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लेंस रिपोर्ट

एक साल में हेट क्राइम के 947 मामले, पहलगाम आतंकी हमले के बाद सबसे अधिक घटनाएं

अरुण पांडेय
अरुण पांडेय
Published: June 21, 2025 5:51 PM
Last updated: June 21, 2025 7:48 PM
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hate crime in india
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नई दिल्ली। तो क्‍या देश के कानून अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने में नाकाफी साबित हो रहे हैं। यह सवाल इसलिए क्‍योंकि बीते एक साल में भारत में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिमों और ईसाइयों के खिलाफ हेट क्राइम और हेट स्पीच की गंभीर स्थिति का खुलासा हुआ है। इस एक साल में 947 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें 602 हेट क्राइम और 345 हेट स्पीच की घटनाएं शामिल हैं।

यह आंकड़े जून 2024  से  जून 2025 तक हैं। यह तब है जब केंद्र की मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल का पहला साल पूरे होने के मौके पर देश भर में कार्यक्रम आयोजित कर रही है। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले साल को ही आधार बनाकर एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) ने एक सर्वे रिपोर्ट जारी की है। जिसमें राज्‍यवार आंकडे़ दिए गए। हेट क्राइम के मामले में देश का सबसे बड़ा राज्‍य उत्‍तर प्रदेश अव्‍वल है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश में हेट क्राइम के मामले सबसे अधिक सामने आए हैं।

क्‍या कहते हैं राज्यवार आंकड़े

रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हेट क्राइम की घटनाएं दर्ज की गईं। उत्तर प्रदेश इस सूची में सबसे ऊपर है, जहां सबसे अधिक 217 हेट क्राइम की घटनाएं दर्ज की गईं। इसके बाद महाराष्ट्र में 101, मध्य प्रदेश में 100, उत्तराखंड में 84 और राजस्थान में 60 घटनाएं हुईं। मणिपुर में सबसे कम एक घटना दर्ज की गई।

उत्तर प्रदेश 217 घटनाओं के साथ सबसे अधिक प्रभावित। इनमें से कई घटनाएं धार्मिक उत्सवों जैसे नवरात्रि, रामनवमी और कुंभ मेला के दौरान हुईं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद अप्रैल में हेट क्राइम में 100% की वृद्धि दर्ज की गई।

महाराष्ट्र में 101 घटनाएं हुईं, जिनमें से कई नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले हुईं। इनमें धार्मिक आयोजनों में भागीदारी, गाय तस्करी के आरोप और अंतर-समुदाय संबंधों से जुड़े मामले शामिल हैं।

मध्य प्रदेश में 100 घटनाएं दर्ज की गईं। जिनमें गणेश चतुर्थी और नवरात्रि जैसे धार्मिक उत्सवों के दौरान मुस्लिमों पर हमले और उनके व्यापार का बहिष्कार शामिल हैं।

इसी तरह उत्तराखंड में 84 घटनाएं, जिनमें से कई काउंसिलर चुनावों से पहले जनवरी में हेट स्पीच से जुड़ी थीं। इसके अलावा, नैनिताल में एक नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न की घटना ने सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाया।

राजस्थान में 60 घटनाएं, जिनमें मुस्लिमों को सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिबंध और उनकी संपत्तियों पर हमले शामिल हैं। दिल्ली में 42 घटनाएं सामने आईं जिनमें मार्च में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग और धार्मिक स्थलों पर हमले शामिल हैं। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक क्रमशः 31-31 घटनाएं, जिनमें धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न शामिल है।

इन एक सालों में छत्तीसगढ़ में 25 घटनाएं हुई हैं। जिनमें चर्चों पर हमले और धार्मिक आयोजनों में बाधा डालना शामिल है। पंजाब और कश्मीर सबसे कम 7 और 1 घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं।

हेट स्पीच की स्थिति

हेट स्पीच की 345 घटनाओं में से उत्तर प्रदेश में 55, महाराष्ट्र और झारखंड में 41-41 घटनाएं दर्ज की गईं। इनमें से 178 घटनाएं बीजेपी से जुड़े व्यक्तियों द्वारा की गईं। उत्तराखंड में काउंसिलर चुनावों से पहले 17 हेट स्पीच की घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से 14 मुख्यमंत्री द्वारा की गईं।

सर्वे रिपोर्ट में क्‍या निकला

हेट क्राइम की प्रकृति: 602 हेट क्राइम में से 173 में शारीरिक हिंसा शामिल थी, जिसमें 25 लोगों की मौत हुई, सभी मुस्लिम थे। 267 घटनाओं में दक्षिणपंथी संगठनों की भागीदारी थी, जिनमें बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बीजेपी प्रमुख हैं।

प्रभावित समुदाय: 2964 व्यक्तियों में से 1460 मुस्लिम और 1504 ईसाई प्रभावित हुए। मुस्लिमों पर 419 घटनाओं में हमले हुए, जबकि ईसाइयों पर 85 घटनाओं में। 25 हिंदू व्यक्ति भी हेट क्राइम से प्रभावित हुए, हालांकि वे मुख्य लक्ष्य नहीं थे। हिंदू महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक प्रभावित हुईं।

लिंग और आयु प्रभाव: पुरुष (57.3%) महिलाओं (42.7%) की तुलना में अधिक प्रभावित हुए। 62 नाबालिगों (30 मुस्लिम, 10 ईसाई) और 10 वरिष्ठ नागरिकों (9 मुस्लिम, 1 ईसाई) को निशाना बनाया गया।

पाहलगाम आतंकी हमला: अप्रैल में हुए इस हमले के बाद हेट क्राइम में भारी वृद्धि देखी गई, जिसमें 87 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से 51 सीधे इस हमले से संबंधित थीं।

धार्मिक आधार पर हिंसा रोकने के लिए विशेष कानूनी ढांचा नहीं

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को संबोधित करने के लिए कोई विशिष्ट कानूनी ढांचा नहीं है, जिसके कारण कई घटनाएं दर्ज नहीं होतीं। मीडिया में केवल गंभीर और चौंकाने वाली घटनाओं को ही प्रमुखता मिलती है, जिससे रोजमर्रा की हिंसा की अनदेखी होती है।

दलितों के खिलाफ अत्याचारों को 1989 के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत आधिकारिक रूप से दर्ज किया जाता है, लेकिन धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हेट क्राइम के लिए ऐसा कोई कानूनी ढांचा नहीं है।

विशेष रूप से बीजेपी शासित राज्यों में हेट क्राइम और हेट स्पीच की घटनाएं अधिक हैं, जो चुनावी मौसम और धार्मिक उत्सवों के दौरान और तेज हो जाती हैं। पाहलगाम आतंकी हमले और औरंगजेब की कब्र जैसे मुद्दों ने सांप्रदायिक तनाव को और बढ़ाया है।

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