Karur Stampede: मद्रास हाई कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु के करूर में अभिनेता से राजनेता बने विजय की रैली में हुई भगदड़ की CBI जांच की मांग को ठुकरा दिया। इस हादसे में 41 लोगों की जान चली गई थी। जस्टिस एम. धनदपानी और एम. जोथीरमन की बेंच ने कहा कि तमिलनाडु पुलिस की जांच अभी शुरुआती चरण में है और याचिकाकर्ता इस हादसे के पीड़ित नहीं हैं।
कोर्ट ने साफ कहा, “अगर पीड़ित हमारे पास आएंगे, तो हम उनकी मदद करेंगे। आप कौन हैं? कोर्ट को राजनीति का अखाड़ा न बनाएं। अगर जांच में कुछ गलत हुआ, तो फिर आएं।” कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि जब तक रैलियों के लिए मानक नियम (SOPs) नहीं बन जाते, राजमार्गों के पास कोई सभा या रैली नहीं होगी।
रैलियों के लिए नए नियम, मुआवजे की मांग
हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने कई याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनमें CBI जांच रैलियों के लिए नियम बनाने और मृतकों के परिवारों को ज्यादा मुआवजा देने की मांग थी। कोर्ट ने सरकार और राजनीतिक दलों को निर्देश दिया कि भविष्य में रैलियों में पीने का पानी, शौचालय, निकास मार्ग और पार्किंग की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। 27 सितंबर 2025 को करूर के वेलुस्वामीपुरम में विजय की पार्टी TVK की रैली में भारी भीड़ जुटी थी।
प्रशासन ने 10,000 लोगों की अनुमति दी थी लेकिन 25,000 से 60,000 लोग पहुंच गए। गर्मी, पानी की कमी, संकरी सड़कें, बिजली की समस्या और अपर्याप्त सुरक्षा इंतजामों ने हालात बिगाड़ दिए। रस्सियों और बैरिकेड्स से निकास मार्ग बंद होने से भगदड़ मच गई, जिसमें 41 लोग, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे, मारे गए और कई घायल हुए।
FIR दर्ज, प्रशासन पर सवाल
हादसे के बाद TVK के कई कार्यकर्ताओं (विजय को छोड़कर) के खिलाफ FIR दर्ज की गई। उन पर लापरवाही और गलत भीड़ अनुमान देने जैसे आरोप हैं, जिनमें गैर-इरादतन हत्या शामिल है। कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह रैलियों के लिए सख्त नियम बनाए ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी न हो।