[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
हारिस रऊफ पर ICC का दो मैच का बैन, सूर्यकुमार यादव की मैच फीस भी कटी
क्या लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला रायपुर से अप्रसन्न लौटे?
SIR पर बिफरी ममता बनर्जी, चुनाव आयोग से पूछा बिहार में कितने रोहिंग्या मिले?
मथुरा : दलि‍त बच्‍ची से सामूहिक दुष्‍कर्म मामले में पुलिस खाली हाथ, जानिए कहां पहुंची जांच
QS Asia Rankings 2026 :  IIT दिल्ली लगातार दूसरी बार टॉप पर, लेकिन 15 पायदान लुढ़का, बाकी संस्‍थानों की रैंकिंग भी गिरी
सुरक्षा के तमाम उपायों के बावजूद क्‍यों हो रहे रेल हादसे?
अपडेट : बिलासपुर रेल हादसे में लोको पायलट सहित 7 की मौत, हेल्पलाइन नंबर जारी, रेलवे ने किए मुआवजे का ऐलान
कनाडा ने 74 फीसदी भारतीय छात्रों का वीजा आवेदन रद्द किया
छत्तीसगढ़ में क्यों लगी तबादलों पर रोक? जानिए वजह
नेपाल के लोग बिहार चुनाव को लेकर उत्साहित क्यों है?
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
लेंस संपादकीय

बिलासपुर में ट्रेनों की टक्करः सांस्थानिक लापरवाही का नतीजा

Editorial Board
Editorial Board
Published: November 4, 2025 9:08 PM
Last updated: November 4, 2025 9:09 PM
Share
Bilaspur train accident
SHARE
The Lens को अपना न्यूज सोर्स बनाएं

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के नजदीक लाल खदान में हावड़ा-मुंबई रेल लाइन पर एक मेमू ट्रेन और मालगाड़ी में हुई भीषण टक्कर भारतीय रेलवे की सुरक्षा प्राथमिकताओं पर एक और सवालिया निशान की तरह है। पता चला है कि रेल लाइन पर खड़ी एक मालगाड़ी को पीछे से उसी ट्रैक पर आ रही कोरबा मेमू ने जोर की टक्कर मार दी, जिससे यह हादसा हुआ।

हादसे में छह लोगों की मौत की पुष्टि की गई है, और कई घायलों की स्थिति गंभीर है। दोनों ट्रेनों में हुई टक्कर इतनी भीषण थी कि दोनों के डिब्बे एक दूसरे पर चढ़ गए। यहां तक कि कई डिब्बों में फंसे कुछ घायल यात्रियों को बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला जा सका।

यह हादसा कुछ वर्षों के दौरान हुए कई बड़े रेल हादसों की पुनरावृत्ति की तरह है, जिसमें दो ट्रेनें एक ही ट्रैक पर आ गईं। सालभर पहले ओडिशा के लिंगराज स्टेशन पर तो एक ट्रैक पर चार ट्रेनें एक साथ चल रही थीं, गनीमत भर यह थी कि कोई बड़ा हादसा नहीं हआ। पिछले साल 17 जून को पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग में बिलासपुर में हुए हादसे की तरह एक मालगाड़ी और कंचनजंगा एक्सप्रेस में टक्कर हो गई थी, जिसमें अनेक लोग मारे गए थे।

जाहिर है, बिलासपुर में हुए रेल हादसे ने एक बार फिर यात्रियों की सुरक्षा को लेकर किए जाने वाले दावों की धज्जियां उड़ा दी है। दोहराने की जरूरत नहीं कि इस हादसे के बाद भी कई तरह की जांच बिठा दी जाएंगी। मुआवजों की घोषणाएं हो ही चुकी हैं। संभव है कि कुछ अधिकारियों या कर्मचारियों का निलंबन भी हो जाए।

