पटना। तमाम सियासी उतार चढ़ाव के साथ 22 नवंबर को बिहार विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल पूरा हो जाएगा। मतलब यह कि अब बिहार में फिर से नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू होगी। विधानसभा के चुनाव होंगे।
बिहार की सियासत का इतिहास देखें तो गठबंधनों का जन्म और मृत्यु एक रात में तय हो जाता है और विधानसभा की 243 सीटें न केवल सत्ता की कुंजी बनती हैं बल्कि पूरे राज्य की दिशा भी निर्धारित करती हैं।

जब अक्टूबर नवंबर 2020 में तीन चरणों में बिहार विधानसभा चुनाव हुए तो यह महज एक चुनाव नहीं बल्कि एक लंबे राजनीतिक सफर का प्रतिबिंब था जो जाति समीकरणों, विकास के वादों से बुना गया था।
बीते विधानसभा चुनाव में कुल 57.05 प्रतिशत मतदान हुआ जो पिछले चुनाव से थोड़ा अधिक था और इसमें महिलाओं की भागीदारी ने खासा असर डाला। नतीजों ने सबको चौंका दिया क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल यानी आरजेडी सबसे बड़ा दल बनकर उभरा 75 सीटों के साथ लेकिन राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए ने 125 सीटें हासिल कर बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया।
इसमें भाजपा को 74 सीटें मिलीं जो 2015 के मुकाबले 21 अधिक थीं जबकि जनता दल यूनाइटेड यानी जेडीयू को 43 सीटें नसीब हुईं जो पहले से 28 कम थीं। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी जैसे छोटे सहयोगियों ने बाकी आठ सीटें जोड़ीं।
महागठबंधन में आरजेडी के अलावा कांग्रेस को 19 सीटें मिलीं जो पहले से आठ कम थीं और वामपंथी दलों को कुल 16 सीटें जिनमें सीपीआई एमएल लिबरेशन को 12 मिलीं। बाकी आठ सीटें छोटे दलों और निर्दलीयों के खाते में गईं जिनमें ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन को पांच सीटें हासिल हुईं।
कुल मिलाकर एनडीए को 51.44 प्रतिशत सीटें मिलीं जबकि महागठबंधन को 45.27 प्रतिशत और बाकी को 3.29 प्रतिशत। वोट शेयर में आरजेडी ने 23.11 प्रतिशत हासिल किया भाजपा को 19.46 जेडीयू को 15.39 और कांग्रेस को 9.48 प्रतिशत मिला जो गठबंधनों की ताकत को दर्शाता था।
एक बार में कार्यकाल पूरा न कर सके नीतीश कुमार

नतीजों के बाद 20 नवंबर 2020 को नीतीश कुमार सातवीं बार मुख्यमंत्री बने और एनडीए सरकार का गठन हुआ जिसमें तरकिशोर प्रसाद और रेणु देवी उपमुख्यमंत्री बनीं। तेजस्वी यादव विपक्ष के नेता चुने गए। लेकिन यह स्थिरता ज्यादा न टिकी क्योंकि अगस्त 2022 में नीतीश कुमार ने भाजपा पर अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाते हुए एनडीए तोड़ दिया और 9 अगस्त को इस्तीफा दे दिया।
अगले ही दिन 10 अगस्त को उन्होंने महागठबंधन के साथ नया गठन किया और आठवीं बार मुख्यमंत्री पद संभाला जिसमें तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने। यह सरकार जनवरी 2024 तक चली जब 28 जनवरी को नीतीश कुमार ने फिर इस्तीफा दे दिया आरजेडी पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए और तीसरी बार एनडीए में लौट आए।
उसी शाम नौवीं बार शपथ ले ली और नई सरकार बनी। इस तरह 2020 के चुनाव के बाद बिहार में तीन बार सरकार बदली और नीतीश कुमार ने अपनी राजनीतिक चतुराई से सत्ता की कमान थामे रखी।