रायपुर। 1 सितंबर को रायपुर जिले के अभनपुर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका ( aanganbadi strike ) संयुक्त मंच छत्तीसगढ़ के बैनर तले एक विशाल प्रदर्शन और हड़ताल का आयोजन किया गया। इस दौरान कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने एकजुट होकर अपनी मांगों को लेकर जोरदार नारेबाजी की और राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ जमकर विरोध जताया। प्रदर्शन के बाद मंच की ओर से अभनपुर के एसडीएम को मुख्यमंत्री और महिला एवं बाल विकास मंत्री के नाम एक मांगपत्र सौंपा गया।
प्रदर्शन में बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं शामिल हुईं। इस अवसर पर एक आमसभा का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रगतिशील आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका संघ की अध्यक्ष हेमा भारती ने की। वक्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की नीतियों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार एक ओर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देती है लेकिन दूसरी ओर महिलाओं और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के अधिकारों का हनन करती है।
वक्ताओं ने कहा कि सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को शासकीय कर्मचारी का दर्जा देने से इनकार करती है, जबकि उनसे सरकारी और गैर-सरकारी कई तरह के काम करवाए जाते हैं। इसके अलावा, शिक्षा के निजीकरण और भगवाकरण जैसी नीतियों से लड़कियों के शिक्षा के अधिकार को भी खतरा पैदा हो रहा है।
मांग पत्र में क्या शामिल?
शासकीय कर्मचारी का दर्जा: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को तृतीय श्रेणी और सहायिकाओं को चतुर्थ श्रेणी शासकीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
न्यूनतम वेतन: जब तक शासकीय कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता, तब तक कार्यकर्ताओं को 26,000 रुपये और सहायिकाओं को 21,100 रुपये न्यूनतम वेतन दिया जाए।
अन्य सुविधाएं: महंगाई भत्ता, पेंशन, ग्रेच्युटी, कैशलेस स्वास्थ्य योजना, समूह बीमा और डिजिटल कार्य के लिए मोबाइल या टैबलेट प्रदान किया जाए।
प्रोन्नति: रिक्त स्थानों पर कार्यकर्ताओं को सुपरवाइजर और सहायिकाओं को कार्यकर्ता के पद पर प्रोन्नत किया जाए।
दमनात्मक कार्रवाई बंद: हड़ताल या प्रदर्शन में भाग लेने के कारण नौकरी से निकालने, वेतन कटौती या माफीनामा भरवाने जैसी कार्रवाइयों को तुरंत रोका जाए।
निलंबित कार्यकर्ताओं की बहाली: हाल ही में निलंबित किए गए छह यूनियन पदाधिकारियों और सदस्यों को तत्काल बहाल किया जाए।
मंच ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे पूरे राज्य में और अधिक उग्र आंदोलन शुरू करेंगे। कार्यकर्ताओं ने कहा कि सरकार की नीतियां न केवल आंगनबाड़ी कर्मियों के साथ अन्याय करती हैं, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों, खासकर महिलाओं और बच्चों के हितों को भी नजरअंदाज करती हैं।