[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
महाराष्ट्र की डॉक्टर बलात्कार-आत्महत्या कांड, कांग्रेस ने गृह विभाग को बताया ‘दिवालिया’
राजस्थान में हुआ बस हादसा, मजदूरों की बस हाईटेंशन तार से टकराई, 3 की मौत
चक्रवात मोन्था ने लिया तूफानी रूप, आंध्र तट पर आज शाम टकराएगा
माओवादी पार्टी के प्रमुख नेता बंडी प्रकाश ने तेलंगाना DGP के सामने किया आत्मसमर्पण
तो क्‍या बिहार NDA में सब ठीक है? चिराग के घर क्‍यों पहुंचे सीएम नीतीश
छत्तीसगढ़ में CRPF जवान ने की खुदकुशी
कथाकार विनोद कुमार शुक्ल की तबीयत बिगड़ी, अस्‍पताल में भर्ती
भाजपा नेता का दुस्‍साहस, किसान को थार से कुचलकर मार डाला, बेटियों से बदसलूकी
पूर्व सीएम के बेटे को राहत नहीं, ईडी कोर्ट ने चैतन्य बघेल की जमानत अर्जी की खारिज
बिहार के प्रवासी मजदूरों की दुविधाः वोट दें या नौकरी पर लौटें
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
लेंस रिपोर्ट

संसदीय कार्य मंत्री ने बांटे चिरकुट अवार्ड, सांसदों ने अपनी पीठ थपथपाई

The Lens Desk
The Lens Desk
Published: July 29, 2025 10:20 AM
Last updated: July 29, 2025 2:29 PM
Share
Sansad Ratna
SHARE
The Lens को अपना न्यूज सोर्स बनाएं

नई दिल्ली। देश के 17 सांसदों को मिला कथित ‘संसद रत्न पुरस्कार-2025’ विवादों में है। गत शनिवार को दिल्ली स्थित महाराष्ट्र भवन में एक निजी कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने यह तथाकथित सम्मान संसद रत्न (Sansad Ratna) दिया। सूची में भाजपा के दस सांसद हैं। शेष अन्य दलों के सांसद हैं। इन 17 सांसदों में महाराष्ट्र के सात सांसद शामिल हैं। संसदीय लोकतंत्र में उत्कृष्ट और स्थायी योगदान के लिए महाराष्ट्र के चार सांसदों को विशेष सम्मान मिला।

भाजपा सांसदों में भर्तृहरि महताब, स्मिता वाघ, मेधा कुलकर्णी (रास), प्रवीण पटेल, रवि किशन, निशिकांत दुबे, विद्युत बरन महतो, पीपी चौधरी, मदन राठौड़ और दिलीप सैकिया शामिल हैं। कांग्रेस से वर्षा गायकवाड़ को एवार्ड मिला। शिवसेना शिंदे गुट से श्रीरंग बारणे और नरेश म्हस्के को सम्मान मिला। उद्धव गुट से अरविंद सावंत को। राकांपा-शरद गुट से सुप्रिया सुले भी सम्मानित हुईं। एनके प्रेमचंद्रन (आरएसपी) तथा सीएन अन्नादुरई (डीएमके) भी सम्मानित किए गए। दो संसदीय स्थायी समितियों को भी संसद रत्न पुरस्कार मिला। इनमें भर्तृहरि महताब (भाजपा) की अध्यक्षता वाली वित्त स्थायी समिति और चरणजीत सिंह चन्नी (कांग्रेस) की अध्यक्षता वाली कृषि स्थायी समिति शामिल हैं।

यह सम्मान विशिष्ट संसदीय कर्तव्य के निर्वहन के लिए दिया गया। बताया गया कि इन सांसदों ने जनता के हित में संसद में प्रश्न पूछकर, बहस में भाग लेकर और विधेयकों पर सुझाव देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जाहिर है कि इन पुरस्कारों ने 17 सांसदों को अपनी पीठ थमपथाने का बड़ा अवसर प्रदान किया। उनके कार्यकर्ताओं ने ऐतिहासिक उपलब्धि करार दिया। सोशल मीडिया में गुणगान और बधाइयों का तांता लग गया। चरणजीत सिंह चन्नी ने सोशल साइट्स एक्स पर पोस्ट कर इस सम्मान को अपने जालंधर क्षेत्र की जनता को समर्पित किया। वर्षा गायकवाड़ ने घर में अपनी आरती उतारे जाने का वीडियो शेयर किया। मेधा कुलकर्णी ने खुद को राज्यसभा की ‘ओवरऑल टॉपर’ बताते हुए ट्वीट किया। यूपी के सीएम योगी ने X में पोस्ट किया कि रवि किशन और प्रवीण पटेल को संसद में जनआकांक्षाओं को स्वर देने का सम्मान मिला है।

