रायपुर। नंदनवन चिड़ियाघर जंगल सफारी की बाघिन ‘बिजली’ को बेहतर उपचार के लिए गुजरात के जामनगर स्थित वंतारा रेस्क्यू और पुनर्वास केंद्र रवाना किया गया था, लेकिन गुरुवार को पहुंचने के बाद उसका इलाज शुरू होता, उससे पहले ही बिजली की मौत हो गई।
दो महीने से बीमार बाघिल ‘बिजली’ की हालत जब गंभीर हो गई तो उसे रायपुर से रवाना किया गया। जंगल सफारी प्रबंधन ने वंतारा रवाना होने से पहले बताया था कि वन मंत्री केदार कश्यप के निर्देश पर उन्हें भेजा गया है, ताकि बिजली का बेहतर इलाज हो सके। लेकिन, ट्रेन से 16 सौ किलोमीटर का सफर करने की वजह से आई परेशानियों के चलते सेंटर पहुंचने के बाद बिजली की तबियत और बिगड़ गई और उसे बचाया नहीं जा सका।
अब जब बिजली की मौत हो गई है तो उसे वंतारा भेजने के फैसले को ही गलत ठहराया जा रहा है। सवाल उठ रहे हैं कि जब बिजली की तबियत दो महीने पहले खराब हुई थी, तब उसे वंतारा सेंटर क्यों नहीं भेजा गया।
‘बिजली’ को वंतारा भेजने के फैसले पर वन्य प्राणी संरक्षण कार्यकर्ता नितिन सिंघवी कहते हैं, ‘बाघिन पिछले दो महीने से बीमार थे। लगातार उसकी तबियत बिगड़ते जा रही थी। बिजली की रायपुर में मौत होती तो बड़ा हंगामा होता। वंतारा भेजने पर वो हंगामा नहीं हो रहा है। इसी हंगामे से बचने के लिए जंगल सफारी प्रबंधन ने उसे वंतारा भेजने का फैसला लिया है।’

नितिन सिंघवी ने सवाल उठाया, ‘जब हमें मालूम था कि उसकी सेहत बहुत ही खराब है, तो उसे 16 सौ किलोमीटर का लंबा सफर भेजकर उसे तकलीफ क्यों दी गई? उसे इतना कष्ट नहीं देना चाहिए था।’
नितिन आगे कहते हैं, ‘दो महीने से उसकी तबियत खराब थी। अगर यही काम करना था, तो पहले भेज देते। ऐसे में इसकी पूरी जिम्मेदारी जंगल सफारी प्रबंधन की है।’
बिजली की मौत की खबर वंतारा सेंटर ने सोशल मीडिया के जरिए दी।
वंतारा सेंटर प्रबंधन की तरफ से सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया, ‘हम अत्यंत दुःख के साथ जंगल सफारी रायपुर की बहादुर बाघिन बिजली के निधन की सूचना दे रहे हैं, जो हर संभव प्रयास के बावजूद कल रात हमें छोड़कर चली गई।’
अपने लंबे समय से देखभाल करने वाले और हमारी समर्पित टीम के साथ, वह अंत तक अदम्य साहस के साथ लड़ी। हम उसकी यात्रा के दौरान आपकी प्रार्थनाओं और समर्थन के लिए तहे दिल से आभारी हैं।
हमारा वादा है कि जिस तरह हमने बिजली के लिए किया, उसी तरह वंतारा भी जरूरतमंद हर जंगली जानवर तक पहुंचता रहेगा और जहां भी सबसे ज्यादा जरुरत होगी, वहाँ अपनी विशेषज्ञता, करुणा और तकनीक का उपयोग करेगा।
2017 में नंदन वन में ‘बिजली’ हुआ था जन्म
‘बिजली’ का जन्म वर्ष 2017 में हुआ था और वह जन्म से ही नंदनवन में रह रही है। वर्ष 2023 में उसने चार शावकों जिसमें तीन नर पंचमुख, केशरी, मृगराज और एक मादा इंद्रावती को जन्म दिया था।
अपनी फुर्ती और शाही अंदाज के कारण पर्यटकों की खास पसंद रही बाघिन बिजली की अगस्त 2025 में की तबीयत खराब हुई। उसे दस्त और भूख न लगने की समस्या थी। प्रारंभिक जांच में पाचन संबंधी दिक्कतें सामने आईं, लेकिन सुधार न होने पर आगे की जांच में गुर्दे और गर्भाशय में संक्रमण पाया गया। यह बड़ी बिल्लियों में एक गंभीर स्थिति होती है।
मुख्य वन संरक्षक अरूण कुमार पांडे ने बताया था कि नंदनवन प्रबंधन ने वन मंत्री श्री केदार कश्यप के मार्गदर्शन में जामनगर वंतारा की विशेषज्ञ टीम को रायपुर बुलाया। टीम ने 26 सितंबर से 10 दिनों तक बिजली का इलाज किया, लेकिन आगे उन्नत चिकित्सा की आवश्यकता होने पर उसे जामनगर स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया।
हालांकि यह निर्णय केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से अनुमति प्राप्त करने के बाद ‘बिजली’ को 7 अक्टूबर को ट्रेन के माध्यम से वंतारा भेजा गया। पूरे सफर के दौरान पशु चिकित्सकों और विशेषज्ञों की टीम उसकी विशेष रूप से देखरेख की, लेकिन 8 अक्टूबर को वंतारा पहुंचते ही उसकी तबियत बिगड़ गई।
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