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देश

आजादी के बाद से अब तक के अंदोलनों का विश्लेषण क्‍यों करने जा रही केंद्र सरकार?

अरुण पांडेय
Last updated: September 15, 2025 5:41 pm
अरुण पांडेय
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indian movement analysis
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नई दिल्‍ली। आजादी के बाद से अब तक के हुए आंदोलनों का विश्लेषण करने की तैयारी केंद्र सरकार ने की है। ऐसा करने के पीछे वजह यह है कि भविष्य में “निहित स्वार्थ वाले विरोध प्रदर्शनों” को रोका जा सके।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) को निर्देश दिया है कि वह स्वतंत्रता के बाद के सभी आंदोलनों, खासकर 1974 के बाद के प्रदर्शनों का अध्ययन कर एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करे। इस अध्ययन में आंदोलनों के कारणों, वित्तीय पहलुओं, परिणामों और पर्दे के पीछे के लोगों का विश्लेषण किया जाएगा।

शाह ने यह निर्देश जुलाई के आखिरी सप्ताह में नई दिल्ली में खुफिया ब्यूरो द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन-2025’ में दिए थे। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि बीपीआरएंडडी को विशेष रूप से आंदोलनों के कारणों, पैटर्न, परिणामों और छिपे हुए किरदारों का विश्लेषण करने को कहा गया है। अधिकारी ने कहा, “इस अध्ययन के नतीजों के आधार पर एक एसओपी तैयार की जाएगी ताकि स्वार्थी तत्वों द्वारा बड़े आंदोलनों को रोका जा सके।”

इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार शाह के निर्देशों के बाद, गृह मंत्रालय के अधीन बीपीआरएंडडी एक ऐसी टीम बनाने की प्रक्रिया में है जो राज्य पुलिस विभागों के साथ समन्वय कर पुरानी केस फाइलों और उनकी अपराध जांच शाखा (सीआईडी) की रिपोर्टों को इकट्ठा करेगी।

एक अधिकारी के अनुसार, शाह ने बीपीआरएंडडी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), वित्तीय खुफिया इकाई-भारत (एफआईयू-आईएनडी) और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) जैसी वित्तीय जांच एजेंसियों को शामिल करने का निर्देश दिया है ताकि आंदोलनों के वित्तीय पहलुओं की जांच की जा सके।

इसके अलावा, आतंकी फंडिंग नेटवर्क को तोड़ने के लिए, ईडी, एफआईयू-आईएनडी और सीबीडीटी को वित्तीय अनियमितताओं के विश्लेषण के जरिए अज्ञात आतंकी नेटवर्क, उनके संबंधों और मंसूबों की पहचान करने के लिए एक एसओपी विकसित करने को कहा गया है।

शाह ने बीपीआरएंडडी को राज्य पुलिस के साथ मिलकर विभिन्न धार्मिक आयोजनों पर अध्ययन करने का भी निर्देश दिया है ताकि भगदड़ जैसी घटनाओं के कारणों को समझा जा सके और ऐसे आयोजनों की निगरानी व नियमन के लिए एक एसओपी तैयार की जा सके।

शाह ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) को पंजाब में खालिस्तानी उग्रवाद और सामान्य आपराधिक गतिविधियों से निपटने के लिए अलग-अलग रणनीतियां तैयार करने को कहा है।

एक अधिकारी ने बताया कि खुफिया एजेंसियों को पंजाब से जुड़े मुद्दों की गहरी जानकारी रखने वाले अधिकारियों की एक टीम बनानी चाहिए ताकि इन समस्याओं से निपटने के लिए नई और प्रभावी रणनीतियां बनाई जा सकें। उन्होंने यह भी कहा कि एनआईए को आतंकवाद और अपराध के गठजोड़ को तोड़ने के लिए नवाचारपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जिसमें जेलों में बंद अपराधियों को देश के अन्य हिस्सों की जेलों में स्थानांतरित करना शामिल है।

यह देखें: मध्य प्रदेश सीएम के करीबी ड्रग तस्कर और निष्कासित भाजपा नेता की तलाश में तीन टीमें

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