नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के उस बयान से सियासी तूफान मच गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर प्रधानमंत्री मोदी भारत के पहले गृह मंत्री वल्लभभाई पटेल के विचारों का सम्मान करते हैं तो उन्हें RSS पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।उन्होंने कहा था कि देश में सभी गलतियां और यहां कानून-व्यवस्था की सभी समस्याएं भाजपा और RSS की देन हैं।
खड़गे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कह दिया कि चैट जीपीटी में देख लेना चाहिए कि वो आरएसएस के प्रतिबंध को लेकर क्या कहता है अगर वो बता रहा है की प्रतिबंध लगाया गया था तो आरएसएस पर मुकदमा कर देना चाहिए। अब दो दिनों बाद आरएसएस और बीजेपी की खड़गे के इस बयान पर प्रक्रिया आई है आरएसएस ने पूर्व के प्रतिबंध को असंवैधानिक बताया है।
RSS ने क्या कहा ?
आरएसएस, जो आमतौर पर प्रतिक्रियाओं से बचता है उस ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इस संगठन को देश ने स्वीकार कर लिया है। संघ सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा, “एक ऐसा संगठन जो देश की सुरक्षा, विकास, संस्कृति और एकता के लिए काम करता है, एक राजनेता उस पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं।
लेकिन वह यह नहीं बता रहे कि क्यों?” उन्होंने आगे कहा,”उन्होंने पहले भी ऐसा करने की कोशिश की थी। नतीजा क्या हुआ? समाज ने संघ को स्वीकार कर लिया है और सरकार ने भी इस निष्कर्ष पर पहुँचकर प्रतिबंध अवैधानिक थे और उसी के अनुसार निर्णय लिया। मुझे लगता है कि ऐसे नेता को मामलों को संवेदनशीलता से लेना चाहिए।”
प्रियांक ने भी की थी माँग
दरअसल मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान के पूर्व उनके बेटे और कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने कर्नाटक में संघ पर प्रतिबंध की बात कही थी। प्रियांक आरएसएस पर अपने कड़े विचारों के लिए जाने जाते हैं।
उन्होंने पत्र लिखकर राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी मंदिरों में आरएसएस की गतिविधियों पर रोक लगाने का आग्रह किया था। उन्होंने संगठन पर “युवाओं का ब्रेनवॉश” करने और “संविधान के विरुद्ध बातों ” को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था।गौरतलब है कि कर्नाटक सरकार ने आरएसएस के एक कार्यक्रम में भाग लेने की वजह से एक अधिकारी को निलंबित भी कर दिया।
बाबा रामदेव की कड़ी प्रतिक्रिया
योग गुरु बाबा रामदेव नेभी खड़गे के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जिनके विचार भारत और भारतीयता से मेल नहीं खाते वही इस तरह के एजेंडा चलाते हैं। उन्हें लड़ाई करनी है तो अमित शाह और मोदी जी से करें, उन्हें तो वो हरा नहीं पाते हैं फिर आरएसएस पर अभद्र टिप्पणियां करते हैं।
बाबा रामदेव ने दिल्ली में इंटरव्यू में कहा, ”आरएसएस कोई पॉलिटिकल पार्टी नहीं है। पॉलिटिकल विंग बीजेपी है। लड़ाई करनी है तो अमित शाह और मोदी जी से करो। उनको हरा नहीं पाते हैं फिर आरएसएस पर अभद्र टिप्पणियां करते रहते हैं।
आरएसएस को मैं पिछले दो-तीन दशकों से बहुत करीब से देख रहा हूं, उसमें बहुत अच्छे और तपस्वी लोग हैं। उन्होंने आगे कहा कि जिनके विचार भारत और भारतीयता से मेल नहीं खाते फिर वो इस तरह के एजेंडा चलाते हैं।”
कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्गे द्वारा आरएसएस पर प्रतिबंध की मांग के बयान पर बीजेपी नेता और हरियाण सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। जिसमें उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जैसे उल्लू को रोशनी से डर लगता है वैसे ही इन्हें आरएसएस से डर लगता है।अनिल विज ने आरएसएस को देशभक्त संगठन बताया।
कब कब लगा प्रतिबंध
अब तक तीन बार आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया गया है।
⦁ 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद नेहरू सरकार ने फरवरी 1948 में RSS पर बैन लगाया। जुलाई 1949 में इसे हटा लिया गया।
⦁ इंदिरा सरकार ने इमरजेंसी के दौरान जून 1975 से मार्च 1977 तक RSS पर प्रतिबंध लगाया।
⦁ अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद 10 दिसंबर 1992 को RSS पर बैन लगाया गया। यह 4 जून 1993 तक लागू रहा।

