रायपुर। क्या रायपुर में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से जुड़े शिष्टाचार का यथोचित पालन करने में चूक हुई ? क्या ओम बिरला रायपुर में उपेक्षित हुए? सबसे बड़ा सवाल – क्या रायपुर में होने के बावजूद राज्य सरकार ने उन्हें प्रधानमंत्री के साथ राज्योत्सव में शामिल होने का न्यौता भी नहीं दिया गया था ? क्या अप्रसन्नता के कारण ओम बिरला शाम की बजाए दोपहर ही वापस दिल्ली लौट गए ?
ये सवाल छत्तीसगढ़ में चर्चा में हैं।
ओम बिरला छत्तीसगढ़ के नए विधान सभा भवन के लोकार्पण समारोह में हिस्सा लेने 31 अक्टूबर की शाम नियमित विमान से रायपुर आए थे।
उन्हें विधानसभा अध्यक्ष डॉ.रमन सिंह ने दिल्ली जा कर एक महीना पहले ही न्यौता दिया था।

नया विधानसभा भवन भव्य है और 324 करोड़ की लागत से बना है।इसमें 2 सौ प्रतिनिधियों के बैठने की व्यवस्था है।
राज्य के स्थापना दिवस 1 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका लोकार्पण किया और इसी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लोकसभा अध्यक्ष भी रायपुर आए थे।
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक ओम बिरला जब रायपुर पहुंचे तो उनके लिए अप्रसन्नता का पहला कारण था इस कार्यक्रम का निमंत्रण पत्र !
दरअसल नए विधानसभा भवन के निमंत्रण पत्र में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला,जिन्हें खासतौर पर एक महीने पहले से न्यौता दिया गया था,का नाम ही नहीं था !
इस निमंत्रण पत्र में सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह का ही नाम था। जबकि प्रोटोकॉल के भी मुताबिक लोकसभा अध्यक्ष को यूं नजरअंदाज किया नहीं जा सकता।
पार्टी के सूत्र बताते हैं कि ओम बिरला के लिए यह पहला झटका था। उन्हें अगले दिन 1 नवंबर को शाम 5.30 बजे नियमित विमान से ही वापस दिल्ली लौटना था। स्वाभाविक तौर पर यह माना जा रहा था कि विधानसभा भवन के लोकार्पण के बाद वे प्रधानमंत्री के साथ ही राज्योत्सव के मुख्य कार्यक्रम में भी शामिल होंगे लेकिन बताते हैं कि उन्हें राज्योत्सव के इस मुख्य कार्यक्रम का तो न्योता ही नहीं दिया गया !
यह उनके लिए दूसरा झटका था!
इसके बाद ओम बिरला ने अपनी वापसी का कार्यक्रम बदला और शाम 5.30 बजे के बजाय दोपहर 2.30 बजे ही दिल्ली के लिए उड़ गए !
सत्ता के गलियारे में इसे लोकसभा अध्यक्ष की तौहीन के रूप में ही देखा जा रहा है। हालांकि आज यह भी हकीकत है कि कहीं भी प्रधानमंत्री की मौजूदगी में किसी और महत्वपूर्ण व्यक्ति के प्रोटोकॉल का ध्यान रखने में चूक हो ही जाती है।
इस मामले में छत्तीसगढ़ विधानसभा के आधिकारिक सूत्रों ने कहा – ‘वे शाम 5.30 बजे के बजाए दोपहर 2.30 ही क्यों लौट गए इसकी जानकारी हमें नहीं है।यह तो उनका सचिवालय ही बताएगा। दूसरी बात, निमंत्रण पत्र की तो उन्हें तो आदरपूर्वक एक महीना पहले ही आमंत्रित किया गया था इसलिए अलग से निमंत्रण पत्र में नाम नहीं था।’
जानकार कहते हैं कि इसे छत्तीसगढ़ से की जा रही लीपापोती कह सकते हैं क्योंकि यह अधिकारियों के स्तर की बात भी नहीं थी । लोकसभा के अध्यक्ष प्रोटोकॉल के हिसाब से भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ देश की छठवें क्रम की हस्ती हैं। उनसे जुड़े शिष्टाचार का ध्यान तो सत्ता के उच्च स्तरों को ही रखना चाहिए था।
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