नई दिल्ली। आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने वाली रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई की मां कमलताई गवई ने इस बात से साफ इनकार किया है कि वह अमरावती में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विजयादशमी समारोह में शामिल होंगी।
दादासाहेब गवई चैरिटेबल ट्रस्ट की संस्थापक-अध्यक्ष कमलताई के मराठी में पत्र जारी कर कड़े शब्दों में कहा कि उनके भाग लेने की खबर पूरी तरह से झूठी है और आरएसएस की एक साजिश है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा इस आयोजन में शामिल होने के लिए उन्हें निमंत्रण पत्र गया, जिसमें कमलताई का नाम स्पष्ट रूप से मुख्य अतिथि के रूप में उल्लिखित था।
पत्र में कार्यक्रम का उद्देश्य “विश्व शांति और मानव कल्याण” बताया गया, साथ ही हिंदू समाज को एकजुट करने का संदेश दिया आरएसएस के पदाधिकारियों के अनुसार, कमलताई ने प्रारंभ में इसे स्वीकार कर लिया था, जिसके आधार पर निमंत्रण पत्र छापे गए और स्वयंसेवकों को वितरित किए गए।

कमलाताई ने कहा, “मैंने न तो कोई निमंत्रण स्वीकार किया है और न ही कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लिखित सहमति दी है। मैं अमरावती में आरएसएस के विजयादशमी कार्यक्रम में उपस्थित नहीं रहूँगी। मेरा परिवार आंबेडकरवादी विचारों और भारतीय संविधान के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मुझे ऐसे किसी कार्यक्रम से जोड़ना भ्रामक और असत्य है।”
कमलताई ने आगे कहा कि विजयादशमी त्यौहार कई लोगों के लिए सांस्कृतिक महत्व रखता है, लेकिन उनके समुदाय के लिए धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस जो सम्राट अशोक के बौद्ध धर्म में धर्मांतरण का प्रतीक है कहीं अधिक महत्व रखता है।
उन्होंने जनता, विशेषकर अम्बेडकरवादी अनुयायियों से अपील की कि वे इस तरह के “झूठे प्रचार” पर विश्वास न करें और संवैधानिक मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर भरोसा करें।
धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं देते हुए कमलताई गवई ने कहा कि उनका परिवार सामाजिक न्याय के आदर्शों और डॉ. बी. आर. अंबेडकर की शिक्षाओं के साथ खड़ा है।
स्वीकृति से अस्वीकृति: आरएसएस के दावे के विपरीत, कमलताई ने 29 सितंबर 2025 को एक मराठी पत्र जारी कर आमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा:”आरएसएस के साथ कोई संबंध नहीं। यह मेरी सहमति के बिना फैलाई गई साजिश है
अंबेडकरवादी विचारधारा और संविधान के प्रति निष्ठा के कारण मैं कभी भाग नहीं लूँगी। यह सामाजिक चेतना को हानि पहुंचाएगा।” उन्होंने विजयादशमी को बौद्धों के लिए “अशोक विजयादशमी” या “धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस” के रूप में महत्वपूर्ण बताया, लेकिन आरएसएस कार्यक्रम से असहमति जताई।
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