इस समय दुनिया में मानवता कहीं दम तोड़ती नजर आ रही है तो वह फिलिस्तीन है! गजा है! इस्राइली गोला बारूद और युद्धजनित भुखमरी निर्दोष मासूम बच्चों को अपना शिकार बना रही है और दुनिया भर में इस नरसंहार का विरोध हो रहा है लेकिन इस्राइल अपने इरादों से टस से मस नहीं हो रहा है। अमरीका सरपरस्ती में इस्राइल ने तो संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को भी अनसुना कर दिया है। खुद इस्राइल के भीतर नेतन्याहू सरकार की इन बर्बर कार्रवाइयों का तीखा विरोध हो रहा है। एक वीडियो अभी सामने आया है, जिसमें अरब मूल के सांसद आयमन ओदेह इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के ही सामने अपना तीखा विरोध दर्ज कराते हुए आंकड़ों के साथ भयावह हालात के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराते नजर आ रहे हैं। उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि पिछले एक साल में 19,000 बच्चों और 53,000 नागरिकों की जान ले ली गई है, विश्वविद्यालयों और अस्पतालों को तबाह कर दिया गया है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र और यूनीसेफ भी चेता चुका है कि गजा पूरी तरह से बर्बादी की कगार पर पहुंच चुका है। इजरायल की नाकाबंदी के कारण गजा में खाद्य सामग्री, पानी, दवा, ईंधन नहीं पहुंच पा रहा है। 93 हजार बच्चों पर भुखमरी का जोखिम है। गजा की 70 फीसदी आबादी विस्थापित हो चुकी है। भयावहता की सच्चाई जानने के बाद भी इजरायल अभी भी अपने अड़ियल रुख पर कायम है। यह संघर्ष अब सिर्फ दो मुल्कों का मामला नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों और शांति का सवाल बन चुका है। तत्काल युद्धविराम, बंधकों की रिहाई और मानवीय सहायता की बहाली ही इस संकट का समाधान है लेकिन स्थिति निशाराजनक है। क्या न्यू वर्ल्ड ऑर्डर का मतलब अब सिर्फ समर्थ और ताकतवर लोगों की दुनिया रह गया है? जरूरी है कि दुनिया के हर कोने से युद्ध और युद्धों से पैदा त्रासदी, तबाही के खिलाफ आवाज उठे। ऐसी आवाज जिसकी गूंज बारूद से ज्यादा हो।
गजा की पुकार

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