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लेंस संपादकीय

तालिबान को ऐसी इजाज़त क्यों ?

Editorial Board
Editorial Board
Published: October 11, 2025 9:36 PM
Last updated: October 11, 2025 9:36 PM
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taliban press conference
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भारत प्रवास पर आए अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमीर खान मुत्ताकी की शुक्रवार को नई दिल्ली में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिस तरह से भारतीय महिला पत्रकारों को प्रतिबंधित किया गया, उसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। हम यहां साफ शब्दों में यह बात दर्ज कर रहे हैं, इसमें कोई किंतु-परंतु की गुंजाइश नहीं है।

यह जगजाहिर है कि 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता में लौटे तालिबान की महिलाओं के प्रति नीतियों में कोई बदलाव नहीं आया है। संयुक्त राष्ट्र ने रेखांकित किया है कि अफगान महिलाएं और लड़कियां दुनिया में सबसे गंभीर संकट का सामना कर रही हैं। यही वजह है कि अफगानिस्तान से रिश्ते को आगे बढ़ाने में भारत की ओर से संकोच और संशय रहा है।

बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों में भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते सुधर रहे हैं, तो इसे क्षेत्रीय और वैश्विक भू-राजनीति के संदर्भ में देखने की जरूरत है, लेकिन इससे इतर यह बेहद महत्वपूर्ण सवाल है कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री की प्रेस कांफ्रेंस में भारतीय महिला पत्रकारों को जाने की इजातत क्यों नहीं दी गई?

इस मामले को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय का रवैया कितना निराशाजनक है, इसे उसके इस बयान से समझा जा सकता है, जिसमें उसने कहा है कि इस अफगानिस्तान के दूतावास में हुई इस प्रेस कांफ्रेंस में उसकी कोई भूमिका नहीं थी। अफगान दूतावास की ओर से भी मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि प्रेस कांफ्रेस के सीमित पास थे और जो कुछ हुआ वह अनजाने में हुआ।

यह बहुत बचकानी बात है। इस मामले में तालिबान से तो वैसे भी कोई उम्मीद नहीं थी, लेकिन सवाल भारत का है, जिसने अपने संप्रभु क्षेत्र में कैसे तालिबान को अपनी मध्ययुगीन मानसिकता को थोपने की इजाजत दे दी? आखिर दुनिया को हम किस तरह का संदेश देना चाहते हैं?

क्या हम भूल गए कि तालिबान के शासन का सर्वाधिक खामियाजा अफगानिस्तान की महिलाओं और लड़कियों को भुगतना पड़ता है। भारत की महिला पत्रकारों और उदार सोच वाले लोगों में इसे लेकर गुस्सा है, तो इसे समझा जा सकता है। यह भी विडंबना ही है कि उस प्रेस कांफ्रेस में मौजूद पुरुष पत्रकारों में से किसी ने भी तालिबान के विदेश मंत्री से यह सवाल करने की जहमत नहीं उठाई कि उन्होंने उनकी महिला सहयोगियों पर क्यों रोक लगाई?

तालिबान के विदेश मंत्री की इस प्रेस कांफ्रेस में भारतीय महिला पत्रकारों को दूर करने की परोक्ष रूप से मंजूरी देकर भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी नैतिक औऱ राजनयिक स्थिति को कमजोर किया है। अच्छा तो यह होता कि भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से तालिबान को कड़ा संदेश जाता कि भारत एक उदार, लोकतांत्रिक और समता पर आधारित देश है, जहां संवैधानिक रूप से महिलाओं को बराबरी का हक दिया है।

TAGGED:Amir Khan MuttaqiEditorialIndian Embassy in AfghanistanS. JaishankarWomen Journalists
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