इस महिमामंडन तक सब ठीकठाक था। लेकिन, इस बीच सोशल मीडिया की चर्चाओं ने एक नया मोड़ ले लिया। कहा गया कि खासतौर पर महाराष्ट्र के सांसदों को मिले अवार्ड के अच्छे कवरेज के लिए एक निजी कंपनी खास रूचि ले रही है। इसके कारण लोगों का ध्यान इस बात पर गया कि देश भर से सम्मानित 17 सांसदों में अकेले महाराष्ट्र से सात सांसदों के नाम हैं। यह बात अप्रत्याशित होने के कारण इस एवार्ड की जांच-पड़ताल शुरू हुई। पता चला कि यह चेन्नई के किसी एनजीओ द्वारा दिया गया है। इसके बाद इस बात पर सवाल उठने लगे कि एक एनजीओ द्वारा ऐसे चिरकुट एवार्ड दिए जाने के पीछे कोई एजेंडा तो नहीं।

सोशल मीडिया में तरह-तरह के सवाल पूछे जाने लगे। लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 245 सांसदों को मिलाकर संसद में कुल 788 सांसद हैं। उनके कामकाज के आधार पर 17 सर्वश्रेष्ठ सांसदों का चयन किस आधार पर किया गया? जिस एजेंसी ने यह मूल्यांकन किया, उसके पास सभी सांसदों के कार्यों तथा संसद के दस्तावेजों तक कितनी पहुंच है? उसे यह पहुंच किस तरह मिली? मूल्यांकन और चयन की प्रक्रिया क्या थी? इस टीम में शामिल लोगों के पास इसकी कितनी विशेषज्ञता है? उस एनजीओ के पास क्या संसाधन हैं? क्या उसे इसके लिए कहीं से वित्त मिला है? किसी निजी कंपनी द्वारा इसकी खबरों के प्रकाशन में दिलचस्पी की क्या वजह है? क्या ऐसा कोई आंकड़ा है, जिससे यह पता चले कि 788 सांसदों में इन 17 सांसदों ने ज्यादा सवाल पूछे? क्या इसके लिए संसद सचिवालय तथा दोनों सदनों के अध्यक्ष/स्पीकर से अनुमति ली गई है? क्या संसद ने इस निष्कर्ष को स्वीकृति दी है कि ये सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले सदस्य हैं? संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजिजू द्वारा यह एवार्ड दिए जाने से पहले उनके मंत्रालय ने इसकी स्वीकृति प्रदान की है, अथवा नहीं? क्या संसद की स्थायी समितियों को ऐसे पुरस्कार मिलना संसद की गरिमा के अनुकूल है?

इन सवालों का जवाब मिलना अभी बाकी है। इस बीच ऐसे मामलों पर सक्रिय संगठनों ने भी आपत्ति प्रकट करना शुरू कर दिया। पुणे स्थित ‘सुराज्य संघर्ष समिति’ के संयोजक विजय कुंभार ने किसी गैर-सरकारी संगठन द़वारा “सांसद रत्न’ जैसे पुरस्कार दिए जाने को हास्यास्पद करार दिया। उन्होंने पूछा कि क्या किसी गैर-संसदीय निकाय के पास सांसदों की पात्रता तय करने की वैधता है। ‘सांसद रत्न’ शब्द के कारण यह तथाकथित सम्मान स्वयं संसद द्वारा दिए जाने का भ्रम पैदा कर सकता है। खासकर खुद संसदीय कार्यमंत्री द्वारा दिए जाने पर जनता में गलत धारणा बन सकती है कि यह पुरस्कार संसद और सरकार द्वारा दिया गया है। उन्होंने पूछा कि क्या किसी निजी संगठन ने सांसदों की रैंकिंग तय करने के लिए संसदीय आंकड़ों का उपयोग किया है? क्या यह मूल्यांकन किसी सांसद के पूर्ण योगदान को दर्शाने के लिए पर्याप्त हैं? खासकर उनके निर्वाचन क्षेत्र में, जो अक्सर संसदीय आंकड़ों में परिलक्षित नहीं होता है। चयनात्मक मापदंडों पर आधारित पुरस्कार और अनौपचारिक बैनर के तहत दिए जाने वाले ऐसे तथाकथित पुरस्कार पक्षपातपूर्ण या निहित स्वार्थों से प्रेरित हो सकते हैं। भले ही ऐसा जान-बूझकर किया जा रहा हो, अथवा अनजाने में।

‘नेशनल इलेक्शन वाच’ के झारखंड राज्य संयोजक सुधीर पाल ने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या किसी एनजीओ के पास सांसदों को पुरस्कृत करने की वैधता है? इन सवालों का जवाब ढूंढना आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे पुरस्कार सांसदों की वास्तविक उपलब्धियों को दर्शाते हैं और जनता को गुमराह नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि ‘नेशनल इलेक्शन वाच’ ने चुनावों के दौरान नागरिकों को मतदान के लिए जागरूक करने का अभियान चला रखा है। अब हमें यह अभियान चलाने की नौबत भी आ गई है कि नागरिक ऐसे फर्जी पुरस्कारों से गुमराह न हों। मतदाता अपने सांसदों विधायकों के वास्तविक कार्यों के आधार पर उनका मूल्यांकन करें।

