भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने MSP पर गेहूं और धान की खरीदी करने की प्रक्रिया से हाथ पीछे खींच लिए हैं। नागरिक आपूर्ति निगम (नान) पर चढ़े 77,000 करोड़ रुपए के भारी-भरकम कर्ज का हवाला देते हुए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से FCI के माध्यम से सीधे धान और गेहूं खरीदने का अनुरोध किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को पत्र लिखा है।
2023 के विधानसभा चुनाव में किसानों को गेहूं और धान का बढ़ा हुआ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने का वादा करने वाली भाजपा सरकार अब खुद ही MSP पर खरीदी की प्रक्रिया से दूरी बना रही है।
सरकार का कहना है कि राज्य पर पहले से ही अनाज खरीदी और भंडारण का बड़ा वित्तीय बोझ है, जिसे अब संभालना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार को सीधे खरीदी की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए।
सरकार के इस फैसले के बाद किसानों में गहरा असंतोष देखा जा रहा है। किसान संगठनों का कहना है कि भाजपा ने चुनावों के दौरान किसानों से MSP बढ़ाने और समय पर भुगतान की गारंटी देने का वादा किया था, लेकिन अब सरकार अपने ही वादों से पलट रही है। इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है।
किसान नेताओं का कहना है कि यदि सरकार MSP पर खरीदी नहीं करती, तो किसानों को अपने अनाज को औने-पौने दामों पर बाजार में बेचना पड़ेगा।
सरकार के इस फैसले के बाद विपक्ष ने भी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि भाजपा ने किसानों को सिर्फ चुनावी हथकंडे के तौर पर इस्तेमाल किया। अब जब खरीदी का वक्त आया है, तो सरकार जिम्मेदारी से भाग रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने सरकार के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया, ‘भाजपा चाहती है कि प्रदेश का किसान पूरी तरह बदहाल हो जाए और खेती से पीछे हट जाए। ऐसे में भाजपा उसकी ज़मीन हड़प ले और उसका मनचाहा उपयोग करे। भाजपा की मानसिकता अंग्रेज़ी राज की मानसिकता से भी ज़्यादा ख़तरनाक और किसान विरोधी है।’
उन्होंने लिखा, ‘मैं सरकार से मांग करता हूं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीद की प्रक्रिया में कोई बदलाव न किया जाए, इससे प्रदेश के करोड़ों किसान संकट में पड़ जाएंगे।’
					