दरअसल जरूरत इन औपचारिकताओं से आगे जाकर इस हादसे के लिए संस्थागत लापरवाही की शिनाख्त करने की है। यही ठीक मौका है जब रेलवे और रेल मंत्री की प्राथमिकतों पर सवाल किए जाएं। रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने पिछले साल अगस्त में रेलवे सुरक्षा से संबंधित कवच-4.0 प्रणाली को डीआरडीओ से मिली मंजूरी की जानकारी देते हुए कहा था कि यह प्रणाली रेलवे ट्रैक को सुरक्षित रखेगी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि अगले दो सालों में सारे रेल ट्रैक और दस हजार ट्रेन इंजिनों में भी इसे लगाया जाएगा।

उनके इस दावे में कितनी गंभीरता थी, यह बिलासपुर में हुए हादसे में देखा जा सकता है। दरअसल यह कहने में गुरेज नहीं किया जाना चाहिए कि रेल मंत्री वैष्णव की प्राथमिकताएं कुछ और हैं यहां तक कि नई ट्रेनें शुरू करने पर उसे हरी झंडी दिखाने का काम भी खुद प्रधानमंत्री मोदी ने संभाल रखा है!

वास्तविकता यह है कि यूपीए सरकार के समय रेलवे की सुरक्षा को लेकर 2012 में परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल काकोदकर की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी, जिसने ट्रेनों की टक्करों को रोकने के लिए कवच प्रणाली ( ट्रेन कोलिजन बयाव प्रणाली) पेश की थी। एक दशक से भी अधिक समय के बाद हालत यह है कि दो साल पहले तक देश के महज दो फीसदी रेलवे ट्रैक को ही इसके तहत कवर किया जा सका था!

रोजाना 2.3 करोड़ लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने वाले भारतीय रेलवे के ऊपर सचमुच बड़ी जिम्मेदारी है। जाहिर है, उनकी सुरक्षित यात्रा के लिए जिम्मेदार शीर्ष लोगों से सीधे सवाल किया जाना चाहिए और जरूरत पड़ने पर उन पर कार्रवाई भी होनी चाहिए, फिर वह रेल मंत्री ही क्यों न हों!

TAGGED:Bilaspur train accidentChhaattisgarhEditorial
Previous Article Dalit girl gang rape मथुरा : दलि‍त बच्‍ची से सामूहिक दुष्‍कर्म मामले में पुलिस खाली हाथ, जानिए कहां पहुंची जांच
Next Article Mamata Banerjee SIR protest march SIR पर बिफरी ममता बनर्जी, चुनाव आयोग से पूछा बिहार में कितने रोहिंग्या मिले?
Lens poster

Popular Posts

माओवादियों का बयान साजिश, शहीद नहीं आतंक और हिंसा के युग का मुख्य सूत्रधार था बसवराजू: बस्तर आईजी

रायपुर। नक्सलियों के सबसे बड़े नेता बसवराजू (Basavaraju) की मौत के बाद भाकपा (माओवादी) दंडकारण्य…

By दानिश अनवर

बोरेबासी दिवस की एक थाली 32 रुपए की, लेकिन प्रति व्यक्ति खर्च था 17 सौ रुपए !

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय श्रमिक दिवस के अवसर पर बोरेबासी तिहार…

By नितिन मिश्रा

लॉरेंस बिश्नोई गैंग के 5 गुर्गों की गिरफ्तारी, मुंबई क्राइम ब्रांच को मिली सफलता

द लेंस डेस्क। मुंबई क्राइम ब्रांच की एंटी एक्सटॉर्शन सेल ने एक बड़ी कार्रवाई में 5…

By पूनम ऋतु सेन

You Might Also Like

MUMBAI TRAIN BLAST CASE
English

Law enforcement and justice delivery both have turned dysfunctional

By Editorial Board
Naxal violence
छत्तीसगढ़

नक्सलवाद के खिलाफ रणनीति पर रायपुर में अहम बैठक

By Lens News
The Lens
लेंस संपादकीय

हमारा विश्वास सच और संवाद

By Editorial Board
English

Judicial credibility needs to be salvaged

By The Lens Desk

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?