रायपुर। छत्तीसगढ़ भाजपा ने सलवा जुडुम (Salwa Judum) जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत बताया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद छत्तीसगढ़ भाजपा के मुख्य प्रवक्ता और सांसद संतोष पांडेय ने thelens.in से बातचीत में कहा कि सलवा जुडुम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का फैसला गलत था।
दरअसल, इंडिया गठबंधन की तरफ से जब से उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के तौर पर न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी की घोषणा की गई है, तब से भाजपा विपक्षी दलों को घेरने में लगी है।
हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने न्ययामूर्ति रेड्डी और सुप्रीम कोर्ट पर इस फैसले के माध्यम से नक्सलवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया था।
उसके बाद न्यायमूर्ति रेड्डी के प्रति एकजुटता दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट और अलग-अलग हाई कोर्ट के 18 पूर्व न्यायाधीशों ने एक बयान जारी किया है। इस बयान में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के न्यायमूर्ति रेड्डी और सर्वोच्च न्यायालय पर 2011 के सलवा जुडूम फैसले के लिए की गई आलोचना की निंदा की गई।

इस आलोचना के बाद छत्तीसगढ़ भाजपा के मुख्य प्रवक्ता और सांसद संतोष पांडेय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस ली और कांग्रेस का साथ माओवादियों के साथ कहकर आरोप लगाया। जब thelens.in ने इस मामले में संतोष पांडेय से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर पूछा तो उन्होंने कहा कि यह फैस्ला पूरी तरह गलत था। बताया।
संतोष पांडे ने कहा कि जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को उप राष्ट्रपति पद को उम्मीदवार बनाना कांग्रेस का चरित्र बताता है। इससे पता चलता है कि कांग्रेस का हाथ माओवादियों के साथ है।
वे आगे कहते हैं, ‘हम जब वो निर्णय देखते हैं, जो उन्होंने सलवा जुडूम के विरोध में दिया था, तो उससे पता चलता है कि वह नक्सली समर्थक था। उन्होंने नक्सलियों की अर्थव्यवस्था को देखते हुए संकेत दिया था, कि ये क्रांतिकारी हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘सलवा जुडूम को लेकर दिया गया सुप्रीम कोर्ट फैसला पूरी तरह गलत है। कांग्रेस की तरफ से उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाए गए जस्टिस रेड्डी के विचार, चिंतन और रीति नीति माओवादियों के पक्ष में ही है।’

सांसद संतोष पांडेय के इस बयान के बाद सलवा जुडूम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाली दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर से हमने बात की।
नंदिनी सुंदर ने कहा, ’24 जज ने यह मामला सुना है। शुरुआत जस्टिस बालाकृष्णन थे, जब उन्होंने कहा था कि सलवा जुडूम गैर कानूनी चीज है जो एक अपराध की तरह है। वहां से लेकर अभी जस्टिस नागरत्ना ने इसे गलत बताया। क्या सभी 24 जज माओवादी हैं या सुप्रीम कोर्ट माओवादी है? क्या बोलना चाहते हैं अमित शाह?’
प्रोफेसर नंदिनी सुंदर ने आगे कहा, ‘दूसरी चीज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार शुरू से है। बाद में कांग्रेस की सरकार आई उसने भी इस पर काम किया। अब भी वहां पर लोगों को मार रहे हैं। ये लोग कभी कानून से कब रुके हैं। बीजेपी ने कभी भी कानून और जजमेंट का मायने रखा था।’

संतोष पांडे के कांग्रेस और माओवाद को लेकर दिए गए बयान के बाद पर दीपक बैज ने कहा कि भाजपा को जान लेना चाहिए कि कांग्रेस ने माओवाद का जो दर्द झेला है वह किसी और ने नहीं।
दीपक बैज ने कहा, ‘संतोष पांडेय सांसद भी हैं और भाजपा ने उन्हें प्रवक्ता बनाया है। इसका मतलब यह नहीं कि कुछ भी बात बोल लें। कांग्रेस पार्टी ने बस्तर में झीरम घाटी में शहादत झेला है। हमारे शीर्ष नेता खत्म हुए हैं। शायद यह इतिहास संतोष पांडेय को पता है कि नहीं।’
दीपक बैज ने आगे कहा, ‘उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा बैकफुट में है, घबराई हुई है। इसलिए डर की वजह से यह बयान दे रही है।’

सलवा जुडूम के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर देश और दुनिया में आवाज बुलंद करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने कहा, ‘देखिए आप अगर उस फैसले को पढ़ें तो सारा फैसला तथ्यों के आधार पर किया गया है। मामले बताए गए हैं। उसमें एनएचआसी की जांच हुई है। लंबा मुकदमा चला है। सारे सबूत पेश किए गए हैं। उसके बाद वह फैसला आया है।’
हिमांशु कुमार ने आगे कहा, ‘सलवा जुडूम के फैसला भारतीय न्यायप्रणाली में एक मील का पत्थर है। उसमें पूरे भारतीय राज्य की पूंजीवादी परस्त जो ढांचा है, उसकी प्रकृति है, उसको उजागर किया है। कैसे पूंजीवाद और सरकार मिलकर आम लोगो के खिलाफ फैसले ले रही है।’
भाजपा की यह प्रतिक्रिया अमित शाह को लेकर कांग्रेस के तरफ से दिए गए बयान के बाद आई। अमित शाह के बयान को सलवा जुडूम फैसले की गलत व्याख्या बताते हुए, पूर्व न्यायाधीशों ने कहा कि यह ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फैसला ‘कहीं भी, न तो स्पष्ट रूप से और न ही अपने पाठ के बाध्यकारी निहितार्थों के माध्यम से, नक्सलवाद या उसकी विचारधारा का समर्थन करता है।’
बयान पर हस्ताक्षर करने वाले सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक, अभय ओका, गोपाल गौड़ा, विक्रमजीत सेन, कुरियन जोसेफ, मदन बी. लोकुर, और जे. चेलमेश्वर शामिल हैं।
आपको बता दें कि 5 जुलाई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने 81 पेज में सलवा जुडूम पर रोक लगाने वाला फैसला सुनाया था। इस फैसले की शुरुआत संविधान के लक्ष्यों और मूल्यों के जिक्र से की गई।

दोनों जज बी सुदर्शन रेड्डी और सुरिंदर सिंह निज्जर ने आदेश में लिखा कि यह मामला, एक संवैधानिक लोकतंत्र में शक्तियों के बंटवारे के सिद्धांत और छत्तीसगढ़ में इसकी सच्चाई को दर्शाता है।
इस आदेश में जजों ने कहा कि छत्तीसगढ़ स्टेट यह दावा करती है कि माओवादियों को कंट्रोल करने के लिए, आदिवासियों को चाहे वह शिक्षित हों या न हों, एसपीओ यानी की स्पेशल पुलिस ऑफिसर बनाकर, हथियार दे सकती है।
सरकार के दावे से इतर कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि छत्तीसगढ़ स्टेट संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग कर रहा है। यह नीति संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 का हनन है।
कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा कि एसपीओ कारगर है या नहीं, यह संवैधानिक अनुमति का आधार नहीं हो सकता है।
इसके साथ ही ऑर्डर में लिखा कि छत्तीसगढ़ सरकार के तत्काल प्रभाव से माओवादियों को नियंत्रित करने या माओवादियों को खत्म करने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एसपीओ के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाती है। इसके साथ ही केंद्र सरकार को यह आदेश दिया जाता है कि एसपीओ के संदर्भ में किसी भी तरह की फंडिंग पर तत्काल रोक लगाए।
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