Bihar Katha : चुनावी अभियान को देखते हुए अगस्त महीने में बिहार के शिक्षा विभाग के मंत्री सुनील कुमार ने शिक्षक भर्ती परीक्षा (टीआरई)- 4 की तिथि की घोषणा कर दी। विद्यार्थी इसका बड़े दिनों से इंतजार कर रहे थे। इसके अलावा, शिक्षा मंत्री ने माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी एसटीईटी की भी घोषणा की है। गौरतलब है कि इस परीक्षा में बिहार की मूल निवासी महिला को 35% आरक्षण और नई डोमिसाइल नीति के प्रावधानों पर अमल किया जाएगा।
सरकार की इस घोषणा के बाद सरकार तमाम विज्ञापन के माध्यम से रोजगार पर पेपर ऐड बना रही है, वहीं मेन स्ट्रीम मीडिया में भी इसकी काफी तारीफ हो रही है। इस फैसले के कुछ दिनों के बाद से ही छात्र-छात्राओं का पटना में प्रदर्शन चल रहा है। प्रदर्शन ऐसा कि छात्र-छात्राओं पर लाठीचार्ज करने की नौबत आ गई। बिहार में युवाओं पर लाठीचार्ज की खबर आम हो चुकी है। इससे पहले दिसंबर 2024 में बीपीएससी अभ्यर्थियों पर तीन दिन के दौरान दो बार लाठीचार्ज किया गया था। इसके अलावा कई छात्रों को गिरफ्तार भी किया गया था।
हम जानने की कोशिश करते हैं, चुनाव से कुछ दिन पहले आखिर सरकार को छात्र-छात्राओं पर लाठीचार्ज क्यों करना पड़ा?
चुनावी मौसम में भी युवाओं की नहीं सुन रही सरकार
छात्र संघ से जुड़े अंशु अनुराग बताते हैं, ‘बिहार के चुनावी मौसम के बीच पटना में छात्र सड़कों पर हैं। इन्हें उम्मीद थी कि सरकार उनकी सुनेगी, क्योंकि दो महीने बाद उनके वोट से अगली सरकार तय होनी है। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हर बार की तरह इस बार भी कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए पुलिस सामने आई। लाठियों के बल पर छात्र-छात्राओं को खदेड़ा गया। किसी ने नहीं बताया कि आखिर इनकी गलती क्या है? कुछ के माता-पिता भी प्रोटेस्ट में शामिल होने आए थे। लेकिन कुछ हल नहीं निकला।’
बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले निशांत अनु का कहना है, ‘बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने घोषणा की थी कि STET की परीक्षा वर्ष में दो बार आयोजित की जाएगी। जबकि 2023 के बाद से अभी तक एक बार भी STET परीक्षा आयोजित नहीं की गई है।’
सहरसा जिले के प्रदीप मंडल भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए थे। वह बताते हैं कि ‘शिक्षक की तैयारी कर रहे छात्र बीते दो वर्षों से परीक्षा की तारीख घोषित करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन, सरकार और परीक्षा समिति ने अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। ऐसे में सड़क पर उतरने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।’
सुपौल जिले के वीणा पंचायत के बिपुल के मुताबिक STET परीक्षा आयोजित नहीं होने से अभ्यर्थियों में भारी नाराजगी है। चुनाव की वजह से सरकार लगातार घोषणा पर घोषणा कर रही है, लेकिन लाखों बेरोजगार शिक्षकों की मांगों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।
प्रदर्शन में शामिल अभ्यर्थियों की मांग है कि TRE-4 परीक्षा आयोजित करने से पहले STET की परीक्षा कराई जाए और उसके परिणाम चुनाव से पहले जारी किए जाएं। यदि उनकी मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन और भी उग्र रूप ले सकता है।
सूचना जनसंपर्क विभाग के मुताबिक चौथे चरण की शिक्षक भर्ती से पहले एसटीइटी का आयोजन होगा। आठ सितंबर से इसके लिए अभ्यर्थी आवेदन कर सकेंगे एवं 16 सितंबर तक ऑनलाइन आवेदन भर जा सकते हैं। परीक्षा चार अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच आयोजित की जाएगी। परीक्षाफल का प्रकाशन एक नवंबर को किया जाएगा।
एसटीईटी के रिजल्ट के बाद बिहार लोक सेवा आयोग टीआरई-4 की परीक्षा के लिए आवेदन लेगा। टीआर-4 के लिए अभ्यर्थी 16 दिसंबर से लेकर 19 दिसंबर तक परीक्षा देंगे। परीक्षाफल का प्रकाशन अगले साल 20 जनवरी से लेकर 24 जनवरी तक कर दिया जाएगा। सरकार ने दावा किया कि सभी परीक्षाएं पारदर्शी तरीके से होंगी।
डोमिसाइल लागू होते सीटों में कटौती क्यों?