किसी निजी संस्था के हाथों ऐसे पुरस्कार लेना सांसदों की गरिमा के अनुकूल नहीं माना गया है। प्रोटोकोल के अनुसार किसी निजी संगठन द्वारा किसी मंत्री या मंत्री स्तर के पद पर आसीन व्यक्ति को पुरस्कार प्रदान किए जाने के मामले में कई तरह की जांच-परख तथा उच्चस्तर से पूर्व अनुमति लेना जरूरी माना गया है। मंत्रियों को भी किसी निजी संस्थान की ओर से कोई प्रमाणपत्र बांटने से परहेज करने की अपेक्षा की गई है। ऐसे में संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजिजू द्वारा यह एवार्ड और श्रेष्ठ सांसद का प्रमाणपत्र प्रदान करना प्रोटोकोल का उल्लंघन है, अथवा नहीं, इस पर सवाल उठ रहे हैं। प्रोटोकॉल में स्पष्टता के अभाव के बावजूद भावना यही है कि मंत्री ऐसे व्यक्तिगत प्रमाण पत्र या पुरस्कार नहीं बाँटेंगे और न ही सांसदों को इसे प्राप्त करना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि राज्यसभा सदस्यों के लिए बनी आचार संहिता में सदस्यों को ऐसे व्यक्तियों और संस्थाओं को प्रमाणपत्र देने से बचने की सलाह दी गई है, जिनके बारे में उन्हें व्यक्तिगत जानकारी न हो और जो तथ्यों पर आधारित न हों। लोकसभा सदस्यों के लिए भी ऐसे प्रोटोकोल बनाने का प्रस्ताव लंबे समय से लंबित है। लेकिन संभवत: किसी अनुशासन के दायरे में आने से बचने के लिए अब तक इसकी उपेक्षा की गई है।

इस संबंध में सिविल सर्विसेस आचरण नियमावली ज्यादा स्पष्ट है। इसमें स्पष्ट उल्लेख है कि सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना कोई भी सरकारी कर्मचारी कोई प्रशस्ति पत्र स्वीकार नहीं करेगा या अपने सम्मान में आयोजित समारोह में भाग नहीं लेगा। जो बात सरकारी कर्मचारियों पर लागू होती हो, वैसे मामले में देश के सांसदों से बेहतर नैतिकता की अपेक्षा की जाती है।

लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। संसद किसी एनजीओ के हाथ का खिलौना बनकर रह गई। इसे संसद की गरिमा को गिराने वाली घटना के बतौर देखा जा रहा है। संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू सांसदों ऐसे पुरस्कार बाँट रहे हैं, जिनका आयोजन एक व्यक्ति ने किया। ऐसा भ्रम पैदा किया गया, मानो यह संसदीय प्राधिकरण द्वारा दिया गया पुरस्कार है। ऐसे पुरस्कारों के जरिए नागरिकों के बीच यह गलत दावा किया गया कि यह 17 सांसद देश के 788 सांसदों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले सदस्य हैं। मीडिया द्वारा इन सवालों की अनदेखी करते हुए बड़ी-बड़ी खबरें प्रकाशित किया जाना इस प्रहसन का सबसे शर्मनाक पहलू है। किसी अखबार, किसी पत्रकार के मन में तो कोई सवाल उठा होता। ‘अमृतकाल’ की संसद में पत्रकारिता भी ‘मृतकाल’ में चली गई है क्या?

यह भी पढ़ें : ऑपरेशन सिंदूर : लोकसभा में विदेश मंत्री ने कहा ‘भारत-पकिस्तान के बीच किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं’, अमित शाह बोले – कांग्रेस को किसी और देश पर भरोसा

TAGGED:Lens ReportSansad RatnaSansad Ratna Award 2025Top_News
Previous Article चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट की तो सुन ले
Next Article सेंट विन्सेंट पैलोटी कॉलेज में पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन आज से
Lens poster

Popular Posts

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का छत्तीसगढ़ दौरा, NFSU की रखी आधारशिला, 7 राज्यों के DGP और ADGP की ले रहे मीटिंग

रायपुर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह रविवार को छत्तीसगढ़ के दो दिनों के दौरे पर पहुंचे…

By नितिन मिश्रा

इस सप्ताह सोने के कीमतों में रही 3,425 रुपये की गिरावट, चांदी भी लुढ़की

द लेंस डेस्क। gold silver cheap: इस सप्ताह सोने और चांदी की कीमतों में कमी…

By The Lens Desk

JDU ने 11 बागी नेताओं को किया निष्कासित

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने संगठन के भीतर…

By आवेश तिवारी

You Might Also Like

NIA Action
देश

NIA को पहलगाम हमलें में शामिल आंतकियों का मिला सुराग, आंतकियों पनाह देने वाले दो गिरफ्तार

By Lens News
देश

राजद पर बड़ा संकट, चुनाव अभियान से पहले लैंड फॉर जॉब मामले में आरोप तय

By आवेश तिवारी
kushabhau university issue
छत्तीसगढ़

पत्रकारिता विवि में अतिथि शिक्षक भर्ती पर विवाद, कई वर्षों से पढ़ा रहे शिक्षकों को नहीं मिली वरीयता

By पूनम ऋतु सेन
Vote Chori SIT
देश

राहुल के आरोपों पर SIT गठित करने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

By आवेश तिवारी

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?