द लेंस डेस्क। मशहूर लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव ( JAVED ON SADGURU ) पर भक्तों को गुमराह करने का गंभीर आरोप लगाया है। कई साल पहले एक पैनल चर्चा के दौरान दोनों के बीच तीखी बहस हुई थी जिसका जिक्र जावेद ने हाल ही में एक इंटरव्यू में किया। उन्होंने कहा कि सद्गुरु जैसे आध्यात्मिक गुरु लोगों के विश्वास का गलत फायदा उठाते हैं और उनके दिमाग को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं।
क्या हुआ था उस बहस में?
कई साल पहले एक कार्यक्रम में जावेद अख्तर और सद्गुरु के बीच धर्म, विश्वास और तर्क को लेकर गर्मागर्म बहस हुई थी। जावेद ने सद्गुरु पर आरोप लगाया कि वह लोगों को उनकी पांच इंद्रियों पर भरोसा न करने के लिए उकसाते हैं, ताकि वे उनके नियंत्रण में आ जाएं। जावेद ने कहा, “ऐसे गुरु पहले आपका अपनी इंद्रियों पर भरोसा कम करते हैं फिर आप पर हावी हो जाते हैं। यह एक खतरनाक खेल है।” दूसरी ओर सद्गुरु ने जावेद पर तंज कसते हुए कहा कि वह अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं कर रहे।
जावेद का तर्क: विश्वास और अंधविश्वास में फर्क
मिड-डे को दिए एक हालिया इंटरव्यू में जावेद ने उस बहस को याद करते हुए कहा कि वह किसी भी आध्यात्मिक गुरु को गंभीरता से नहीं लेते। उन्होंने मानव अस्तित्व जैसे गहरे सवालों को ‘नाटकीय’ और ‘बेमानी’ बताया। जावेद ने कहा, “हम इंसान खुद को बहुत खास समझते हैं, लेकिन इस विशाल ब्रह्मांड में हम एक छोटे से कीड़े की तरह हैं। हमारा जीवन 70-80 साल का है, फिर भी हम बड़े-बड़े सवाल पूछते हैं।” उन्होंने विश्वास और अंधविश्वास के बीच फर्क पर जोर दिया और कहा कि लोगों को अपने तर्क का इस्तेमाल करना चाहिए।
सद्गुरु का जवाब, लोगों की प्रतिक्रिया
उस बहस में सद्गुरु ने जावेद के तर्कों का जवाब देते हुए कहा कि आध्यात्मिकता का मतलब सिर्फ विश्वास नहीं, बल्कि अपने भीतर की खोज है। उन्होंने जावेद के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि इंद्रियां सीमित हैं और सच्चाई को पूरी तरह नहीं समझ सकतीं। यह बहस सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा में रही, जहां कुछ लोगों ने जावेद के तर्क की तारीफ की तो कुछ ने सद्गुरु के जवाब को सटीक बताया।
इस बहस को लेकर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ यूजर्स ने जावेद अख्तर के तर्क और उनकी बेबाकी की तारीफ की वहीं कुछ ने सद्गुरु का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी बातों में गहराई है। एक यूजर ने लिखा, “जावेद जी ने सही कहा, हमें अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए।” वहीं, दूसरे ने लिखा, “सद्गुरु का जवाब भी कम नहीं था, उन्होंने तर्क को अपनी तरह से समझाया।”
जावेद अख्तर हमेशा से तर्क और विज्ञान के पक्षधर रहे हैं। वह अंधविश्वास और धार्मिक कट्टरता के खिलाफ खुलकर बोलते हैं। दूसरी ओर, सद्गुरु अपनी आध्यात्मिक शिक्षाओं और ईशा फाउंडेशन के जरिए लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं। दोनों के विचारों का टकराव इस बहस में साफ दिखा जो आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है।