लेंस डेस्क। Cloudburst in Uttarkashi: उत्तराखंड के धराली में आज 5 अगस्त को बादल फटने से तबाही मच गयी। खीरगंगा गांव में बादल फटने से बाढ़ और मलबे का सैलाब आ गया जिसने पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया। हर्षिल के पास इस आपदा ने भारी नुकसान पहुंचाया, जहां मलबे के साथ बहने से सेना का एक कैंप भी प्रभावित हुआ। इस हादसे में भारतीय सेना के 8-10 जवान लापता हो गए हैं।
एक सैन्य अधिकारी ने मीडिया को बताया कि हर्षिल के निचले इलाके में स्थित एक शिविर से 8-10 जवान लापता हैं। इसके बावजूद, सेना के जवान राहत और बचाव कार्यों में पूरी ताकत से जुटे हुए हैं, प्रभावित लोगों की मदद कर रहे हैं।
इस आपदा की गंभीरता को देखते हुए, प्रशासन ने तुरंत एक विशेष चिकित्सा टीम को धराली भेजने का आदेश दिया है। इस टीम में सर्जन, एनेस्थेटिस्ट, फिजीशियन और हड्डी रोग विशेषज्ञ शामिल हैं, जो घायलों को त्वरित उपचार प्रदान करेंगे।
इस खबर को लिखे जाने तक इस त्रासदी में अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता हैं। कई लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है।
देहरादून से 218 किलोमीटर दूर बसे धराली गांव में बाढ़ का पानी और मलबा घरों, होटलों और दुकानों में घुस गया, जिससे धराली बाजार पूरी तरह तहस-नहस हो गया। सोशल मीडिया में उपलब्ध खबरों के अनुसार, जैसे ही पानी का सैलाब गांव की ओर बढ़ा, लोगों में दहशत फैल गई और चीख-पुकार मच गई। पिछले दो दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने इस आपदा को और भी विनाशकारी बना दिया। बचाव कार्य तेजी से जारी है। SDRF, NDRF और भारतीय सेना की टीमें मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव अभियान चला रही हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्थिति पर कड़ी नजर रखने और प्रभावितों को तत्काल सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है।
बादल फटना कोई सामान्य बारिश नहीं है। यह एक ऐसी घटना है, जिसमें कुछ ही मिनटों में 100 मिमी से ज्यादा बारिश एक छोटे से क्षेत्र में गिरती है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, अगर 10 वर्ग किलोमीटर के दायरे में एक घंटे में 10 सेमी बारिश हो, तो इसे बादल फटना कहते है बीते कुछ महीनों में हिमाचल और उत्तराखंड में बादल फटने की कई घटनाएं सामने आ चुकीं हैं । द लेंस इन खबरों पर अपनी नजर बनाए हुए है।