रायपुर। छत्तीसगढ़ में जन्मदिन सेलिब्रेशन ने राजनीतिक विवाद का रूप ले लिया है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री Shyam Bihari Jaiswal के निजी सहायक राजेंद्र दास ने अपनी पत्नी का जन्मदिन चिरमिरी की सड़क पर मनाया। वीडियो में दिख रहा है कि लग्जरी कार के बोनट पर केक काटा गया और आसपास पटाखों की धूम मचाई गई। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया, जिससे विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा।
कांग्रेस ने सवाल उठाया कि क्या हाईकोर्ट के सख्त निर्देश जो सड़कों पर ऐसी पार्टियों पर रोक लगाते हैं सिर्फ आम लोगों के लिए हैं? भाजपा के नेताओं और उनके सहयोगियों को इनका पालन नहीं करना पड़ता? पार्टी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “सड़क को निजी संपत्ति की तरह इस्तेमाल करना गलत है। कानून सबके लिए बराबर होना चाहिए।”
घटना की पूरी कहानी
यह मामला गुरुवार रात का है। चिरमिरी में राजेंद्र दास, जो भाजपा के स्थानीय नेता भी हैं, उन्होंने पत्नी के जन्मदिन को यादगार बनाने की कोशिश की। वीडियो में पत्नी कार के पास खड़ी होकर केक काटती नजर आ रही हैं जबकि दोस्तों-रिश्तेदारों ने पटाखे फोड़े। सड़क पर यह नजारा देखने वाले राहगीर हैरान रह गए। हाईकोर्ट ने पहले भी ऐसे मामलों में चेतावनी दी है। कोर्ट का कहना है कि सड़कें सार्वजनिक जगहें हैं, इन्हें निजी उत्सवों के लिए बंद नहीं किया जा सकता। इससे ट्रैफिक बाधित होता है और सुरक्षा को खतरा बढ़ता है।
आरोपी का पक्ष
राजेंद्र दास ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। चिरमिरी में कोई बड़ा हाईवे नहीं है, जहां यह हुआ। पटाखे घर के पास गली में फोड़े गए और वो भी मेरे दोस्तों ने। मैंने खुद कुछ नहीं किया। केक काटना भी सड़क पर नहीं, कार के पास ही था।” दास ने इसे राजनीतिक साजिश बताया और कहा कि कांग्रेस छोटी-छोटी बातों को तूल दे रही है।
पुलिस की कार्रवाई
विवाद बढ़ते ही चिरमिरी पुलिस हरकत में आ गई। थाने में एक FIR दर्ज कर ली गई है। अधिकारी बता रहे हैं कि जांच चल रही है। अगर नियम टूटे पाए गए, तो सख्त कदम उठाए जाएंगे। इससे पहले भी राज्य में सड़क पर जन्मदिन मनाने के कई मामले सामने आए हैं, जहां कोर्ट ने जुर्माना और कानूनी कार्रवाई का आदेश दिया था। यह घटना राज्य की सियासत को और गर्म कर रही है। कांग्रेस इसे भाजपा सरकार पर ‘कानून की अवहेलना’ का सबूत बता रही है, जबकि सत्ताधारी दल इसे ‘निजी मामला’ कहकर टाल रहा है।