लेंस डेस्क। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को एक पत्र लिखकर राज्य में चल रही विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोकने की मांग की है।
ममता ने इस अभियान को अव्यवस्थित, जबरदस्ती थोपा गया और खतरनाक बताया। चेतावनी दी कि इसे जारी रखने से चुनाव व्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा।
गुरुवार को लिखे पत्र में ममता ने कहा है कि SIR के दबाव के कारण अब तक बंगाल में 28 लोगों की जान जा चुकी है। पत्र में उन्होंने आयुक्त से तुरंत हस्तक्षेप करने, दबाव बनाने वाली कार्रवाइयां बंद करने, अधिकारियों को उचित प्रशिक्षण और सहायता देने तथा पूरी प्रक्रिया व समयसीमा की फिर से समीक्षा करने को कहा है।
ममता ने चेताया कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो चुनाव व्यवस्था, अधिकारियों और आम नागरिकों पर इसका स्थायी नकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने इसे लोकतंत्र की गरिमा और चुनाव प्रक्रिया की शुचिता बचाने के लिए अनिवार्य कदम बताया।
विपक्ष के नेता शुवेंदु अधिकारी ने भी चुनाव आयुक्त को अलग पत्र लिखा। उन्होंने ममता के पत्र को भ्रामक और राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित बताया तथा आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस अवैध मतदाताओं को बचाने की कोशिश कर रही है। शुवेंदु ने आयुक्त से इस संशोधन अभियान को पूरी सख्ती से और ठीक तरीके से पूरा करने का आग्रह किया ताकि बंगाल में तृणमूल का कथित जंगलराज समाप्त हो सके।
ममता शुरू से ही इस विशेष संशोधन प्रक्रिया का खुलकर विरोध करती रही हैं। उन्होंने इसे अपारदर्शी और कुछ खास लोगों को बाहर करने वाला अभियान बताया है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि अधिकारी और नागरिक दोनों इस काम को जबरदस्ती झेल रहे हैं, कोई ठोस तैयारी नहीं है, न प्रशिक्षण है, न स्पष्ट दिशानिर्देश। बूथ लेवल अधिकारी अपने मूल काम के साथ-साथ घर-घर जाकर सर्वे और ऑनलाइन डेटा भरने का बोझ ढो रहे हैं, जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से टूट रहे हैं।
ममता ने एक दिन पहले एक और बीएलओ की कार्य दबाव से कथित मौत का जिक्र करते हुए कहा कि पहले तीन साल में होने वाला संशोधन अब महज तीन महीने में पूरा करने को कहा जा रहा है, जो अमानवीय है। साथ ही यह समय धान की कटाई और रबी फसल की बुवाई का है। लाखों किसान-मजदूर खेतों में व्यस्त हैं, उनके लिए घर पर रहकर यह प्रक्रिया पूरी करना संभव नहीं है।
उन्होंने आशंका जताई कि इतनी जल्दबाजी में 4 दिसंबर तक कई क्षेत्रों में सही-सही आंकड़े अपलोड करना नामुमकिन है। दबाव में गलत या अधूरी एंट्री होने से असली मतदाताओं का नाम कट सकता है। सबसे गंभीर बात यह है कि शिकायत के बजाय पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी का कार्यालय धमकी दे रहा है, बिना वजह शो-कॉज नोटिस थमा रहा है और अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी दे रहा है।
ममता ने पहले भी मौजूदा मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल पर पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगाया है।

