौकरी की असुरक्षा के कारण वे अन्याय सहते चले आ रहे हैं।

छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी फेडरेशन का कहना है कि वर्तमान भाजपा सरकार ने चुनाव से पहले इनकी मांगों पर भरोसा दिलाया था लेकिन सत्ता में आने के 17 महीने बाद भी कोई कदम नहीं उठाया गया। मोदी की ‘गारंटी 2023’ पत्र में वादा किया गया था कि एक कमेटी बनेगी, जिसमें अनियमित कर्मचारियों को शामिल कर उनकी समस्याओं का समाधान होगा, लेकिन कमेटी के आदेश में उनका जिक्र ही नहीं है।

न्यूनतम वेतन की समीक्षा 2017 से रुकी हुई है और संविदा वेतन अगस्त 2023 के बाद नहीं बढ़ा। ऊपर से आंदोलन को दबाने के लिए धरना स्थल शहर से दूर तुता भेज दिया गया जबकि अन्य संगठनों को शहर में जगह मिल रही है। कई विभागों में महीनों से वेतन रुका है और पुराने कर्मचारियों की छंटनी हो रही है। फेडरेशन की मुख्य मांगे हैं, नियमितीकरण, बर्खास्तगी रद्द करना, न्यूनतम वेतन, अंशकालिक को पूर्णकालिक बनाना और ठेका-अनुबंध प्रथा बंद कर विभाग में समायोजन। प्रदेश अध्यक्ष गोपाल प्रसाद साहू ने कहा कि सरकार की इस लापरवाही से कर्मचारी आहत और गुस्से में हैं, अब सड़क पर उतरना पड़ेगा।

2025 में जुलाई से ही संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों ने 11-सूत्रीय मांगों के साथ मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपे, जिसमें नियमितीकरण के अलावा वेतन वृद्धि और छंटनी रोकने की अपील की गई। अगस्त में जिला स्तर पर एकदिवसीय हड़ताल हुई, जिसमें हजारों कर्मचारी सड़कों पर उतरे और स्कूल-दफ्तर ठप हो गए। अक्टूबर तक अनिश्चितकालीन धरने चले लेकिन सरकार की चुप्पी से निराश फेडरेशन अब फिर से बड़े आंदोलन की तैयारी में जुटा है, जिससे सरकारी सेवाओं पर असर पड़ सकता है।

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Byपूनम ऋतु सेन
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पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की उत्सुकता पत्रकारिता की ओर खींच लाई। विगत 5 वर्षों से वीमेन, एजुकेशन, पॉलिटिकल, लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर लगातार खबर कर रहीं हैं और सेन्ट्रल इण्डिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अलग-अलग पदों पर काम किया है। द लेंस में बतौर जर्नलिस्ट कुछ नया सीखने के उद्देश्य से फरवरी 2025 से सच की तलाश का सफर शुरू किया है।
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