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दुनिया

धमकियों से उकताए भारत का अमेरिका और यूरोप को करारा जवाब

आवेश तिवारी
आवेश तिवारी
Published: August 5, 2025 1:00 AM
Last updated: August 5, 2025 2:11 PM
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India-Russia
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विदेश मंत्रालय ने कहा – हम करेंगे अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा

नई दिल्ली। अमेरिका की ताजा धमकियों और रूस से तेल खरीदने पर यूरोपीय संघ का साझा दबाव झेल रहे भारत ने अन्ततः अपना पक्ष रखा है। विदेश मंत्रालय ने रूस के अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार की पूरी डिटेल दी। इस डिटेलिंग में यह बताने की कोशिश की गई है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ लगातार रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं। यह संदेश देने के साथ विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि ‘भारत को निशाना बनाना अनुचित और अविवेकपूर्ण है। किसी भी प्रमुख अर्थव्यवस्था की तरह, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा।’ विदेश मंत्रालय का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस पोस्ट के बाद आया, जिसमें उन्होंने पिछले सप्ताह भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद एक बार फिर धमकी दी।

विदेश मंत्रालय ने थोड़ी देर पहले जारी अपने स्टेटमेंट में कहा है कि यूक्रेन रूस संघर्ष शुरू होने के बाद से रूस से तेल आयात करने के कारण भारत अमेरिका और यूरोपीय संघ के निशाने पर है। दरअसल, भारत ने रूस से आयात इसलिए शुरू किया क्योंकि संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी। उस समय अमेरिका ने भी वैश्विक ऊर्जा बाज़ारों की स्थिरता को मजबूत करने के लिए भारत द्वारा ऐसे आयातों को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया था।

विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत के आयात का उद्देश्य भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अनुमानित और किफायती ऊर्जा लागत सुनिश्चित करना है। वैश्विक बाजार की स्थिति के कारण ये एक अनिवार्य आवश्यकता है। हालांकि, यह उजागर होता है कि भारत की आलोचना करने वाले वही देश स्वयं रूस के साथ व्यापार में लिप्त हैं। हमारे मामले के विपरीत, ऐसा व्यापार कोई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बाध्यता भी नहीं है।

विदेश मंत्रालय ने आगे कहा है कि 2024 में यूरोपीय संघ का रूस के साथ वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 67.5 बिलियन यूरो था। इसके अलावा, 2023 में सेवाओं का व्यापार 17.2 बिलियन यूरो होने का अनुमान है। यह उस वर्ष या उसके बाद रूस के साथ भारत के कुल व्यापार से काफी अधिक है। वास्तव में, 2024 में यूरोपीय एलएनजी आयात रिकॉर्ड 16.5 मिलियन टन तक पहुंच गया, जो 2022 के 15.21 मिलियन टन के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया।

विदेश मंत्रालय कहता है कि यूरोप-रूस व्यापार में न केवल ऊर्जा, बल्कि उर्वरक, खनन उत्पाद, रसायन, लोहा और इस्पात तथा मशीनरी और परिवहन उपकरण भी शामिल हैं। जहां तक संयुक्त राज्य अमेरिका का सवाल है, वह अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, अपने इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए पैलेडियम, उर्वरक और रसायन आयात करता रहता है।

ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा है कि भारत रूस से व्यापार कर जंग में उसकी मदद कर रहा है और इसीलिए वे आने वाले दिनों में भारत पर और अधिक टैरिफ लगाएंगे। ट्रंप ने ट्रुथ पर लिखा, ‘भारत न केवल भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है, बल्कि खरीदे गए तेल का एक बड़ा हिस्सा खुले बाजार में भारी मुनाफे पर बेच रहा है। उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं है कि रूसी युद्ध मशीन द्वारा यूक्रेन में कितने लोग मारे जा रहे हैं। इस वजह से, मैं भारत द्वारा अमेरिका को दिए जाने वाले टैरिफ में काफी वृद्धि करूंगा। इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद!!!’

यह भी पढ़ें : ट्रंप की धमकी के आगे झुकने से इंकार, भारत रूस से खरीदता रहेगा तेल

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