नई दिल्ली। मुंबई 26/11 अतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर कार्रवाई को लेकर पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने ऐसा खुलासा किया है कि बीजेपी अब हमलावर हो गई है। एक टीवी साक्षात्कार में चिदंबरम ने कहा कि दुनिया के कई देश नहीं चाहते थे कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़े।
जिसके चलते भारत ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान पर कोई सैन्य कार्रवाई नहीं की थी। उन्होंने बताया कि हमले के बाद बदले की भावना तो थी, लेकिन सरकार ने युद्ध शुरू करने के बजाय संयम बरतने का निर्णय लिया।
गौरतलब है कि मुंबई हमले में 175 लोग मारे गए थे। 10 आतंकवादियों ने 60 घंटे तक शहर को बंधक बनाए रखा, ताज होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, नरीमन हाउस और कामा अस्पताल जैसे स्थानों पर अंधाधुंध गोलीबारी की।

चिदंबरम ने खुलासा किया कि उस समय अमेरिकी विदेश मंत्री भारत आए और उन्होंने प्रधानमंत्री व मेरे साथ मुलाकात की। उन्होंने भारत से कोई त्वरित प्रतिक्रिया न देने की अपील की। चिदंबरम ने बताया कि उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री को सूचित किया था कि भारत सरकार पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई का मन बना चुकी है। हालांकि, बाद में सरकार ने विचार-विमर्श के बाद पाकिस्तान पर सैन्य हमला न करने का फैसला किया।
26 नवंबर 2008 को पाकिस्तानी आतंकियों ने मुंबई के ताज होटल, ओबेरॉय होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और अन्य स्थानों पर हमला किया था। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे, जिनमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे। सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन चलाकर नौ आतंकियों को मार गिराया, जबकि एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया, जिसे 2012 में फांसी दी गई।
उस समय के गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने हमले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद चिदंबरम को गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई।
चिदंबरम ने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन आया और सूचित किया गया कि उन्हें वित्त मंत्रालय से गृह मंत्रालय में स्थानांतरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह वित्त मंत्रालय छोड़ना नहीं चाहते थे, क्योंकि उन्होंने बजट तैयार किया था और उसी साल चुनाव भी होने थे।
चिदंबरम की स्वीकारोक्ति
पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने एबीपी की मेघा प्रसाद के साथ एक साक्षात्कार में खुलासा किया कि यूपीए सरकार ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई न करने का फैसला इसलिए किया क्योंकि उस पर भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव था, खासकर अमेरिका का। उन्होंने स्वीकार किया कि “बदला लेने का विचार उनके मन में आया था”, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने अंततः सैन्य कार्रवाई से इनकार कर दिया था।
चिदंबरम ने कहा, ‘‘याद रखें, पूरी दुनिया दिल्ली में यह कहने के लिए उतरी थी कि युद्ध शुरू मत करो।’’ उन्होंने आगे कहा, “उदाहरण के लिए, कोंडोलीज़ा राइस, जो उस समय अमेरिका की विदेश मंत्री थीं, मेरे कार्यभार संभालने के दो या तीन दिन बाद मुझसे और प्रधानमंत्री से मिलने आईं और कहा, कृपया कोई प्रतिक्रिया न दें।
मैंने कहा, यह एक ऐसा फ़ैसला है जो सरकार लेगी, बिना कोई आधिकारिक राज़ बताए।”उन्होंने कहा कि यह फैसला मुख्यतः विदेश मंत्रालय और भारतीय विदेश सेवा के प्रभाव में लिया गया है।
चिदंबरम ने कहा कि मेरे मन में यह विचार आया कि हमें बदले की कार्रवाई करनी चाहिए।” इसके बाद उन्होंने आगे कहा, “मैंने प्रधानमंत्री और अन्य महत्वपूर्ण लोगों से इस बारे में चर्चा की थी। और ज़ाहिर है कि प्रधानमंत्री ने हमले के दौरान भी इस पर चर्चा की थी।”कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने आगे कहा, “मुझे नहीं पता। मैं केवल अनुमान लगा सकता हूं। और यह निष्कर्ष काफी हद तक विदेश मंत्रालय और भारतीय विदेश सेवा से प्रभावित था कि हमें स्थिति पर सैन्य प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए।”
बीजेपी ने बताया, कांग्रेस की विदेश नीति कमजोर थी
यह इंटरव्यू सामने आने के बाद बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि चिदंबरम पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई चाहते थे, लेकिन कुछ लोग भारी पड़ गए। उन्होंने कहा कि मुंबई हमलों के बाद वो गृहमंत्री का पद भी संभालने को लेकर हिचकिचा रहे थे।
बीजेपी नेता प्रह्लाद जोशी ने चिदंबरम के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह जगजाहिर है कि यूपीए सरकार ने मुंबई हमले को ठीक से नहीं संभाला। उनकी विदेश नीति उस समय काफी कमजोर थी।