मुंबई। ज्ञानपीठ से सम्मानित हिन्दी के जाने माने कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को अब मुंबई लिट फेस्ट में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड देने की घोषणा हुई है। गोदरेज लिटरेचर लाइव, के प्रयोजन में द मुंबई लिटफेस्ट के 16 वें संस्करण में शुक्ल के साथ ही गुजराती के वरिष्ठ कवि सितांशु यशचंद्र को भी लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।
88 वर्षीय विनोद कुमार शुक्ल हिन्दी जगत में 1971 में तब चर्चा में आए थे, जब उनका पहला काव्य संग्रह लगभग जयहिंद सामने आया था और उसे व्यापक तौर पर स्वीकार किया गया था। अपने 60 साल की लेखन यात्रा में विनोद कुमार शुक्ल ने कविता के साथ ही कहानी और उपन्यास लेखन भी किया है और आज भी निरंतर साहित्य साधना में लीन हैं।
शुक्ल ने तीन उपन्यास लिखे हैं और तीनों की खासी चर्चा रही है। 1979 में आए उनके पहले उपन्यास ‘नौकर की कमीज’ पर जहां मणि कौल ने फिल्म बनाई थी। वहीं उनके तीसरे उपन्यास ‘दीवार’ में एक खिड़की रहती थी को 1999 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
विनोद कुमार शुक्ल एकमात्र ऐसे भारतीय लेखक हैं, जिन्हें पेन/नाबोकोव अवार्ड फॉर अचीवमेंट इन इंटरनेशनल लिटरेचर से सम्मानित किया गया है।
विनोद कुमार शुक्ल का पाठक संसार कितना वृहत है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाल ही में उनके एक प्रकाशक ‘हिन्द युग्म’ ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि महज छह महीने के दौरान उनके उपन्यास दीवार में एक खिड़की रहती थी कि करीब 86 हजार प्रतियां बिक गईं।
यही नहीं, हिंदी युग्म ने रायुपर में हुए एक साहित्य आयोजन में विनोद कुमार शुक्ल को इस उपन्यास के साथ ही उनकी तीन और कृतियों की छह माह की बिक्री के आधार पर 30 लाख रुपये की रायल्टी भी दी है।
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