लेंस नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
Supreme Court : भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को देश में कथित रूप से छिड़े गृहयुद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराने के बाद अब देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी पर हमला बोला है। यह हमला तब किया गया है, जब भाजपा ने प्रधान न्यायाधीश पर की गई दुबे की विवादास्पद टिप्पणी से खुद को अलग कर दिया है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना को लेकर कार्रवाई की कवायद शुरू कर दी है ।
एक एक्स पोस्ट में एस वाई क़ुरैशी ने वक्फ बिल को लेकर को लेकर कहा था, “वक्फ अधिनियम निस्संदेह मुस्लिमों की भूमि हड़पने के लिए सरकार की एक बेहद भयावह योजना है। मुझे यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट इस पर सवाल उठाएगा।” शरारती प्रचार मशीन द्वारा गलत सूचना ने अपना काम बखूबी किया है।

इसके जवाब में निशिकांत बोले “आप चुनाव आयुक्त नहीं, मुस्लिम आयुक्त थे, झारखंड के संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिया को वोटर सबसे ज्यादा आपके कार्यकाल में ही बनाया गया। पैगंबर मुहम्मद साहब का इस्लाम भारत में 712 में आया, उसके पहले तो यह जमीन हिंदुओं की या उस आस्था से जुड़ी आदिवासी, जैन या बौद्ध धर्मावलंबी की थी। मेरे गांव विक्रमशिला को बख्तियार खिलजी ने 1189 में जलाया, विक्रमशिला विश्वविद्यालय ने दुनिया को पहला कुलपति दिया अतिश दीपांकर के तौर पर। इस देश को जोड़ो, इतिहास पढ़ो, तोड़ने से पाकिस्तान बना, अब बंटवारा नहीं होगा?”
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Supreme Court : निशिकांत के बयान पर घमासान
निशिकांत दुबे के इस बयान पर समूचे विपक्ष और मुस्लिम समाज ने कठोर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। वहीं भाजपा समर्थकों ने दुबे के बयान को सही ठहराया गौरतलब है कि अपने उत्तेजक बयानों के लिए चर्चित निशिकांत दुबे के चीफ़ जस्टिस को लेकर दिए गए बयान पर भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा को सामने आकर कहना पड़ा कि उनके बयान से भाजपा का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने निशिकांत को भविष्य में ऐसे बयान ना देने के लिए ताकीद भी कर दिया।
Supreme Court : अटॉर्नी जनरल को अवमानना को लेकर लिखी गई चिट्ठी में क्या है?
इस बीच, अपेक्षित घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट और प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना के खिलाफ निशिकांत दुबे की टिप्पणी के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मंजूरी मांगी गई है। इस मांग को लेकर एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड द्वारा अटार्नी जनरल ए जी आर वेंकटरमणि को पत्र लिखकर न्यायालय की अवमानना अधिनियम की धारा 15(1)(बी) के तहत कार्रवाई करने की बात कही गई है। पत्र में कहा गया है कि दुबे की टिप्पणियां, “बेहद अपमानजनक” और “खतरनाक रूप से भड़काऊ” हैं।
पत्र में निशिकांत दुबे के उस बयान को इंगित किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “सुप्रीम कोर्ट देश को अराजकता की ओर ले जा रहा है” और “चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना देश में हो रहे गृहयुद्धों के लिए जिम्मेदार हैं।” निशिकांत दुबे ने यह टिप्पणी राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों पर कार्रवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय सीमा निर्धारित करने पर आपत्ति जताते हुए की गई थी। पत्र में यह भी आरोप लगाया गया कि दुबे ने वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं में न्यायालय के हस्तक्षेप के संदर्भ में सांप्रदायिक रूप से ध्रुवीकरण करने वाले बयान दिए।
पत्र में कहा गया है कि उन्होंने लापरवाही से प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय अशांति का जिम्मेदार ठहराया। इस प्रकार देश के सर्वोच्च न्यायिक कार्यालय को बदनाम किया और सार्वजनिक असंतोष, आक्रोश और संभावित अशांति को भड़काने का प्रयास किया।”
पत्र में यह भी कहा गया है कि बिना किसी आधार के ऐसी टिप्पणियां न्यायपालिका की अखंडता और स्वतंत्रता पर गंभीर हमला हैं। इसलिए न्यायालय को बदनाम करने के लिए जानबूझकर किए गए प्रयास के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्रवाई की मांग की गई।