नई दिल्ली। केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा बिहार चुनाव में नौकरशाहों की नियुक्ति में भाजपा शासित प्रदेशों के पर्यवक्षेकों की भरमार है वहीं पश्चिम बंगाल समेत ग़ैर भाजपा शासित प्रदेशों के नौकरशाहों की भारी कमी नजर आ रही है। ग़ज़ब यह है कि केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा तैनात किए गए पुलिस पर्यवेक्षकों में महज एक आईपीएस अधिकारी पश्चिम बंगाल से है।
द लेंस के पास मौजूद बिहार चुनाव में तैनात पर्यवेक्षकों की सूची से पता चलता है कि कुल 243 सामान्य पर्यवेक्षकों में से महज 9 आईएएस पश्चिम बंगाल से हैं इतने ही नौकरशाह उत्तराखंड जैसे छोटे से राज्य से बिहार भेजे गए हैं। वहीं उत्तर प्रदेश से 30 नौकरशाहों की भारी भरकम टीम को तैनात किया गया है।
वहीं मध्य प्रदेश से 23 नौकरशाहों को बिहार चुनाव में तैनात किया गया है इस संदर्भ में केंद्रीय चुनाव आयोग से संपर्क किया गया तो उनका कहाँ था कि पर्यवक्षेकों की सूची राज्यवार तैयार नहीं की गई गई जबकि सच्चाई यह है कि निर्वाचन आयोग ने बकायदे राज्य के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर पर्यवेक्षकों की नाम की सूची देने को कहा था।
ग़ौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में मुख्य निर्वाचन अधिकारी की तैनाती को लेकर भी पश्चिम बंगाल सरकार और चुनाव आयोग आमने सामने थे।
पश्चिम बंगाल में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल
इस बीच चुनाव आयोग द्वारा प्रस्तावित आगामी विशेष गहन पुनरीक्षण SIR से पहले, पश्चिम बंगाल सरकार ने सोमवार को राज्य में एक बड़े नौकरशाही फेरबदल की घोषणा की, जिसमें एक साथ 17 भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों का तबादला कर दिया गया।
जिन 17 नौकरशाहों के तबादलों की घोषणा की गई है, उनमें 10 ज़िला मजिस्ट्रेट भी शामिल हैं। जिन ज़िलों में नए डीएम होंगे, जो ज़िला चुनाव अधिकारी के रूप में भी काम करेंगे, वे हैं उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, कूचबिहार, मुर्शिदाबाद, पुरुलिया, दार्जिलिंग, मालदा, बीरभूम, झारग्राम और पूर्वी मिदनापुर।
कोलकाता नगर निगम के आयुक्त को भी बदल दिया गया है। यह घोषणा नई दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस से कुछ घंटे पहले की गई जिसमें 2026 में पश्चिम बंगाल सहित चार चुनावी राज्यों और एक चुनावी केंद्र शासित प्रदेश के लिए एसआईआर की तारीखों की घोषणा हुई। वहीं SIR का विरोध कर रही है और मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज अग्रवाल ने कोलकाता में अलग से प्रेस कांफ्रेंस कर SIR को आवश्यक बता सबको चौंका दिया है।
बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से ममता के नहीं अच्छे रिश्ते
तेजस्वी यादव द्वारा महागठबंधन के घोषणा पत्र के खुलासे के दौरान अधिकारियों को दी गई खुली चेतावनी के निहितार्थ जो भी हों लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं है कि चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव में पर्यवेक्षकों की तैनाती में भाजपा शासित प्रदेशों के नौकरशाहों को अच्छी खासी तरजीह दी है।
ग़ैर भाजपा प्रदेशों के नौकरशाहों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है इस पर कमीशन कुछ बोलने को तैयार नहीं है मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से जब इस मुद्दे पर बात करने की कोशिश की गई तो बताया गया कि वो बैठक ले रहे हैं। जहाँ तक पश्चिम बंगाल का सवाल है मुख्यमंत्री ममता बनर्जी SIR के ऐलान के बाद बड़े पैमाने पर नौकरशाहों का स्थानांतरण किया है। माना जा रहा है कि प्रमुख सचिव स्तर पर भी ट्रांसफार होंगे।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज अग्रवाल और ममता बनर्जी के बीचे रिश्ते अच्छे नहीं हैं चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के खिलाफ की गई टिप्पणी का वीडियो फुटेज और सटीक अनुवाद माँगा है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, 2011 से पद पर आसीन बनर्जी ने सीईओ मनोज अग्रवाल को धमकी दी कि यदि उन्होंने अपनी सीमा लांघी तो वे उनके खिलाफ लगे “भ्रष्टाचार के आरोपों” का खुलासा कर देंगे।
गौरतलब है कि मनोज अग्रवाल की मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में तैनाती केंद्रीय चुनाव आयोग के माध्यम से हुई है। उसके पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने जो सूची आयोग को भेजी थी आयोग ने उसमें से नाम लेने से इनकार कर दिया था।
पुलिस पर्यवेक्षकों में दिल्ली कैडर की भरमार
भारत निर्वाचन आयोग ने आगामी 6 और 11 नवंबर को होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों के लिए गुजरात कैडर के 10 आईएएस अधिकारियों को चुनाव पर्यवेक्षक नियुक्त किया है, असम से 9 पर्यवेक्षक तैनात किए गए हैं।
राज्य में 38 पुलिस पर्यवेक्षक तैनात किए गए हैं जिनमें से पाँच अकेले दिल्ली से है उसके अलावा यूपी, राजस्थान, एमपी से ज्यादातर पुलिस पर्यवेक्षक हैं। बिहार विधानसभा चुनाव और पांच राज्यों में उपचुनावों के लिए विभिन्न राज्यों में सेवारत 470 सिविल सेवा अधिकारियों को केंद्रीय पर्यवेक्षक (सामान्य, पुलिस और व्यय) के रूप में तैनात किया गया है ।
470 अधिकारियों में से 320 आईएएस, 60 आईपीएस और 90 अन्य सेवाओं जैसे आईआरएस, आईआरएएस, आईसीएएस आदि से हैं। नहीं भुला जाना चाहिए कि लोकसभा चुनाव में भी आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल में तैनात किए गए विशेष पर्यवेक्षक के बयान से बवाल मच गया था।
आयोग के विशेष पर्यवेसकाहक अजय वी नायक ने कहा था कि पश्चिम बंगाल के मौजूदा हालात १५ साल पहले के बिहार जैसे हैं उस दौरान आयोग ने मतदान केंद्रों पर पुलिस की जगह सीआरपीएफ़ की तैनाती कर दी थी पर्यवेक्षक का कहना था कि पश्चिम बंगाल की जनता का पुलिस पर भरोसा नहीं रह गया है।

