लेंस डेस्क। मध्य प्रदेश के इंदौर में ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटरों के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना पर राज्य के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने अजीब प्रतिक्रया दी है।
विजयवर्गीय ने कहा कि खिलाड़ियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि जब वे अपने घर से निकलें, तो उनकी सुरक्षा और स्थानीय प्रशासन को सूचित किया जाना चाहिए क्योंकि (भारत में) क्रिकेटरों का बहुत बड़ा क्रेज है”।
विजयवर्गीय ने एक अन्य घटना का उदाहरण देते हुए बताया कि इंग्लैंड में एक प्रसिद्ध फुटबॉलर के साथ भी ऐसी ही स्थिति देखने को मिली थी, जहां प्रशंसकों ने उनके कपड़े तक फाड़ दिए थे।
उन्होंने इस घटना को खिलाड़ियों और प्रशासन दोनों के लिए एक सबक बताया। कैलाश विजयवर्गीय ने जोर देकर कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए बेहतर सुरक्षा व्यवस्था और संचार की जरूरत है।
यह घटना गुरुवार सुबह उस समय हुई, जब ICC Women’s Cricket World Cup के लिए इंदौर में मौजूद दो ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी खजराना रोड पर एक कैफे के पास टहल रही थीं। तभी एक मोटरसाइकिल सवार ने उनका पीछा किया और एक खिलाड़ी के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ की।
विजयवर्गीय ने कहा कि क्रिकेटरों की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए। उन्होंने इस घटना को एक चेतावनी के रूप में लिया और उम्मीद जताई कि इससे सुरक्षा के बेहतर इंतजाम किए जाएंगे।
पहले भी चुके हैं विवादास्पद बयान
यह नई बात नहीं है कि विजयवर्गीय ने महिलाओं और नैतिकता को लेकर विवादास्पद बयान दिए हों। पहले भी वे इस तरह की टिप्पणियों के कारण चर्चा में रहे हैं। कुछ समय पहले उन्होंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस साल सितंबर में उन्होंने एक बयान में कहा था,
“हम अपनी परंपराओं को मानने वाले लोग हैं। हम अपने बहनों के गांव में जाकर पानी तक नहीं पीते। लेकिन आज के विपक्षी नेता ऐसे हैं जो सार्वजनिक रूप से अपनी युवा बहनों को चूम लेते हैं। मैं पूछता हूं, आप में से कौन अपनी बेटियों या बहनों को सबके सामने इस तरह चूमेगा?”
उन्होंने आगे कहा, “यह हमारी संस्कृति के खिलाफ है। ये विदेशी तौर-तरीके हैं, जो विदेश में पले-बढ़े लोगों की सोच को दर्शाते हैं। ऐसे लोग तो प्रधानमंत्री के साथ भी अभद्रता से पेश आते हैं।”
इसके अलावा, जून में इंदौर में एक सार्वजनिक समारोह के दौरान उन्होंने कहा था, “मुझे कम कपड़े पहनने वाली लड़कियां अच्छी नहीं लगतीं। पश्चिमी देशों में कम कपड़े पहनने को सुंदरता का पैमाना माना जाता है, लेकिन मैं इस विचार से सहमत नहीं हूं।”

