लखनऊ। संभल में हुई हिंसा की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है। बताया जा रहा है कि यह रिपोर्ट करीब 450 पेज की है और इसे अभी गोपनीय रखा गया है।
यह रिपोर्ट पहले मंत्रिमंडल में जाएगी और फिर विधानसभा के माध्यम से इसे सार्वजनिक किया जाएगा। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस रिपोर्ट में क्या-क्या शामिल है और इसमें कौन सी प्रमुख बातें उजागर की गई हैं।
मीडिया में कुछ जानकारियां सामने आई हैं, जिनमें दंगों के कारण संभल में हिंदू-मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात और अब तक हुए दंगों की संख्या जैसी बातें शामिल हैं। इसके अलावा दंगों से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों का भी इस रिपोर्ट में होना बताया जा रहा है। इस बीच इस रिपोर्ट को लेकर राजनीतिक हलचल भी शुरू हो गई है।
संभल में हुए दंगों की जांच के लिए बनाई गई न्यायिक समिति ने पाया कि सांप्रदायिक तनाव के कारण शहर में हिंदू आबादी में कमी आई है। मीडिया खबरों के अनुसार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 1947 में संभल में हिंदुओं की आबादी 45 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 15 से 20 प्रतिशत रह गई है। यह 450 पेज की रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं की गई है।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) संजय प्रसाद ने बताया कि संभल में हुई घटना की जांच के लिए सरकार ने एक न्यायिक आयोग बनाया था, जिसने अब अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी है। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट का विस्तृत अध्ययन किया जाएगा और उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।
तीन सदस्यीय आयोग ने की जांच
पिछले साल संभल में मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इसके बाद सरकार ने तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था। इस आयोग की अध्यक्षता इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज देवेंद्र कुमार अरोड़ा ने की थी, जबकि सेवानिवृत्त आईएएस अमित मोहन और सेवानिवृत्त आईपीएस अरविंद कुमार जैन इसके सदस्य थे। आयोग की टीम ने कई बार संभल का दौरा किया, क्षेत्रों का निरीक्षण किया और बड़ी संख्या में लोगों के बयान दर्ज किए।
बता दें कि 24 नवंबर 2024 को संभल की शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान भीड़ ने पुलिस पर पथराव और गोलीबारी की, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी। भीड़ ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। इस मामले में कई उपद्रवियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।
रिपोर्ट पर उठने लगे सवाल
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ‘संभल हिंसा की जांच के लिए सौंपी गई यह गोपनीय रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की गई? मुझे लगता है कि भाजपा सरकार इस तरह की गोपनीय रिपोर्ट के जरिए असल मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है। लेकिन अब भाजपा का कोई भी हथकंडा पीडीए के सामने काम नहीं करेगा।’
मौलाना साजिद रशीदी ने कहा, ‘मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति बनाई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि पहले संभल में 45 प्रतिशत हिंदू आबादी थी, जो अब घटकर 15 प्रतिशत रह गई है। बार-बार होने वाली हिंसा के कारण हिंदुओं का पलायन हुआ। मैं इस रिपोर्ट को एकतरफा मानता हूं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘संभल में मंदिर को लेकर विवाद की बात कही गई, लेकिन मंदिर के पुजारी ने खुद स्पष्ट किया था कि उन पर किसी ने वहां से जाने का दबाव नहीं डाला था। वे अपने काम के कारण स्थानांतरित हुए थे। ऐसी सच्चाई सामने होने के बावजूद गोपनीय रिपोर्ट पेश करना ठीक नहीं। मुझे डर है कि इससे संभल में फिर से तनाव भड़क सकता है और इसका नुकसान आम जनता को होगा।’
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