द लेंस। छत्तीसगढ़ के सरगुजा में स्थित हसदेव जंगल नए सिरे से पांच लाख पेड़ों की कटाई की कथित मंजूरी को लेकर एक बार फिर चर्चा में है। पता चला है कि सरगुजा स्थित हसदेव के केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक में खनन के लिए सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं।
यह सब छत्तीसगढ़ विधानसभा के सर्व सम्मति से पारित उस प्रस्ताव को दरकिनार कर हो रहा है, जिसमें पिछली कांग्रेस सरकार के समय हसदेव अरण्य के सभी कोल ब्लॉक के आवंटन को निरस्त करने का संकल्प लिया गया था। यही नहीं, भारतीय वन्य जीव संस्थान ने भी हसदेव में खनन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी।

हाल ही में सरगुजा वनमंडल के वनमंडलाधिकारी का एक पत्र सामने आया है, जिसमें केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक खुली खदान में खनन को मंजूरी दी गई है। प्रमाण पत्र की शक्ल के वनमंडलाधिकारी के हस्ताक्षर से जारी इस पत्र में कहा गया है कि उन्होंने खुद इस क्षेत्र का 26 जून को भौतिक निरीक्षण किया। इसमें लिखा है, ‘आवेदक द्वारा मांग की गई वन भूमि के गैर वानिकी प्रयोजन कोयला उत्खनन कार्य केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक खुली खदान परियोजना आवेदक संस्थान राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड जयपुर हेतु वनभूमि व्यपवर्तन प्रस्ताव की मंजूरी की अनुशंसा की जाती है।’
इसका मतलब है कि केते एक्सटेंशन में खनन पर छत्तीसगढ़ सरकार के अधीन काम करने वाले वन विभाग को कोई आपत्ति नहीं है। इससे यहां करीब पांच लाख पेड़ काटने का रास्ता साफ हो गया है। पता चला है कि यह अनुशंसा केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव का हिस्सा है, जिसके तहत 1742 हेक्टेयर घने जंगल को खनन के लिए साफ किया जाना है।
मंजूरी वापस लेने की मांग

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के नेता आलोक शुक्ला ने फेसबुक पर एक विज्ञप्ति जारी करते हुए राज्य की भाजपा सरकार से इस मंजूरी को तुरंत वापस लेने की मांग की है और इसे लेकर प्रदेश व्यापी आंदोलन का ऐलान किया है। शुक्ला ने याद दिलाया कि स्थानीय लोगों ने पर्यावरण स्वीकृति की जनसुनवाई में भी अपना विरोध दर्ज करवाने के लिए 1623 व्यक्तिगत पत्र जमा किए थे। शुक्ला ने आरोप लगाया कि, ‘भाजपा को आदिवासियों के जीवन उनकी आजीविका और संस्कृति के बजाय अदानी की लूट को बरकररार रखने की चिंता है।’
पूर्व सीएम बघेल ने उठाए सवाल

कांग्रेस महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी आज रायपुर में यह मामला उठाया। बघेल ने कहा कि 1760 हेक्टर की कटाई होनी है। कांग्रेस सरकार ने इसका विरोध किया है, लेकिन मोदी सरकार ने राजस्थान और अडानी के नाम अधिग्रहण जारी रखा। बघेल ने आरोप लगाया कि हसदेव में जंगलों की कटाई जब रमन सिंह मुख्यमंत्री थे, तभी शुरू हो गई थी। उन्होंने कहा कि राजस्थान को आवंटित कोल ब्लॉक 15 सालों के लिए आरक्षित है। हमें देखना होगा कि राजस्थान को आवंटित कोल ब्लॉक में कितना हिस्सा राजस्थान का है और कितना अडानी का।