रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के जिला कचहरी परिसर में आज एक दिलचस्प नजारा देखने को मिला। यहां अदालत के सामने पेश होने कोई मामूली आरोपी नहीं… पहुंचे तीन रिटायर्ड IAS अफसर, यानी प्रशासनिक सेवा के बड़े नाम। कभी इनके कंधों पर प्रशासन चलाने की जिम्मेदारी थी। ये नजारा न सिर्फ आम लोगों के लिए हैरान करने वाला था, बल्कि इसने मीडिया का भी ध्यान खींचा।
शुक्रवार को तीन रिटायर्ड आईएएस बतौर आरोपी नजर आए। तीनों अलग-अलग कोर्ट के बाहर बैठे हुए थे। इनमें से एक अफसर तो छत्तीसगढ़ और केंद्र में अहम पदों पर पदस्थ रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं पूर्व प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, आबकारी आयुक्त रहे निरंजन दास और पीएससी सचिव रहे जीवन लाल ध्रुव की। इन्हें देखने लोगों को जमावड़ा लगा रहा तो वहीं मीडिया भी उमड़ा रहा।
आईये, इस रिपोर्ट में जानते हैं आखिर यह नौबत क्यों आई…
ये वीडियो रिपोर्ट देखिए…
ED के नान घोटाले केस में सरेंडर करने आए थे डॉ. आलोक शुक्ला
डॉ. आलोक शुक्ला छत्तीसगढ़ के चर्चित नान घोटाले केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत कोर्ट सरेंडर करने आए थे। इस घोटाले से जुड़े प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मनी लॉन्ड्रिंग केस में सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद उन्होंने ईडी कोर्ट में सरेंडर किया।
नान घोटाले केस में वे भी आरोपी थे। दिसंबर 2018 में उनके खिलाफ छत्तीसगढ़ की राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण विंग (EOW) ने चार्जशीट पेश किया था। इसके बाद 2020 में उन्हें छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत मिली थी। बाद में ईडी ने नान घोटाले केस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की तो उसमे भी आलोक शुक्ला का नाम आया। ईडी ने ईसीआईआर दर्ज की। आलोक शुक्ला को सुप्रीम कोर्ट की सिंगल बेंच से अग्रिम जमानत के तौर पर राहत मिल गई थी। लेकिन, तीन दिन पहले सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने उस राहत को खारिज कर दिया। और इसके बाद उन्हें रायपुर के ईडी कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा।
आलोक शुक्ला छत्तीसगढ़ सरकार सहित केंद्र सरकार में कई अहम पदों पर रहे हैं। एक समय भारत निर्वाचन आयोग के टॉप ऑफिशियल्स में उनका नाम था। इसके बाद छत्तीसगढ़ में नान घोटाले के समय वे खाद्य सचिव के तौर पर पदस्थ थे। कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में उन्हें स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे अहम पदों की जिम्मेदारी दी गई थी। उस सरकार में पॉवरफुल अफसर माने जाते थे। माशिमं और चिकित्सा शिक्षा की जिम्मेदारी भी उन्होंने संभाली। रिटायर होने के बाद भूपेश बघेल सरकार में इन्हें संविदा में बतौर प्रमुख सचिव के तौर पर पदस्थ किया गया था और अहम विभागों की जिम्मेदारी दी गई थी।
निरंजन दास को EOW ने किया गिरफ्तार
छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाला केस में EOW ने रिटायर्ड IAS निरंजन दास को गिरफ्तार कर लिया है। पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास पिछली सरकार के दौरान आबकारी आयुक्त थे। निरंजन पर सिंडिकेट ऑपरेट करने में अहम रोल निभाने का आरोप है। घोटाले से उन्हें हर महीने 50 लाख मिलते थे। शुक्रवार को निरंजन दास को रायपुर की EOW कोर्ट में पेश किया गया।
ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तारी के बारे में बताया कि निरंजन दास पर आरोप है कि विभाग प्रमुख के तौर पर उन्होंने विभाग में सक्रीय सिंडिकेट को सहयोग किया। निरंजन दास के सहयोग से शासकीय शराब दुकानों में अन एकाउंटेड शराब की बिक्री, अफसरों के ट्रांसफर, टेंडर प्रक्रिया में हेर फेर, दोषपूर्ण शराब नीति लाने को सिंडिकेट ने अंजाम दिया।
इसके अलावा सिंडिकेट को लाभ पहुंचाते हुए उसके एवज में करोड़ों का लाभ भी हासिल किया।
सुप्रीम कोर्ट ने शराब घोटाले से जुड़े मामले में पेश कई याचिकाएं खारिज कर दी थीं। अदालत ने शराब घोटाले के 6 अफसरों पर किसी भी तरह का एक्शन नहीं लेने के आदेश दिए थे। इसमें निरंजन दास का भी नाम था, लेकिन, अब उन याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिसके ईओडब्ल्यू ने उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया।
26 अगस्त को EOW ने रायपुर कोर्ट में छठवां आरोप पत्र दाखिल किया था। यह आरोप पत्र जांच में विदेशी शराब पर लिए गए कमीशन पर आधारित थी। इसी में निरंजन दास का नाम था। जैसा कि पहले जांच में यह स्पष्ट हुआ था कि तत्कालीन समय में आबकारी विभाग में एक सिंडिकेट एक्टिव था, जिसमें प्रशासनिक अधिकारी अनिल टुटेजा, अरुण पति त्रिपाठी, निरंजन दास के साथ अनवर ढेबर शामिल थे।
जीवन लाल ध्रुव को बेटे सहित CBI ने किया गिरफ्तार
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग स्कैम में CBI ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पीएससी के पूर्व सचिव रिटायर्ड आईएएस जेएल ध्रुव सहित 5 लोगों को गिरफ्तार किया है।
जीवन लाल ध्रुव पीएससी के सचिव थे। सचिव में रहने के दौरान उन्होंने अपने बेटे सुमित ध्रुव को भी परीक्षा में पास कराया और नियुक्ति दिला दी। हालांकि बाद में कोर्ट से नियुक्ति पर रोक लगा दी गई। इसके अलावा पीएससी की परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक को भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया है।
इसके अलावा पीएससी में चयनित हुए जेएल ध्रुव के बेटे सुमित ध्रुव, निशा कोसले और दीपा आदिल को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। इन सभी की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई है।
पीएससी की पूर्व परीक्षा नियंत्रक रहीं आरती वासनिक पर शुरू से ही तलवार लटकी रही, लेकिन हर बार वे बचती रहीं। सीबीआई ने आरती वासनिक से पहले भी पूछताछ की थी, लेकिन उन्हें छोड़ दिया गया था।
सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि इस स्कैम में पीएससी चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी के साथ आरती वासनिक बराबर से जिम्मेदार हैं। इसी तरह जेएल ध्रुव की भूमिका भी रही है। CBI ने पांचों को स्पेशल कोर्ट में पेश किया है।
इससे पहले इसी केस में एक और रिटाययर्ड आईएएस पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी को भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। इस तरह पीएससी स्कैम में अब तक दो रिटायर्ड आईएएस को गिरफ्तार किया जा चुका है।
पीएससी स्कैम में इससे पहले श्री बजरंग पावर एंड इस्पात के तत्कालीन निदेशक श्रवण कुमार गोयल, टामन सिंह सोनवानी का भतीजा नितेश सोनवानी, ललित गणवीर, शशांक गोयल, भूमिका कटियार और साहिल सोनवानी को गिरफ्तार किया जा चुका है।
ये था रायपुर की अदालत का वो मंजर, जहां एक ही दिन में तीन रिटायर्ड IAS अफसर और एक डिप्टी कलेक्टर रैंक की अफसर अलग-अलग केस में कोर्ट के सामने पेश हुए। नान घोटाला, शराब घोटाला और PSC स्कैम….ये मामले छत्तीसगढ़ की सियासत और प्रशासन में हलचल मचाने वाले हैं।
इससे पहले भी रायपुर कोर्ट में कई आईएएस और आईपीएस गिरफ्तार कर पेश किए जा चुके हैं।
यह भी पढ़ें : PSC Scam : सीबीआई फिर एक्शन में, अब 5 गिरफ्तार, इस बार रिटायर्ड IAS जेएल ध्रुव और आरती वासनिक चढ़े हत्थे