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देश

सोनम वांगचुक को समर्थन देने पहुंचे Gen-Z और पुलिस के बीच हिंसक झड़प, चार युवाओं की मौत, भूख हड़ताल खत्‍म

अरुण पांडेय
अरुण पांडेय
Published: September 24, 2025 1:32 PM
Last updated: September 24, 2025 10:08 PM
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Sonam Wangchuk Protest
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लेह। केंद्र सरकार के खिलाफ लेह में Gen-Z ने हल्‍लाबोल दिया है। लद्दाख को पूर्ण राज्‍य का दर्ज देने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे समाजिक और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को समर्थन में उतरे छात्रों का प्रदर्शन आज हिंसक हो गया। जिसमें चार युवाओं की मौत हो गई। प्रदर्शन हिंसक होने के बाद सोनम वांगचुक ने फिलहाल अपनी भूख हड़ताल खत्‍म 15वें दिन खत्‍म कर दी।

खबर में खास
चार की मौत, 30 घायलसोनम वांगचुक ने प्रेस कॉन्‍फेंस में जताया दुखक्‍यों हुई हिंसा, सोनम ने क्‍या बताया?युवाओं के प्रदर्शन को किसी पार्टी का समर्थन नहीं

वांगचुक लंबे समय से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग उठाते आ रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने इस दिशा में अभी तक कोई स्पष्ट या ठोस कदम नहीं उठाया है।

प्रदर्शनकारी छात्रों और पुलिस की बीच झड़प के बाद हिंसा देखने को मिली। छात्र सोनम वांगचुक के समर्थन में उतरे थे। इस दौरान पुलिस और सीआरपीएफ की गाडि़यों को आग के हवाले कर दिया गया।

लेह में छात्रों का प्रदर्शन#LehProtest #LehStudents #StudentProtest #LehNews #LadakhStudents #LehDemonstration #YouthProtest #EducationRights #LehUpdates #studentsofleh pic.twitter.com/Z9kwsCcyJv

— The lens (@thelens_in) September 24, 2025

बड़ी संख्‍या में छात्रों ने लेह में बीजेपी आफिस के बाहर पहुंच कर प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी आफिस में आग लगा दी। सा‍थ ही हिल काउंसिल कार्यालय को भी आग के हवाले कर दिया गया।इमारत में अफरा तफरी फैल गई। धुंए और आग की लपटें उठती हुईं देखी गईंं।

चार की मौत, 30 घायल

लेह में हुई हिंसक घटना में चार लोगों की जान चली गई। इस उग्र प्रदर्शन के दौरान लगभग 30 लोग घायल हो गए। हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने चार दिनों तक चलने वाले लद्दाख महोत्सव के अंतिम दिन के आयोजन को रद्द कर दिया।

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने एक बयान में बताया कि परिस्थितियों के कारण समापन समारोह को स्थगित करना पड़ा। विभाग ने स्थानीय कलाकारों, सांस्कृतिक दलों, पर्यटकों और आम लोगों से असुविधा के लिए माफी मांगी।

लेह में पांच या उससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगा दी गई है। स्थानीय लोगों द्वारा राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद, जिला मजिस्ट्रेट के निर्देशानुसार बिना पूर्व अनुमति के कोई जुलूस, रैली या मार्च आयोजित नहीं किया जा सकेगा।

 लेह शहर में छात्रों ने केंद्र सरकार के विरुद्ध तीव्र आक्रोश जताते हुए प्रदर्शन किया है। विरोध प्रदर्शन हिंसक होने के बाद वहां के हालात तनाव पूर्ण हैं। सीआरपीएफ के साथ स्थानीय पुलिस फोर्स भी मौके पर तैनात की गई है।

सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर से 35 दिन के अनशन पर हैं। उनका यह अनशन लेह-दिल्ली पदयात्रा और 16 दिन के अनशन के एक साल बाद हो रहा है। वह लेह के शहीद पार्क में चल रहे अनशन पर बैठे हैं। उनको समर्थन देने के लिए बड़ी संख्‍या में छात्र भी उतर आए हैं।

सोनम वांगचुक का कहना है कि लद्दाख के लोगों की लंबे समय से मांग है कि राज्‍य को भारत के संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए, लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले, अपना पब्लिक सर्विस कमीशन बने और दो लोकसभा सीटें दी जाएं, एक कारगिल के लिए और दूसरी लेह के लिए।

लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा चाहिए, ताकि वहां अपनी विधानसभा हो और यह विधानसभा जम्मू-कश्मीर की तरह लेफ्टिनेंट गवर्नर के अधीन न रहे।

पिछले 6 सालों से लद्दाख में कोई नई सरकारी नियुक्तियां नहीं हुई हैं। बाहर से आए नौकरशाह यहां प्रशासन चला रहे हैं। इसलिए लद्दाख के लिए अपना पब्लिक सर्विस कमीशन जरूरी है। साथ ही, लद्दाख इतना बड़ा क्षेत्र है कि एक सांसद पूरे क्षेत्र की देखभाल नहीं कर सकता। इसीलिए दो लोकसभा सीटों की मांग की जा रही है।

