लेंस डेस्क। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आज यरुशलम में इजरायली संसद नेसेट में उस वक्त असहज िस्थति का सामना करना पड़ा जब दो सांसद फिलिस्तीन के समर्थन में नारे लगाने लगा। इस दौरान डोनाल्ड ट्रंप को भाषण रोकना पड़ा।
हदाश-ताअल पार्टी के नेता अयमान ओदेह ने ट्रंप के भाषण के बीच में एक पोस्टर लहराया, जिसमें फिलिस्तीन को मान्यता देने की मांग थी। वहीं, अरब-इजरायली सांसद ओफर कैसिफ ने भी एक बैनर उठाने की कोशिश की और हंगामा किया, जिसके बाद उन्हें भी हटाया गया।
इस घटना पर इजरायली संसद के स्पीकर ने ट्रंप से माफी मांगी। ट्रंप ने हल्के-फुल्के अंदाज में जवाब दिया, “यह तो बहुत प्रभावी था,” जिससे सभा में ठहाके गूंज उठे और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ “ट्रंप” के नारे लगे।
ट्रंप ने अपने भाषण की शुरुआत इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की तारीफ के साथ की, उन्हें “बीबी” कहकर संबोधित किया और उनके काम को सराहा। यह भाषण उस खास मौके पर हुआ, जब हमास ने 20 बंधकों को रिहा किया।
यह रिहाई अमेरिका द्वारा मध्यस्थता किए गए युद्धविराम और बंधक समझौते का हिस्सा थी। ट्रंप ने इसे मध्य पूर्व में शांति की दिशा में एक बड़ा कदम बताया और इसे इजरायल और अमेरिका के लिए “सुनहरा युग” की शुरुआत करार दिया।
ट्रंप ने कहा कि दो साल के युद्ध और कैद के बाद 20 बंधक अपने परिवारों के पास लौट रहे हैं। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए अपने विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और सलाहकार जेरेड कुशनर की तारीफ की, जिन्होंने गाजा युद्धविराम समझौते में अहम भूमिका निभाई।
अपने भाषण में ट्रंप ने आध्यात्मिक अंदाज अपनाते हुए कहा, “आज का दिन अब्राहम, आइजैक और याकूब के ईश्वर को धन्यवाद देने का है। आसमान शांत है, हथियार खामोश हैं, और उस पवित्र भूमि पर शांति का सूरज उग रहा है।”
इस बीच, विरोधी सांसदों ने गाजा के मानवीय संकट की अनदेखी का मुद्दा उठाया। ओदेह ने सोशल मीडिया पर लिखा, “फिलिस्तीन को मान्यता देना जरूरी है।” कैसिफ ने कहा, “शांति तभी आएगी जब कब्जा खत्म होगा।
नेतन्याहू ने ट्रंप को “इजरायल का सबसे बड़ा मित्र” बताया, लेकिन वामपंथी गठबंधन इससे सहमत नहीं है। इजरायल ने ट्रंप को उनकी शांति प्रयासों के लिए शांति पुरस्कार से सम्मानित किया।

