नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने सर्वोच्च न्यायालय के महासचिव से राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) की चेन्नई पीठ के एक सदस्य द्वारा किए गए इस खुलासे की जांच करने को कहा है कि उच्च न्यायपालिका के एक सदस्य ने उन्हें प्रभावित करने का प्रयास किया था।
सूत्रों ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश ने 13 अगस्त के उस आदेश का संज्ञान लिया जिसमें न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा ने इस मुद्दे को उठाया था। न्यायमूर्ति शर्मा ने यह दर्ज करने के बाद कि उच्च न्यायपालिका के एक सदस्य ने इसके नतीजे को प्रभावित करने की कोशिश की थी, एक मामले से खुद को अलग कर लिया था।
न्यायाधीश ने अपने आदेश में खुद का ज़िक्र करते हुए कहा, “हमें यह देखकर बेहद दुख हो रहा है कि हममें से एक सदस्य से इस देश की उच्च न्यायपालिका के सबसे सम्मानित सदस्यों में से एक ने एक खास पक्ष के पक्ष में आदेश देने के लिए संपर्क किया है। इसलिए, मैं इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग करता हूं।”
हैदराबाद स्थित रियल एस्टेट कंपनी केएलएसआर इंफ्राटेक लिमिटेड के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही से जुड़े इस मामले में 18 जून को आदेश सुरक्षित रख लिया गया था और पक्षों को अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने के लिए एक अतिरिक्त सप्ताह का समय दिया गया था।
कंपनी ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण की हैदराबाद पीठ के उस फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी, जिसमें एक लेनदार, एएस मेट कॉर्प प्राइवेट लिमिटेड को उसके खिलाफ कॉर्पोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दी गई थी।
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