इस प्रदर्शन के नेतृत्व में शामिल छात्र नेता दिलीप बताते हैं कि, ‘डोमिसाइल लागू नहीं होने से पहले लाखों पदों पर बहाली की बात होती थी। 50 हजार और 80 हजार के बाद 1.20 लाख पदों पर वैकेंसी का दावा किया गया था। अब डोमिसाइल लागू होते ही सीटों की संख्या घटा दी गई है। सिर्फ 27,910 पदों की वैकेंसी से साफ है कि पहले बाहर के युवाओं को नौकरी देने के लिए आंकड़े बढ़ाए जाते थे, और अब बिहार के युवाओं के साथ छल किया जा रहा है।’
आगे वह बताते हैं, ‘मंगलवार यानी 9 अगस्त को हुए प्रदर्शन में मुझे जबरन घसीट कर गाड़ी में बैठाया गया और धक्का दिया गया, जिससे मैं गर गया। मेरे शरीर पर कई जगह चोटें आई। छात्रों का सब्र टूट चुका है। 1.20 लाख पदों की वैकेंसी जारी की जाए, नहीं तो छात्र सड़कों पर उतरकर और बड़ा आंदोलन करेंगे।’ छात्र संघ से जुड़े अंशु अनुराग के मुताबिक छात्र अपराधी नहीं हैं। यह सिर्फ अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार हमें दबाने के लिए बर्बरता दिखा रही है।
लाठीचार्ज क्यों हुआ?
मंगलवार और गुरुवार को प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज किया गया है। स्थानीय पत्रकार प्रतिभा सिंह के मुताबिक गुरुवार को जब छात्र पटना विश्वविद्यालय से विधानसभा मार्च के लिए जा रहे थे, तभी पुलिस के द्वारा बैरिकेडिंग कर छात्र-छात्राओं को रोकने की कोशिश की गई। इसके बाद उन पर पुलिस के द्वारा लाठीचार्ज किया गया, जिसमें कई छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए।”
कई छात्रों को यह भी आशंका है कि चुनाव खत्म होते ही यह परीक्षा टल जाएगी। हजारों छात्र-छात्राओं ने सालों से तैयारी की है, ऐसे में यह विलंब बेहद निराशाजनक है।
इस घटना के बाद छात्रों के पांच सदस्य प्रतिनिधि मंडल ने बिहार के मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा से मुलाकात की। छात्र नेता सौरभ ने कहा कि, ‘मुख्य सचिव ने आश्वासन दिया था कि आपकी जो मांग है, उसे सरकार जल्द ही पूरा करेगी। इसके बाद छात्रों का प्रदर्शन डाकबंगला चौराहे पर समाप्त हुआ और छात्र वापस लौटे। हालांकि अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।’
छात्रों पर लाठी चार्ज के अलावा 9 सितंबर को जमीन सर्वे के बर्खास्त संविदा कर्मियों पर भी पुलिस ने लाठीचार्ज किया था, जिसमें कुछ का सिर फट गया तो कई कर्मी घायल हुए। विशेष सर्वेक्षण संविदा कर्मी संघ से जुड़े रंजीत कुमार बताते हैं कि, ‘संपूर्ण बिहार के हज़ारों संविदा कर्मी 16 अगस्त से हड़ताल पर हैं। हड़ताल पर जाने के बाद से 8,000 कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया गया है। ऐसे में कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर भाजपा कार्यालय का घेराव करने पहुंचे थे। इस दौरान पुलिस ने उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा।’
छात्र खुलकर बोलने लगे हैं कि बिहार में जिस तरह से नीतीश जी छात्रों पर लाठीचार्ज करवा रहे हैं, उससे पता चलता है कि उनकी सेहत के साथ साथ उनके दिन भी बुरे चलने वाले हैं।