सोनम वांगचुक ने प्रेस कॉन्‍फेंस में जताया दुख

VERY SAD EVENTS IN LEH
My message of peaceful path failed today. I appeal to youth to please stop this nonsense. This only damages our cause.#LadakhAnshan pic.twitter.com/CzTNHoUkoC

— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) September 24, 2025

लेह में हिंसक प्रदर्शन के बाद बुधवार शाम 5 बजे हुई प्रेेस कॉन्‍फ्रेंस में सोनम वांगचुक ने हिंसा पर दुख जताते हुए कहा कि यह उनके पांच साल के शांतिपूर्ण आंदोलन का सबसे दुखद पल है।

उन्‍होंने कहा कि लद्दाख के युवाओं को सालों से बेरोजगार रखा गया, जिसका गुस्‍सा आज सड़कों पर दिखाई दिया। उन्‍होंने कहा कि लद्दाख बेरोजगारी के मामले में दूसरे नंबर है फिर भी केंद्र सरकार को चिंता नहीं है।

उन्‍होंने कहा कि लद्दाख में 500 पदों के लिए भर्ती निकाली गई, जिसके लिए 5000 आवेदन आ गए। इसी से आप यहां की बेरोजगारी का अंदाजा लगाइए। उन्‍होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके आंदोलन को कमजोर करने के लिए सरकार सीबीआई, एफआईआर और समन भेजकर दबाव डाल रही है कि उनका आंदोलन कमजोर हो जाए।

अब उन्‍होंने भूख हड़ताल खत्‍म कर दी है और सरकार ने 6 अक्‍टूबर को वार्ता का समय दिया है। अब आगे के आंदोलन की दशा दिशा क्‍या होगी? द लेंस के इस सवाल पर सोनम वांगचुक ने कहा कि इससे पहले की सरकार के साथ वार्ताएं लगभग नाकाम ही रही हैं।

6 अक्‍टूबर को वार्ता का समय दिया गया है, जिसमें 16 दिन बाकी है। इस बात को लेकर भी युवाओं में गुस्‍सा था कि भूख हड़ताल पर बैठे लोगों को सरकार और कमजोर करना चाहती है इसलिए वार्ता के लिए इतना दिन इंतजार कराया जा रहा है।

हिंसा के सवाल पर उन्‍होंने कहा कि यह हिंसा हुई है तो इसके लिए भी केंद्र सरकार ही जिम्‍मेदार है, सबसे बड़ा सवाल यह है कि युवाओं को इस हाल में किसने पहुंचाया?

क्‍यों हुई हिंसा, सोनम ने क्‍या बताया?

सोनम वांगचुक ने बताया कि वह 35 दिनों की भूख हड़ताल पर बैठे थे। कल यानी 23 सितंबर को अनशन का 14वां दिन था। साथ में अनशन कर रहे 72 साल के बजुर्ग और 62 साल की बुजुर्ग महिला की हालत बिगड़ गई, जिसके बाद दोनों को अस्‍पताल ले जाया गया।

यह बात जैसे ही युवाओं को पता चली वह गुस्‍सा हो गए। इसके विरोध में युवाओं ने आज यानी 24 सितंबर को लेह बंद बुलाया था। आज कम से कम पांच हजार युवा सड़कों पर उतर गए और विरोध प्रदर्शन करने लगे। पुलिस ने उन्‍हें रोकने की कोशिश की, लेकिन युवा गुस्‍से में थे, जो हिंसा के रूप में सामने आया।

युवाओं के प्रदर्शन को किसी पार्टी का समर्थन नहीं

क्‍या इस हिंसक प्रदर्शन को किसी पार्टी से जोड़कर देख रहे हैं? इस सवाल के जवाब में सोनम वांगचुक ने कहा कि लद्दाख में किसी पार्टी में इतनी ताकत नहीं है कि वह पांच हजार युवाओं को सड़क पर बुला सके।

जिन दो लोगें की तबियत बिगड़ी थी वह कांग्रेस काउंसलर के गांव के थे, लेकिन कांग्रेस इसके पीछे है यह कहना गलत होगा। सोनम वांगचुक ने कहा कि जब हिंसा हुई तो वह अनशन स्‍थल पर अन्‍य लोगों के साथ बैठे थे।

जिन युवाओं ने हिंसा की वह अनशन स्‍थल पर आए भी नहीं। पुलिस फायरिंग में मारे गए युवाओं पर दुख जताते हुए उन्‍होंने फिर दोहराया कि यह हिंसा उनके पांच साल के शांतिपूर्ण आंदोलन को भंग करता है।

उन्‍होंने कहा कि आगे भी इस तरह की हिंसा न हो और युवाओं पर जुल्‍म न हो इसलिए वह अपना अनशन खत्‍म कर रहे हैं।

यह भी देखें : लद्दाख के हक के लिए फिर अनशन पर सोनम वांगचुक, देश भर से पहुंच रहे सामाजिक कार्यकर्ता

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