रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य फार्मेसी काउंसिल (Chhattisgarh State Pharmacy Council) में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। काउंसिल के उच्च अधिकारियों के संरक्षण में चुनिंदा कर्मचारियों द्वारा नियमों का उल्लंघन कर वित्तीय अनियमितताएं की जा रही हैं। इन आरोपों ने स्वास्थ्य विभाग को सतर्क कर दिया है। स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जांच कमेटी गठित करने के निर्देश जारी किए हैं।
रजिस्ट्रेशन के बहाने रिश्वत की मांग, बिलासपुर फार्मासिस्ट का चौंकाने वाला खुलासा
पिछले महीने बिलासपुर के एक पंजीकृत फार्मासिस्ट ने शपथ पत्र दाखिल कर काउंसिल के खिलाफ सीधी शिकायत दर्ज की। फार्मासिस्ट ने आरोप लगाया कि उनके सभी शैक्षणिक प्रमाणपत्र और आवश्यक दस्तावेज पूर्णतः सही होने के बावजूद, काउंसिल के रजिस्ट्रार अश्विनी गुरडेकर, कर्मचारी अनिरुद्ध मिश्रा और महावीर सिंह ने रजिस्ट्रेशन के लिए 5,000 रुपये की रिश्वत की मांग की।
जब फार्मासिस्ट ने नकद राशि न होने की बात कही तो अनिरुद्ध मिश्रा ने उन्हें काउंसिल के निकट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम तक ले जाकर खुद ही 5,000 रुपये निकलवाए और ले लिए। फार्मासिस्ट की यह शिकायत सीधे स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया तक पहुंची, जिन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए काउंसिल में व्याप्त भ्रष्टाचार की तत्काल जांच के आदेश दिए।
वित्तीय अनियमितताओं का जाल: सदस्यों का संयुक्त पत्र
काउंसिल के कई सदस्यों ने भी स्वास्थ्य सचिव को एक संयुक्त हस्ताक्षरित पत्र भेजकर वित्तीय भ्रष्टाचार के चरम की शिकायत की है। पत्र में बताया गया कि काउंसिल में नियम-विरुद्ध वित्तीय लेन-देन आम हो चुके हैं, जो उच्च पदाधिकारियों के संरक्षण में हो रहे हैं। इन अनियमितताओं से न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि फार्मेसी पेशे की साख भी दांव पर लग रही है।
स्वास्थ्य सचिव ने इस पत्र पर तुरंत संज्ञान लेते हुए काउंसिल के सभी वित्तीय लेन-देन की गहन जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का आदेश दिया है। कमेटी में विभागीय अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल होंगे, जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। काउंसिल की आधिकारिक वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पारदर्शी बताई जाती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। विभाग ने लोगों से अपील की है कि ऐसी अनियमितताओं की शिकायतें सीधे स्वास्थ्य सचिव कार्यालय में दर्ज करें।