Supreme Court on Dog Attack Cases: सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों से जुड़ी बढ़ती समस्या पर चिंता जताते हुए सभी राज्यों को कड़े कदम उठाने का आदेश दिया है। अब सार्वजनिक जगहों पर घूमने वाले इन जानवरों को तुरंत हटाने की मुहिम तेज हो जाएगी।देशभर में कुत्तों के काटने की घटनाओं में तेजी से इजाफा हो रहा है। इसी चिंता से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, बस अड्डे, रेलवे स्टेशन और खेल परिसरों जैसी जगहों से सभी आवारा कुत्तों को हटाकर उन्हें सुरक्षित शेल्टर होम में स्थानांतरित किया जाए। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारवाला की बेंच ने यह निर्देश देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के एक पुराने फैसले को पूरे देश में लागू करने का आदेश दिया।
अदालत ने खुद कैसे लिया संज्ञान?
यह मामला जुलाई 2025 में शुरू हुआ था। 28 जुलाई को जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने देश में बढ़ते रेबीज और कुत्तों के हमलों के मामलों पर खुद से संज्ञान लिया। उन्होंने आवारा कुत्तों की समस्या को ‘गंभीर खतरा’ कहा। अगस्त में अदालत ने दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद जैसे इलाकों में कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में भेजने का आदेश दिया। लेकिन कुछ वकीलों ने आपत्ति जताई कि यह निर्देश पहले के कुछ फैसलों से टकरा रहा है।
इस विवाद के बाद मामला जस्टिस विक्रम नाथ की तीन जजों की बेंच को सौंप दिया गया। 22 अगस्त को इस बेंच ने 11 अगस्त के आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि नसबंदी और टीकाकरण के बाद स्वस्थ कुत्तों को उसी इलाके में वापस छोड़ना चाहिए, सिवाय उन जानवरों के जो आक्रामक हैं या रेबीज से प्रभावित। साथ ही, सार्वजनिक जगहों पर कुत्तों को खाना खिलाने पर भी पाबंदी लगाई गई। अदालत ने अलग से फीडिंग जोन बनाने का सुझाव दिया।
तीन महीने पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने भी इसी तरह का सख्त रुख अपनाया था। उसने सड़कों और हाईवे से आवारा पशुओं को हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर कोई सरकारी अधिकारी या व्यक्ति इस कार्रवाई में बाधा डालता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी। सुप्रीम कोर्ट ने अब इस फैसले को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का फैसला किया है।
आज के फैसले की मुख्य बातें: क्या-क्या बदलाव होंगे?
सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों और अन्य पशुओं से निपटने के लिए कई स्पष्ट निर्देश जारी किए।
सार्वजनिक जगहों से हटाओ, शेल्टर भेजो: सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दो हफ्तों में स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और खेल मैदानों जैसी जगहों की पहचान करनी होगी। इनसे आवारा कुत्तों को हटाकर आश्रय गृहों में भेजा जाए। इन्हें पकड़ने के लिए संयुक्त अभियान दल बनाए जाएंगे।
हाईवे पर साफ-सफाई: नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को हाईवे से आवारा पशुओं को हटाने का जिम्मा सौंपा गया। सभी हाईवे पर हेल्पलाइन नंबर लगाए जाएंगे, जहां लोग आवारा जानवरों की शिकायत कर सकेंगे।
बाड़ लगाओ, सुरक्षा बढ़ाओ: इन जगहों पर बाड़ या फेंसिंग लगाकर जानवरों की एंट्री रोकी जाए। रखरखाव के लिए हर राज्य में एक नोडल अधिकारी नियुक्त होगा। नगर निगम, पंचायत और अन्य स्थानीय निकाय हर तीन महीने में जांच करेंगे।
वापसी पर रोक: पकड़े गए कुत्तों को उसी जगह वापस न छोड़ा जाए जहां से उन्हें उठाया गया। अगर कोई कुत्ता आक्रामक है या बीमार, तो उसे अलग तरीके से संभाला जाए।
मॉनिटरिंग और रिपोर्ट: सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को इन निर्देशों का सख्ती से पालन कराना होगा। तीन हफ्तों में स्टेटस रिपोर्ट और हलफनामा कोर्ट में दाखिल करना होगा। बाधा डालने वालों पर कानूनी कार्रवाई होगी।
अदालत ने 8 हफ्तों का समय दिया है ताकि ये कदम प्रभावी ढंग से लागू हो सकें।

