नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने आज दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारियों पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, क्योंकि उन्होंने उच्चतम न्यायालय के बाहर गेट पर ही सीवर की सफाई के लिए मैनुअल सफाईकर्मियों को लगाया था, जो कि मैनुअल सीवर सफाई पर रोक लगाने संबंधी न्यायालय के फैसले का उल्लंघन है।
न्यायालय ने कहा कि लोक निर्माण विभाग ने न केवल बिना सुरक्षा उपकरणों वाले मज़दूरों को काम पर लगाया, बल्कि इस काम के लिए एक नाबालिग को भी लगाया। न्यायालय ने चेतावनी दी कि अगर उल्लंघन दोबारा हुआ, तो संबंधित अधिकारियों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की जाएगी।
यह राशि चार सप्ताह के भीतर राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के पास जमा करनी होगी। अगस्त में न्यायालय ने अपने निर्णय का उल्लंघन करते हुए अपनी नाक के नीचे मैनुअल सीवर सफाई कार्य किए जाने पर संज्ञान लेते हुए पीडब्ल्यूडी से जवाब मांगा था। आज न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने दायर जवाब पर गौर किया।
इस मामले में न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता के . परमेश्वर ने न्यायालय को सूचित किया कि कुछ दायित्व निर्धारित किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि न्यायालय द्वारा 2023 में पारित निर्देशों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया गया है।
सरकार ने जवाब दिया कि यह खुले नालों से “गाद निकालने का काम” था जहां कोई जहरीली गैसें नहीं थीं। एमिकस ने जवाब दिया कि वह सरकार के इस रुख़ से हैरान हैं कि उन्होंने इस प्रथा का बचाव किया है।
डॉ. बलराम की याचिका में, न्यायालय ने समय-समय पर हाथ से मैला ढोने और सीवर सफाई की प्रथा के उन्मूलन के लिए विभिन्न निर्देश पारित किए हैं। निर्देशों का पहला सेट अक्टूबर 2023 में और फिर इस वर्ष जनवरी में , प्रमुख महानगरों से इस प्रथा के उन्मूलन की निगरानी के लिए पारित किया गया था।
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