लेंस डेस्क। शेयर बाजार के लाखों निवेशक बर्बाद हो जाएंगे। अरबों डॉलर हवा में उड़ जाएंगे। आपका स्टॉक पोर्टफोलियो, जो कल तक आसमान छू रहा था, अचानक धराशायी हो जाएगा। कुछ इसी तरह की खबरें और आशंकाएं इन दिनों उठ रही हैं।
जब से रॉबर्ट कियोसाकी ने अमेरिकी शेयर बाजार के क्रैश होने से जुड़ा पोस्ट किया है। भारत में भी निवेशक चिंता में हैं कि क्या करें…अगर ऐसा हो गया तो क्या होगा…क्योंकि कियोसाकी पहले भी भविष्यवाणी कर चुके हैं और उनमें से कुछ सच भी साबित हुई हैं।….
कौन हैं क्रैश की भविष्यवाणी करने वाले रॉबर्ट कियोसाकी

क्रैश की भविष्यवाणी करने वाले रॉबर्ट कियोसाकी 70 के दशक से फाइनेंशियल गुरु हैं, जिनकी किताब ‘रिच डैड पुअर डैड’ ने लाखों को अमीर बनने का राज सिखाया। वो कहते हैं पेपर एसेट्स जैसे स्टॉक्स और बॉन्ड्स ‘फेक मनी’ हैं, जो किसी बड़ी मंदी में खत्म हो सकते हैं। असली धन? सोना, चांदी, बिटकॉइन जैसे ठोस एसेट्स हैं
COVID-19 के दौरान भी कियोसाकी ने चेतावनी दी थी कि दुनिया का सबसे बड़ा क्रैश आने वाला है। 2022 में भी वही बात दोहराई। और अब, नवंबर 2025 में फिर वही दावा…. कियोसाकी ने X पर पोस्ट कर कहा कि क्रैश शुरू हो गया, लाखों डॉलर उड़ेंगे!’ वो कहते हैं, निवेशक जल्दी सोना, चांदी, बिटकॉइन और एथेरियम में शिफ्ट करें। लेकिन क्या उनकी ये भविष्यवाणियां हमेशा सही साबित हुईं?
क्या हैं क्रैश के संभावित कारण

कियोसाकी की चेतावनी के पीछे ठोस कारण हैं। अमेरिकी इकोनॉमी में इन दिनों रिकॉर्ड कर्ज के दौर से गुजर रही है। US का नेशनल डेब्ट 35 ट्रिलियन डॉलर को पार कर चुका है, जो GDP का 130% से ज्यादा है। फेडरल रिजर्व रेट्स कट कर रहा है, लेकिन इन्फ्लेशन अभी भी 3% के आसपास घूम रहा है। CNBC और ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट्स कहती हैं ये कट्स रिसेशन को ट्रिगर कर सकते हैं, जैसे 2008 का क्रैश हुआ था।
कियोसाकी कहते हैं कि बबल फटने वाला है! क्योंकि कॉर्पोरेट प्रॉफिट्स हाई वैल्यूएशन्स पर टिके हैं, लेकिन कंज्यूमर स्पेंडिंग गिर रही। वो मानते हैं कि फिएट करेंसी की वैल्यू घटेगी, इसलिए क्रिप्टो और गोल्ड ही बचाव है। लेकिन रुकिए, क्या गोल्ड और बिटकॉइन भी सेफ हैं? MCX पर दिसंबर में गोल्ड 1.8% गिरकर 1,17,628 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया और बिटकॉइन अक्टूबर हाई 126,000 डालर से फिसलकर 104,782 डालर पर पहुंच गया।
भारत पर क्या असर हो सकता है

अगर US मार्केट क्रैश हुआ, तो भारत का क्या होगा? हमारा मार्केट ग्लोबल कनेक्टेड है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट आशंका जताती है कि US स्लोडाउन से इंडियन स्टॉक्स पर डायरेक्ट असर होगा। क्योंकि FII (फॉरेन इन्वेस्टर्स) यानी विदेशी निवेशक भागेंगे, जैसे हाल में ट्रंप टैरिफ के बाद देखने को मिला था। सितंबर 2025 में सेंसेक्स 733 पॉइंट्स गिरा, क्योंकि US टैरिफ्स ने एक्सपोर्ट्स को 37.5% हिट किया।
मनीकंट्रोल के मुताबिक रुपया 88.77 तक गिरा, क्योंकि US डॉलर स्ट्रॉन्ग है। गोल्डमैन सैक्स कहता है – इंडियन इकोनॉमी US पर कम डिपेंडेंट है (ट्रेड सिर्फ 3%), लेकिन स्टॉक्स में कोरिलेशन हाई है। US क्रैश से निफ्टी 10-15% डाउन हो सकता है, FII आउटफ्लो 15 लाख करोड़ रुपये तक है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट की मानें तो ऑयल एंड गैस स्टॉक्स पहले ही दबाव में हैं।
कियोसाकी सही कहें या गलत, लेकिन जागरूक रहना जरूरी हैं। पोस्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करें। इमरजेंसी फंड बनाएं और न्यूज फॉलो करें, लेकिन पैनिक न करें। याद रखें, क्रैश हर 7-10 साल में आते हैं, लेकिन स्मार्ट इन्वेस्टर प्रॉफिट बनाते हैं।
					
